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पीएम पद के लिए शंकर दयाल शर्मा थे सोनिया गांधी की पहली पसंद

२१ मई २०१९

साल 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस के सामने नेतृत्व का संकट खड़ा हो गया था. कार्यकर्ता सोनिया गांधी को चाहते थे वहीं सोनिया उपराष्ट्रपति पद संभाल रहे शंकर दयाल शर्मा को प्रधानमंत्री बनाना चाहती थी.

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सोनिया गांधी अपने बेटे राहुल और बेटी प्रियंका के साथ
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Raveendran

साल 1991 के आम चुनाव में तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में प्रचार अभियान के दौरान राजीव गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस 244 सीटों के साथ सत्ता में आई थी. यह अपनी तरह का एक अनोखा चुनाव था जो कि दो हिस्सों में हुआ था. एक राजीव गांधी की हत्या से पहले और एक हत्या के बाद. 21 मई को राजीव गांधी की हत्या से पहले 534 संसदीय क्षेत्रों में से 211 में मतदान हो चुका था, बाकी पर चुनाव 12 और 15 जून को होना था.

इस चुनाव के नतीजे भी अलग तरह के रहे. राजीव गांधी की हत्या से पहले की सीटों पर कांग्रेस का प्रदर्शन खराब रहा और राजीव गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस को जबरदस्त जीत मिली.

उस वक्त कांग्रेस अचानक नेतृत्वहीन हो गई और राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी केंद्र में आ गईं. उस समय उनके सबसे करीबी सलाहकारों में से एक के. नटवर सिंह ने उनसे पूछा कि संसदीय दल का नेता किसे बनाना चाहिए. पी.एन.हक्सर की सलाह पर सोनिया ने नटवर सिंह और अरुणा आसफ अली को शंकर दयाल शर्मा के पास भेजा और उन्हें प्रधानमंत्री पद संभालने के लिए राजी करने का दायित्व सौंपा.

उस वक्त उप राष्ट्रपति पर संभाल रहे शंकर दयाल शर्मा (जो बाद में राष्ट्रपति बने) को नटवर सिंह और अरुणा आसफ अली प्रधानमंत्री पद संभालने के लिए राजी नहीं कर सके. उन्होंने अपनी उम्र और खराब स्वास्थ्य का हवाला दिया. कांग्रेस कार्यकारी समिति (सीडब्ल्यूसी) की अपील के बावजूद सोनिया गांधी ने पार्टी का अध्यक्ष बनने से मना कर दिया. इसके बाद हक्सर ने दोबारा पूछे जाने पर नरसिम्हा राव का नाम लिया.

नटवर सिंह ने आईएएनएस से कहा, "राजीव गांधी के अंतिम संस्कार के बाद मैंने श्रीमती गांधी से इस पर बात की. मैंने उनसे कहा कि आपने सीडब्ल्यूसी की अपील को नहीं मानकर ठीक काम किया लेकिन हमें किसी को तो पार्टी और नई सरकार का नेतृत्व करने के लिए चुनना होगा. वह चुप रहीं फिर मैंने उनसे कहा कि वह इस मुद्दे पर (इंदिरा गांधी के प्रमुख सलाहकार रह चुके) पी. एन. हक्सर से भी बात करें. उन्होंने इस पर विचार के लिए 24 घंटे मांगे."

नटवर सिंह ने कहा, "एक दिन बाद श्रीमती गांधी ने मुझसे कहा कि हक्सर से मैं कहूं कि वह उनसे आकर मिलें. इसके बाद मैंने और हक्सर ने उनसे मुलाकात की और नेतृत्व के मुद्दे पर बात की. हक्सर ने उनसे कहा कि उप राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा देश और पार्टी का नेतृत्व करने के लिए सही रहेंगे. उन्होंने थोड़ी देर सोचा और फिर इस पर रजामंदी जताई. जल्द ही मैं और (दिवंगत) अरुणा आसफ अली ने शंकर दयाल शर्मा से मुलाकात की और उनके सामने पेशकश रखी. हमें बहुत बड़ा ताज्जुब हुआ."

सिंह ने कहा कि इसके बाद उनकी, हक्सर और सोनिया गांधी की फिर मुलाकात हुई और इस मुद्दे पर विचार किया गया.

सिंह ने बताया कि तब हक्सर ने कहा कि पी.वी नरसिम्हा राव दूसरी पसंद होने चाहिए और सोनिया गांधी ने इस पर सहमति जताई. सिंह ने यह भी साफ किया कि उस मामले पर राव के साथ विचार विमर्श करने वालों में वह शामिल नहीं थे. जब राव तैयार हो गए और शरद पवार नेतृत्व की दौड़ से बाहर हो गए तब सीडब्ल्यूसी और कांग्रेस संसदीय दल ने राव को नया कांग्रेस अध्यक्ष और प्रधानमंत्री चुना.

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आईएएनएस

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