पुरातत्व में झांकता क्लियोपेट्रा का चेहरा
२७ अप्रैल २००९ठीक ऐसी ही कुछ खोज मिस्र के पुरातत्व वैज्ञानिकों ने की है. यह खोज मिस्र की रानी क्लियोपेट्रा की कब्र से ताल्लुक रखती है. क्लिओपेट्रा मिस्र पर करीबन 2000 साल पहले राज करती थी. क्लियोपेट्रा का प्रेमी मार्क एन्थनी रोम का शासक था. दोनों की रहस्यमय हालात में मौत हो गई थी.
सालों से वैज्ञानिक क्लियोपेट्रा के शव कक्ष की खोज में लगे हैं. पिछले हफ़्ते मिस्र की पहाड़ी अबूसर पर बसे मंदिर, टपोसिरी मागना में, क्लियोपेट्रा की मौजूदगी के कुछ चिह्न मिले, जिनके बूते अनुमान लगाए जा रहे हैं कि उस की कब्र यहीं कहीं है. इन चिन्हों के बारे में बॉन स्थित मिस्र संग्रहालय के विशेषज्ञ आंद्रेयास ब्लाजियोस विस्तार से बताते हैं.
''मंदिर की जब खुदाई की गई तो कुछ सिक्के मिले, जो कि क्लियोपेट्रा की छवि दर्शाते हैं. इसके अलावा रोमन काल के कुछ ममी यानी पुराने शव मिले. रिपोर्टों के मुताबिक वहां अलाबास्टर से बना नक्काशीदार सिर भी मिला. इन के आधार पर यह कयास लगाए जा रहे हैं, कि यह सिर क्लियोपेट्रा को दर्शाता है. लेकिन मुझे यह बात सही नहीं लगती क्योंकि यह सिर तो किसी भी रानी या देवी का हो सकता है.''
टपोसिरी मागना नामक जिस मंदिर में यह चिह्न मिले हैं, वह मिस्र के शहर अल सिकंदरिया से पचास किलोमीटर की दूरी पर है. विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि क्लियोपेट्रा के बारे में मौजूद ऐतिहासिक तथ्य इस बात की तरफ़ इशारा करते हैं कि उसकी मौत अल सिकंदरिया में हुई थी. फिर भला उसकी कब्र वहां से इतनी दूर एक सुनसान जगह पर क्यों होगी?
ब्लाज़ियोस कहते हैं, ''मुझे लगता है कि दुनियाभर में मशहूर इस रानी की कब्र अल सिकंदरिया या किसी नज़दीकी जगह पर ही है, न कि वहां से पचास किलोमीटर दूर, जहां पर रानी के शासन काल की कोई मशहूर इमारत नही है.''
क्लियोपेट्रा वास्तविक ज़िंदगी में कैसी दिखती थी, इस बात के बहुत कम ठोस प्रमाण हैं. उसके सिर के सिर्फ गिनती के ही ऐसे चित्र या नकलें हैं, जो संग्रहालयों में भली भांति सुरक्षित हैं. बर्लिन के मिस्र संग्रहालय के निर्देशक डॉ. विल्डुंग कहते हैं, ''मुझे समझ में नहीं आता कि मात्र एक पत्थर का सिर और कुछ सिक्के मिल जाने से, जो कि शायद क्लियोपेट्रा को दर्शाते हैं, वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर कैसे पहुंच सकते हैं कि क्लियोपेट्रा की कब्र वहां पर है? क्लियोपेट्रा को दिखाने वाले सिक्के कोई नई बात नही हैं. सारे टांलमौइड शासक, फिर चाहे वो पुरूष रहे हों या स्त्री, उन को दर्शाने वाले हज़ारों सिक्के भरे पड़े हैं. लेकिन सिर्फं इन सिक्कों की बिना पर उनके कब्र स्थल के बारे में कयास लगाना विज्ञान से हटना है.''
इजिप्टोलॉजी नाम की पूरी एक वैज्ञानिक शाखा है, जो कि मिस्र के इतिहास की शोध करती है. इस शाखा के अंतर्गत दुनिया भर के संग्रहालय मिस्र के प्राचीन इतिहास को सहेजने के काम में लगे हैं. इसीलिए पुरातत्व विज्ञान के जरिए सिर्फ मिस्र की पुरातन संस्कृति पर ही शोध कार्य नहीं होता, बल्कि यह एक माध्यम बन जाता है, उस संस्कृति को लोगों के बीच जीवंत रखने का. प्रोफेसर विल्डुंग कहते हैं:
''ये मिस्र पर किए जा रहे हमारे काम के लिए एक अच्छा प्रचार ही होता है, अगर नई खोजों को मीडिया में तवज्जो मिले.''
अक्सर हम लोग पुरातत्व विद्या को इतिहास से जोड़ते हैं और इसे विज्ञान नहीं मानते. लेकिन जानकारों का मानना है कि आज पुरातत्व विद्या विज्ञान की एक विकसित शाखा बन चुकी है. प्रोफेसर विल्डुंगः
''पुरातत्व, प्राकृतिक विज्ञान की सारी तकनीकी पद्धतियों का इस्तेमाल करता है. पुरानी वस्तुओं में मौजूद रसायनों का परीक्षण, डीएनए परीक्षण, इन सब वैज्ञानिक तकनीकों का प्रयोग पुरातत्व विज्ञान जमकर करता है.''
रिपोर्ट- रति अग्निहोत्री
संपादन- एस जोशी