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पेरिस की परेड में भारतीय सेना के जवान

१४ जुलाई २००९

फ़्रांस के राष्ट्रीय दिवस पर ख़ास परेड में भारतीय सेना की टुकड़ी भी शामिल हुई. भारत के 400 सैनिकों ने क़दम क़दम बढ़ाए जा की धुन पर परेड की. फ्रांस ने इस मौक़े पर भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को ख़ास मेहमान बनाया.

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भारतीय सेना के जवानतस्वीर: AP

ख़ाकी वर्दी और तनी हुई मूंछों वाली भारतीय सैनिकों की टुकड़ी में मराठा इन्फ़ैंट्री के जवान भी शामिल थे. परेड में भारतीय नौसेना और वायु सेना के बैंड भी शरीक हुए, जिन्होंने क़दम क़दम बढ़ाए जा की धुन बिखेरी. पहले विश्वयुद्ध के दौरान करीब 10 लाख भारतीय सैनिकों ने हिस्सा लिया था, जिनमें से कई ने फ्रांस में भी लडाई लड़ी. दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान भी करीब 25 लाख भारतीय सैनिक मित्र देशों की तरफ से लड़े थे.

Paris Militärparade Indische Armee
तस्वीर: AP

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह फ्रांस की बास्तिल परेड में बुलाए जाने वाले पहले आधिकारिक अतिथि बने. 1789 की फ्रांस की क्रांति की याद में बास्तिल दिवस के मौके पर पेरिस के राजपथ यानी शों-ज़े लीज़े रोड पर परेड निकाली जाती है. फ्रांस ने पहली बार किसी विदेशी नेता को इस परेड में आमंत्रित किया है.

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाए जाने को भारत का सम्मान बताया. उनके साथ रक्षा सचिव विजय सिंह भी पेरिस में हैं.

इस दौरान भारत और फ्रांस के बीच बड़े रक्षा सौदे पर सहमति बन सकती है. समझौते के तहत फ्रांस, भारत के मिराज 2000 श्रेणी के विमानों को आधुनिकतम तक़नीक से लैस करेगा.

Frankreich Sarkozy und Manmohan Singh
तस्वीर: AP

भारत का मिराज लड़ाकू विमानों का बेड़ा पुराना पड़ गया है. 1980 में भारत ने करीब 40 मिराज वायु सेना में शामिल किये, जिसके बाद भारत ने फ्रांस से 20 और ऐसे विमान खरीदे. मिराज विमानों ने भारतीय वायु सेना में अहम भूमिका निभाई है.

इससे पहले भारत और फ्रांस के बीच 18,798 करोड़ रुपयों का समझौता हो चुका है, जिसके तहत फ्रांस भारत को स्कोर्पियन पनडुब्बी बनाने में मदद देगा. इस परियोजना के तहत मुंबई के मंझगांव डेक में छह स्कोर्पियन पनडुब्बीयां तैयार की जा रही हैं.

फ्रांस के लिए रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री ने आशा जताई कि वह इस दौरे पर फ्रांस के साथ परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहेंगे. अपने बयान में मनमोहन सिंह ने कहा, "हम फ्रांस के साथ कारोबार, निवेश, उच्च तकनीक, अंतरिक्ष शोध, परमाणु ऊर्जा, सैनिक सहायता, शिक्षा, पर्यटन और वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में साझेदारी और मज़बूत करना चाहेंगे."

रिपोर्टः एजेंसियां/पी चौधरी

संपादनः प्रिया एसेलबॉर्न