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पाकिस्तान से उदार काबुल

१७ अक्टूबर २०१२

काबुल हमेशा खबरों में रहता है लेकिन फिर भी इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिलती. डॉयचे वेले के थॉमस बैर्थलाइन ने हाल में काबुल का दौरा किया और जो महसूस किया, वह बता रहे हैं.

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तस्वीर: DW

बैर्थलाइन इन दिनों पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में रह रहे हैं. हाल में उन्होंने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल का दौरा किया और उन्होंने जो आश्चर्यजनक बातें देखीं, उनमें कुछ का जिक्रः

  • काबुल कोई अवसाद वाली जगह नहीं है, जैसा कि दुनिया सोचती है. अफगान लोग मजा करते हैं और पार्टी भी करते हैं. राजधानी में दर्जनों वेडिंग हॉल हैं, जो अच्छा कारोबार कर रहे हैं. काबुल की शादी किसी भी भारतीय या पाकिस्तानी शादी से ज्यादा भव्य होती है. अफगानिस्तान के मध्य और उच्च वर्ग एक एक शादी में लाखों डॉलर खर्च कर देते हैं.
  • काबुल को आसानी से युवाओं की राजधानी कहा जा सकता है. सरकारी दफ्तरों और दूसरे संस्थानों में आम तौर पर युवा पुरुष और स्त्रियां दिखती हैं. काबुल के खास जगहों पर 30-30 साल के युवा काबिज हो चुके हैं. उन्हें तालिबान में कोई दिलचस्पी नहीं और न ही वे चाहते हैं कि तालिबान को दोबारा शक्ति मिले. युवा वर्ग ऊर्जा से भरपूर है. वह पढ़ाई करता है और काम भी करता है. उनमें से कुछ गैरसरकारी संगठनों में काम करते हैं.
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    थॉमस बैर्थलाइनतस्वीर: DW
  • काबुल कोई पुरातनवादी जगह नहीं लगती है. वहां पाकिस्तान या तुर्की से कम अजान की आवाज आती है. सड़कों पर औरतें दिखती हैं. निश्चित तौर पर उनका सिर ढंका होता है लेकिन फिर भी बहुत परंपरावादी ढंग से नहीं. बुर्का ज्यादा नहीं दिखता. पेशावर में इससे ज्यादा औरतें बुर्के में दिखती हैं.
  • पश्चिमी सेना के लोगों को हर वक्त अफगानिस्तान में हमले का डर रहता है. लेकिन काबुल के बहुत से इलाके बहुत सुरक्षित हैं और वहां पश्चिमी देशों के लोग आसानी से चल फिर सकते हैं और खरीदारी कर सकते हैं.
  • अभी भी कई लोग पूर्व अफगान राष्ट्रपति मोहम्मद नजीबुल्लाह की तारीफ करते मिल जाते हैं. उनका कहना है कि नजीब आम आदमियों की तरह अपार्टमेंट में रहते थे और आज के राष्ट्रपति हामिद करजई की तरह भ्रष्ट नहीं थे. मैं एक बार में भी गया, जो एक पूर्व कम्युनिस्ट चलाता है. जाहिर है कि यह बार जनता की नजरों में नहीं है.
  • ज्यादातर अफगान का कहना है कि पाकिस्तान उनके देश के अंदरूनी मामले में दखल दे रहा है. अगर टीवी देखा जाए, तो लोग अकसर अपने पड़ोसी मुल्क के बारे में बात करते दिख जाएंगे. इसके बाद भी लोग आम तौर पर पेशावर और दूसरे पाकिस्तानी पख्तून इलाकों में जाते रहते हैं. पाकिस्तान के लोग भी सीमा पार कर अफगानिस्तान पहुंच जाते हैं और इस दौरान दस्तावेजों पर कोई बहुत ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है.
  • Afghanistan Skaten Skateboard Kinder Training Skateboard Unterricht
    स्केटिंग करते बच्चेतस्वीर: Skateistan
  • काबुल के ज्यादातर लोग दोनों अफगान भाषाएं यानी दारी और पश्तू बोलते हैं. मैं जितने लोगों से मिला, उसके बाद कह सकता हूं कि दोनों लोग मिल कर रहना चाहते हैं. उनके बीच शादियां होती हैं और वे राष्ट्रवादी लोग हैं. वे अपने देश को टूटता हुआ नहीं देखना चाहते.
  • काबुल एक हरियाली भरा शहर है. यहां कई पार्क हैं. लेकिन सड़कों की हालत खराब है. अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक दर्जन से ज्यादा माली रखे हुए हैं, जो दफ्तरों में फूल पहुंचाते हैं.
  • अफगानिस्तान के लोगों को फुटबॉल बहुत पसंद है. पहले अफगान प्रीमियर लीग में हमने कुछ बेहद अच्छे मैच देखे. इस लीग की शुरुआत टेलीविजन के रियालिटी शो के जरिए हुआ है.
  • अफगानिस्तान की सड़कों पर बहुत सी जर्मन बसे हैं, जो निश्चित तौर पर सेकंड हैंड हैं.

अफगानिस्तान को जरूर गहरे घाव मिले हैं लेकिन वह एक बार फिर से उठ खड़ा होने के लिए तैयार है.

रिपोर्टः थॉमस बैर्थलाइन/एजेए

संपादनः आभा मोंढे

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