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समाज

पुलिस कांस्टेबल ने सच कर दिखाया पीसीएस बनने का सपना

समीरात्मज मिश्र
२७ फ़रवरी २०१९

चौदह साल तक पुलिस कांस्टेबल की नौकरी करते हुए राज्य सेवा परीक्षा यानी पीसीएस जैसी कठिन और सम्मानित परीक्षा पास करना, वो भी अच्छी रैंक के साथ सिर्फ मेधा और लगन के भरोसे ही संभव है.

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Indien Polizist Shayam Babu
तस्वीर: Privat

उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के रहने वाले श्याम बाबू ने यूपी पीसीएस-2016 की परीक्षा पास एक मिसाल कायम की है. पीसीएस की परीक्षा में उन्हें 52वीं रैंक हासिल हुई है. इस रैंक के हिसाब से उनका चयन उप जिलाधिकारी पद के लिए हुआ है.

श्याम बाबू बताते हैं कि इसके लिए उन्हें किसी ने प्रेरित नहीं किया बल्कि प्रेरणा उन्होंने खुद ली, "इंटर पास करने के बाद मैं ग्रेजुएशन कर रहा था लेकिन तभी मेरा चयन कांस्टेबल पद पर हो गया तो ग्रेजुएशन भी पूरा नहीं हो पाया. लेकिन यहां आकर मैं देखता था कि अधिकारियों का रुतबा हम लोगों से बिल्कुल अलग है. सोचा कि आखिर हममें से ही लोग अधिकारी भी बनते होंगे. बस इसी सोच से अधिकारी बनने की कोशिश शुरू हो गई.”

Indien Polizist Shayam Babu
तस्वीर: Privat

श्याम बाबू ने 2003 में इंटर की परीक्षा बलिया जिले के ही एक इंटर कॉलेज से पास की और दो साल बाद पुलिस में कांस्टेबल के पद पर भर्ती हो गए. इस दौरान उन्हें ग्रेजुएशन डिग्री बीए की पढ़ाई छोड़नी पड़ी. लेकिन नौकरी करते हुए फिर उन्होंने पहले बीए की पढ़ाई पूरी की और फिर मास्टर्स डिग्री एमए भी ली.

पुलिस विभाग में कांस्टेबल के पद पर रोज दस से बारह घंटे ड्यूटी करना और उसके बाद पढ़ाई करना कोई आसान काम नहीं है. श्याम बाबू कहते हैं, "मुश्किल तो बहुत है लेकिन कुछ अच्छा करना था तो इसी मुश्किल समय में से कुछ पढ़ाई के लिए भी निकालता था. लगातार पढ़ाई करता रहा जितना समय मिलता था. इसीलिए चयनित होने में इतना समय भी लग गया. पूरा समय मिलता पढ़ाई के लिए तो शायद ये सफलता जल्दी भी मिल सकती थी.”

Indien Polizist Shayam Babu
तस्वीर: Privat

श्याम बाबू बताते हैं कि बीए की परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने पीसीएस की तैयारी शुरू की. दस साल के दौरान उन्होंने कुल छह बार ये परीक्षा दी और आखिरकार इस परीक्षा के जरिए मिलने वाले सर्वोच्च पद यानी एसडीएम के पद पर उनका चयन हुआ.

शुरू से ही सामान्य विद्यार्थी रहे श्याम बाबू ने सिर्फ हाई स्कूल में प्रथम श्रेणी प्राप्त की है, बाकी सभी परीक्षाएं उन्होंने द्वितीय श्रेणी में ही उत्तीर्ण की हैं. बावजूद इसके, उन्होंने धैर्य और लगन के साथ पूरा एक दशक लक्ष्य प्राप्ति के प्रयास में लगाया और आखिरकार सफल रहे. मौजूदा समय में वो प्रयागराज स्थित पुलिस मुख्यालय में कांस्टेबल के पद पर तैनात हैं.

श्याम बाबू बेहद ईमानदारी और मासूमियत के साथ बताते हैं, "खुश और संतुष्ट मैं तब भी था और अब भी हूं. जिस पद पर मैं नौकरी कर रहा था, पहले उसी के लायक था, अब जिसके लायक बनने की दस साल तक कोशिश की, वो हासिल हो गया है तो खुशी बढ़ जाना स्वाभाविक है.”

श्याम बाबू के पिता बलिया में ही एक किराने की दुकान चलाते हैं. श्याम बाबू जिस मध्यमवर्गीय परिवेश से आते हैं वहां इंटर तक पढ़ाई करने के बाद बच्चे या तो उच्च शिक्षा के लिए इलाहाबाद और लखनऊ चले जाते हैं या फिर पुलिस और फौज में भर्ती होने की कोशिश करते हैं.

Indien Polizist Shayam Babu
तस्वीर: Privat

श्याम बाबू बताते हैं कि उन्हें भी कोई बताने वाला नहीं था कि क्या करना चाहिए, बल्कि जो और लड़कों को देखता था वही किया. वो कहते हैं, "लेकिन नौकरी में आने के बाद ऐसा दिमाग में आया कि अभी आगे भी कुछ किया जा सकता है.”

पीसीएस की परीक्षा बेहद सम्मानित और कठिन परीक्षा मानी जाती है. राज्य के पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा विभिन्न विभागों के अधिकारियों का चयन इसी परीक्षा के माध्यम से होता है. तीन चरणों में होने वाली इस परीक्षा में लाखों छात्र शामिल होते हैं, जिनमें से पांच-छह सौ लोग ही अंतिम रूप से चयनित हो पाते हैं.

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