पाकिस्तान ने आगजनी के लिए दी दो को दी मौत की सजा
२२ सितम्बर २०२०पाकिस्तान की एक अदालत ने राजनीतिक दलों के दो कार्यकर्ताओं को कराची में एक गार्मेंट फैक्टरी में आग लगाने के लिए मौत की सजा सुनाई है. 2012 में फैक्टरी के मालिकों द्वारा रिश्वत देने से मना करने पर फैक्टरी में आग लगा दी गई थी. इसमें 260 लोग मारे गए थे.
अदालत ने फैक्टरी के चार पहरेदारों को भी उम्रकैद की सजा सुनाई है. उनपर आगजनी में मदद देने और गेट बंद कर देने का आरोप था. इसकी वजह से फैक्टरी में काम करने वाले मजदूर आग से बचने के लिए भाग नहीं पाए. अदालत ने मुत्तहिदा कौमी मूवमेंट के चार सीनियर सदस्यों को आरोपों से बरी कर दिया जिन्हें हमले के लिए जिम्मेदार माना जा रहा था.
गार्मेंट फैक्टरी में हुई आगजनी ने पाकिस्तान में फैक्टरियों में सुरक्षा नियमों के उल्लंघन की ओर ध्यान खींचा जहां फैक्टरियों के मालिक स्थानीय अधिकारियों को रिश्वत देकर जांच से बच जाते हैं और न तो फाइन चुकाते हैं और न ही कर्मचारियों की सुरक्षा पर ध्यान देते हैं. जिन दो लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई है वे एमक्यूएम के सदस्य थे. ये भारत के विभाजन के समय पाकिस्तान गए लोगों की पार्टी है जिन्हें मुजाहिर कहा जाता है. इस पार्टी का सालों तक कराची में दबदबा रहा है. उस समय हत्या, आगजनी, अपहरण और फिरौती कराची में आम हुआ करता था.
अदालत के फैसले के बाद एमक्यूएम के प्रवक्ता फैसल सब्जवारी ने एक ट्वीट में कहा है कि अदालत का फैसला दिखाता है कि आगजनी में पार्टी की कोई भूमिका नहीं थी. सब्जवारी ने आगजनी में मारे गए परिवारों के साथ संवेदना व्यक्त की.
पाकिस्तानी अधिकारियों ने दोनों मुख्य अभियुक्तों को इंटरपोल की मदद से सऊदी अरब और थाइलैंड में पकड़ा था. काफी समय तक चले मुकदमे में 400 गवाहों की सुनवाई हुई. जर्मनी में किफायती कपड़ा बेचने वाला स्टोर किक कराची की गार्मेंट फैक्टरी का मुख्य खरीदार था.
पाकिस्तान में तब तक की सबसे बड़ी औद्योगिक दुर्घटना में किक ने कर्मचारियों की मदद के लिए स्वेच्छा से 62 लाख डॉलर की मदद दी थी. इसके पहले एक टेक्सटाइस वर्कर और मृतकों के तीन परिजनों ने किक पर हर्जाने के लिए मुकदमा किया था. जर्मन अदालतों ने 2019 में मुकदमा यह कहकर खारिज कर दिया था कि पाकिस्तानी कानून के हिसाब से दावे की अवधि खत्म हो चुकी थी.
एके/एमजे (एपी, डीपीए)
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