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पाकिस्तान में नाटो पर हमलाः 16 मरे

२१ मई २०११

अफगानिस्तान में तैनात जवानों के लिए तेल ले जा रहे एक टैंकर पर पाकिस्तान में हमला हुआ, जिसमें कम से कम 16 लोग मारे गए. ओसामा बिन लादेन के सफाए के बाद पाकिस्तान में हिंसा बढ़ रही है.

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तस्वीर: picture alliance/dpa

पाकिस्तान के वजीराबाद प्रांत के खैबर इलाके में तोरखाम सीमा के पास यह हमला हुआ. एक चरमपंथी गुट ने हमले की जिम्मेदारी ले ली है. खैबर में एक स्थानीय पुलिस अधिकारी ने बताया, "रात एक धमाके के बाद इस टैंकर में आग लग गई थी. लेकिन आज सुबह इसी टैंकर में फिर से विस्फोट हुआ और इसके आस पास जमा 16 लोग मारे गए. ये लोग टैंकर से तेल लूटने के लिए जमा हुए थे."

Anschläge auf NATO-Tanklaster in Pakistan
तस्वीर: AP

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि पहला धमाका बम विस्फोट से हुआ. इसी इलाके में नाटो के 16 और ट्रकों पर शुक्रवार की रात हमला किया गया. इससे उनमें आग लग गई. हालांकि किसी के हताहत होने की खबर नहीं है.

दो मई को पाकिस्तान के एबटाबाद में अल कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद तालिबान और चरमपंथी गुटों ने पाकिस्तान के अंदर हिंसा तेज कर दी है. पाकिस्तानी तालिबान से संबंध रखने वाले अब्दुल्लाह अज्जाम ब्रिगेड ने नाटो के काफिले पर हमले की जिम्मेदारी ली है. इसके प्रवक्ता अबु मुसाब का कहना है, "यह अमेरिका के खिलाफ हमारा जिहाद है. हम अपने इलाके से नाटो की सप्लाई रोकना चाहते हैं."

लेकिन लंडीकोटाल इलाके के लोग अचानक जमा हो गए 15 ताबूतों को देख कर सन्न हैं. इन्हीं ताबूतों के पास जला हुआ ट्रक भी नजर आ रहा है. इन हमलों के एक ही दिन पहले पाकिस्तान में तालिबान ने पेशावर के अमेरिकी वाणिज्य दूतावास पर हमला किया था. उसमें भी एक पाकिस्तानी नागरिक मारा गया. उस हमले में दो अमेरिकी नागरिक जख्मी भी हुए.

अल कायदा प्रमुख बिन लादेन के पाकिस्तान में मिलने के बाद अमेरिका के साथ उसके रिश्ते बेहद कड़वे हो गए हैं. अमेरिकी जांच एजेंसी सीआईए ने साफ कर दिया है कि बिन लादेन पर हमले के बारे में पाकिस्तान सरकार या किसी और तंत्र को जानकारी नहीं दी गई. बिन लादेन लगभग पांच साल तक पाकिस्तान में रहा और अमेरिका का कहना है कि बिना किसी बड़े सहयोग के वह इतना लंबा वक्त किसी एक जगह पर नहीं रह सकता था. अमेरिका के अंदर पाकिस्तान विरोधी भावनाएं बढ़ रही हैं और कुछ सांसदों ने मांग की है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में ईमानदारी से अमेरिका का साथ देने की प्रतिबद्धता न दिखाए, उसे मिलने वाली अरबों डॉलर की मदद को रोक दिया जाना चाहिए.

अमेरिका का कहना है कि अफगानिस्तान में तैनात नाटो की सेना के लिए 40 फीसदी रसद और ईंधन पाकिस्तान के रास्ते पहुंचाई जाती है. बची हुई चीजों में से 40 फीसदी अफगानिस्तान के दूसरे पड़ोसियों के रास्ते पहुंचाई जाती है, जबकि बाकी का 20 प्रतिशत हवाई मार्ग से जाता है.

पाकिस्तान में तालिबान इस बात का विरोध करता है कि सरकार अमेरिका का साथ देती है. तालिबान ने इस दौरान बड़ी संख्या में आत्मघाती हमलों की चेतावनी दी है. अफगानिस्तान सीमा पर पाकिस्तान सरकार का भी ज्यादा दखल नहीं है और वहां तालिबान फल फूल रहे हैं.

रिपोर्टः रॉयटर्स/ए जमाल

संपादनः एस गौड़