पाकिस्तान में सूखे से मरते बच्चे
११ मार्च २०१४संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के समन्वयन विभाग (यूएनओसीएचए) का कहना है कि पांच साल से कम उम्र के 18 बच्चों की जनवरी में और 23 की फरवरी में मौत हो गई. सिंध के थारपारकर जिले के डिप्टी कमिश्नर कार्यालय के मुताबिक सूखे के कारण इन इलाकों में करीब नौ लाख लोग प्रभावित हुए हैं.
प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने प्रभावित इलाकों का दौरा कर एक करोड़ डॉलर की आपात सहायता की घोषणा करते हुए कहा, "लोग जल्द ही अपने घरों को वापस लौट सकेंगे और इलाके में खुशहाली आएगी." उन्होंने कहा बहुत जल्द इन इलाकों के हालात सुधरेंगे.
मौत की वजह
यूएनओसीएचए के प्रवक्ता ने कहा कि यह अभी ठीक ठीक नहीं कहा जा सकता कि बच्चों की इतनी बड़ी संख्या में मृत्यु का मुख्य कारण क्या है, "हमारे पास बड़ों में मृत्यु की कोई जानकारी नहीं है." उन्होंने बताया इसके पीछे संक्रमण के साथ मां और बच्चों में कुपोषण की समस्या बड़ी वजह है. अत्यधिक सूखे से खेती को होने वाले नुकसान के अलावा इन इलाकों की अन्य समस्याएं स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें और बेरोजगारी भी है.
उन्होंने बताया, "हमने पाकिस्तान सरकार के साथ मिलकर संयुक्त आकलन शुरू किया है. जब तक यह पूरा नहीं हो जाता, सही स्थिति का पता लगाना मुमकिन नहीं है." पाकिस्तानी मीडिया का कहना है कि बच्चों की मौत की वजह सूखे के कारण हो रहा कुपोषण है. मार्च में क्या स्थिति है इस बारे में अब तक कोई आंकड़े जारी नहीं किए गए हैं.
मदद में देरी
स्थानीय मीडिया का दावा है कि मदद के लिए भेजा गया सामान प्रभावित इलाकों तक ठीक से नहीं पहुंच रहा है. एक रिपोर्ट के अनुसार आटे की साठ हजार बोरियां सूखा ग्रस्त इलाकों के लिए रवाना की गईं थीं, जिनमें से 900 ही पहुंची हैं.
प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी किए गए बयान में बताया गया, "उन्होंने (प्रधानमंत्री ने) लोगों की मदद के लिए खाद्य सामग्री, पीने का पानी और दवाओं की सहूलियत के निर्देश दिए थे." बताया गया कि प्रधानमंत्री ने थारपारकर में अनाज बांटने में लापरवाही करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के आदेश भी दिए हैं.
पाकिस्तान के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन विभाग के निदेशक रजा इकबाल ने बताया कि मदद पहुंचने में देरी की वजह है, परिवहन कंपनियों को भुगतान में देरी. उन्होंने इस बारे में ज्यादा जानकारी दिए बगैर कहा, "कुछ प्रशासनिक कमियां है."
एसएफ/एएम (रॉयटर्स)