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पाकिस्तान में सफेद क्रांति की पहल

३० अगस्त २०१२

एक के बाद एक लगातार फौजी तानाशाह, युद्ध और आतंकवाद. पाकिस्तान के बारे में बात करते हुए ये शब्द बार बार सामने आ जाते हैं लेकिन धार्मिक कट्टरपंथ का शिकार देश में बहुत कुछ ऐसा हो रहा है जिस पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है.

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शहनवाज इकबाल का ही उदाहरण लें. इकबाल विदेश की सुख सुविधा और नौकरी छोड़ कर इन दिनों पाकिस्तान के विकास का काम कर रहे हैं. 15 साल तक विदेशी कंपिनयों में काम करने के बाद उन्हें अहसास हुआ कि देश के लिए काम करना चाहिए, "मैं जो कर रहा हूं इससे पाकिस्तान में बड़ा बदलाव आएगा. यह नहीं कहता कि मैं पागल हूं पर ये तय है कि मेरी सोच सामान्य भी नहीं है. इस तरह का काम करने के लिए काफी लगन की जरूरत होती है."

इकबाल जिस बदलाव की बात कर रहे हैं, वह पाकिस्तान में दूध उत्पादन से संबंधित है. पाकिस्तान ऐसा देश है जहां दुनिया में सबसे अधिक मवेशी हैं लेकिन जब बात उत्पादन की आती है तो नतीजा बेहद खराब है. देश की आबादी का 20 प्रतिशत हिस्सा जीवन बिताने के लिए मवेशियों पर निर्भर है लेकिन सरकार ने इस ओर कम ही ध्यान दिया है. मवेशियों के सहारे जीवन बिताने वाले लोग अभी तक गरीबी में ही जीवन जी रहे हैं.

पंजाब के रहने वाले 65 साल के अब्दुल राशिद कहते हैं, "मैंने अपना वक्त मवेशियों का पीछा करते हुए बिताया है लेकिन उससे इतनी कमाई नहीं होती कि हमारा जीवन चल सके. हम दूर दराज इलाकों से दूध इकट्ठा करते हैं और फिर उसे बेचते हैं. लेकिन हमारे पास बाजार ही नहीं है. कोई नहीं है जो हमारी मदद करता."

राशिद जैसे लोगों की मदद का जिम्मा अब इकबाल करते हैं. अच्छे दूध के उत्पादन के लिए अच्छी नस्ल के पशुओं की जरूरत होती है. इकबाल यही काम कर रहे हैं. वह पाकिस्तानी गायों और विदेशी सांड़ों के मिले जुले नस्ल की गाय पैदा कराते हैं, जो अच्छा दूध देती हैं. इकबाल की इस मुहिम को नेस्ले जैसी अंतरराष्ट्रीय कंपनी का भी साथ मिल रहा है. नेस्ले पंजाब के किसानों को मवेशियों के पालन पोषण और उन्हे तंदुरुस्त बनाए रखने का प्रशिक्षण दे रहा है ताकि ज्यादा से ज्यादा दूध का उत्पादन किया जा सके.

दूध के प्रसंस्करण के लिए कई जगह कोल्ड स्टोरेज भी तैयार किए जा रहे हैं. पाकिस्तान में एक गाय सालाना 420 गैलन दूध देती है. इकबाल की इच्छा है कि इस उत्पादन को बढ़ाकर इस्राएली होलस्टाइन गाय के बराबर किया जाय जो साल में 3300 गैलन दूध देती है. अगर इकबाल का सपना पूरा हो सका तो पाकिस्तन के लाखों किसानों की जिंदगी में बड़ा बदलाव आएगा.

वीडी/एजेए (रॉयटर्स)