पानी रे पानी
दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला भारत पीने के पानी की कमी का सामना कर रहा है. हालांकि पिछले सालों में लोगों को पेयजल उपलब्ध कराने में कामयाबी मिली है लेकिन जलसंसाधन पर बोझ भी बढ़ा है.
बढ़ती मांग
भारत में दुनिया की 16 प्रतिशत आबादी रहती है पर यहां विश्व का मात्र चार प्रतिशत पानी ही उपलब्ध है, जबकि मांग है कि लगातार बढ़ती ही जा रही है.
सिंचाई के लिए
देश का कृषि क्षेत्र ही नब्बे प्रतिशत पानी पी जाता है. नदियों के दूषित होने के कारण सिंचाई का 80 फीसदी पानी भूजल से खींचा जाता है.
किल्लत
देश के 22 शहर पानी की जबरदस्त किल्लत का शिकार हैं और इन में जमशेदपुर ऐसा शहर है जहां पानी की मात्र 30 प्रतिशत ही जरूरत पूरी होती है.
दूषित पानी
देश के दस करोड़ घरों में बच्चों के लिए पीने के पानी की नियमित रूप से कमी रहती है. हर साल लगभग 6 लाख बच्चों की दूषित पानी पीने के कारण जान जाती है.
बीमारियां
भारत के लगभग आधे गांवों में जहां देश की 70 फीसदी आबादी रहती हैं, पीने का साफ पानी आम तौर पर उपलब्ध नहीं है. 21 फीसदी बीमारियां पानी से संबंधित हैं.
गंभीर संकट
विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020 तक भारत के अधिकांश शहरों में पीने के पानी का गंभीर संकट पैदा होने का अंदेशा है.
भूजल का दोहन
अगर भारत में इसी तरह भूजल का दोहन होता रहा तो पीने के पानी का गंभीर संकट पैदा हो जाएगा क्योंकि भारत में फिर से भरने वाले पानी की कमी है.
महिलाओं की दिनचर्या
शहर हो या गांव, सुबह हो या शाम, परिवार के लिए पानी इकट्ठा करना भारत में बहुत से परिवारों की जरूरत और महिलाओं की दिनचर्या है.