पाकिस्तान को विशाल मदद, ओबामा की मुहर
१६ अक्टूबर २००९ओबामा ने गुरुवार सवेरे न्यू ऑर्लियन्स शहर के एक दौरे पर जाने से पहले बिना किसी धूमधाम के विधेयक पर हस्ताक्षर किए. दरअसल विधेयक को लेकर पाकिस्तान में हुई व्यापक आलोचना ने किसी प्रदर्शनपूर्ण आयोजन का अमेरिकी उत्साह ठंडा कर दिया था. सहायता की शर्तों को लेकर अमेरिका पर पाकिस्तानी प्रभुसता के उल्लंघन के आरोप लगाए गए हैं. हालांकि इस आलोचना की धार कुंद करने की कोशिश में पाकिस्तानी विदेशमंत्री शाह महमूद क़ुरैशी अपनी वॉशिंगटन यात्रा से इस्लामाबाद पहुंचने के एक सप्ताह के अंदर फिर वॉशिंगटन लौट आए थे. लेकिन व्हाइट हाउस ने विधेयक में कोई वक्तव्य जोड़ने के उनके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया.
व्हाइट हाउस ने गुरुवार को इस क़ानून में शामिल विवादास्पद धाराओं का कोई उल्लेख नहीं किया. प्रवक्ता रॉबर्ट गिब्स ने एक वक्तव्य में कहा, "यह क़ानून अमरीका में पाकिस्तान के लिए मौजूद व्यापक समर्थन की ठोस अभिव्यक्ति है, जैसाकि उसके, कांग्रेस के दोनों सदनों में द्विदलीय आधार पर एकमत से पास होने से साबित होता है."
विधेयक की आलोचना का एक मुद्दा यह था कि इसमे अमेरिका सरकार पर यह सुनिश्चित करने की शर्त लागू की गई कि पाकिस्तानी सेना देश के घरेलू मामलों में दख़ल नहीं दे, बल्कि इस्लामी उग्रवादियों से निपटे. ज़ाहिर है, इस शर्त से पाकिस्तानी सेना ख़ुश नहीं है.
विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता रॉबर्ट वुड ने कहा कि पाकिस्तानी विदेशमंत्री क़ुरैशी वॉशिंगटन से आश्वस्त होकर लौटे हैं कि अमेरिका सरकार, पाकिस्तान पर कोई शर्तें लागू करने की कोशिश नहीं कर रही है, उन्होंने कहा, "हमने यह बहुत स्प्ष्ट कर दिया है कि कैरी लूगर बर्मन विधेयक में कुछ बातों का संबंध जवाबदेही की ज़रूरतों से है, जिनका प्रशासनिक शाखा को पालन करने की आवश्यकता है."
बुधवार को सैनेटर जॉन कैरी और प्रतिनिधिसभासद हॉवर्ड बर्मन ने क़ुरैशी को एक दस्तावेज़ दिया था, जिसमें कहा गया कि सहायता योजना में पाकिस्तान पर कोई शर्तें लागू नहीं की गई हैं. प्रवक्ता वुड ने उस ओर तवज्जो दिलाते हुए कहा, "मैं आपका ध्यान उस वक्तव्य की ओर आकर्षित करना चाहूंगा, जो सैनेटर कैरी, सैनेटर लूगर और सैनेटर बर्मन ने जारी किया है और जिसमें पाकिस्तान को आश्वस्त किया गया है कि अमरीका उसकी प्रभुसता का उल्लंघन नहीं कर रहा है. और कि यह विधेयक अमेरिकी जनता के पाकिस्तान की सरकार और उसकी जनता में विश्वास का संकेत है."
हालांकि क़ुरैशी ने अपनी इस दो दिन की यात्रा में उपराष्ट्रपति जो बाइडन, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेम्स जोन्स, अमरीकी सर्वोच्च सेनाध्यक्ष माइक मुलन और अमरीका के विशेष प्रतिनिधि रिचर्ड हॉल्ब्रुक से मुलाक़ात की.
रिपोर्ट: गुलशन मधुर, वॉशिंगटन
संपादन: ओ सिंह