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पाकिस्तान की महिला जेल में योग

१८ अगस्त २०११

दुनिया भर में योग लाखों लोगों को मन की शांति दे रहा है. पाकिस्तान की महिला जेल में कैदियों को योग सिखाया जा रहा है. योग सीखने के बाद कैदी अपने अंदर बड़ा बदलाव महसूस कर रहे हैं.

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Geistige Erholungतस्वीर: shoot4u/Fotolia

पाकिस्तान की एक मात्र महिला जेल की ऊंची ऊंची दीवारों और गेट से रोज सदफ फरार हो जाती हैं. लेकिन सिर्फ अपने ख्यालों में वह ऐसा कर पाती हैं. पाकिस्तान के वाणिज्यिक हब कराची की जेल में सदफ बंद है. पतली दुबली सी दिखने वाली सदफ अपहरण की दोषी है और 1998 से इसी जेल में बंद है. लेकिन वह कहती है कि योग की वजह से वह अब शांत और आशावादी हो गई है. जेल में चलाए जा रहे योग कार्यक्रम का वह शुक्रिया अदा करती है.

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तस्वीर: Susanne Hiepel

जेल के आंगन में समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बातचीत करते हुए सदफ कहती है, "हालांकि मेरे आस पास का माहौल नहीं बदला है लेकिन मेरी जिंदगी जरूर बदल गई है. मैं योग का इसके लिए शुक्रिया अदा करती हूं." जेल में बंद दूसरी और कैदियों के साथ सदफ योग क्लास ले रही है. इन लोगों को पिछले डेढ़ साल से स्वयंसेवी योग प्रशिक्षक आएशा छापड़ा योग के गुण बता रही हैं.

पाकिस्तान की जेल हिंसा के लिए बदनाम है लेकिन जेल के वार्डन और प्रशासन को भरोसा है कि योग इन लोगों को नई जिंदगी शुरू करने में मदद करेगा. कराची जेल में बंद कुछ कैदी आने वाले दिनों में रिहा होने वाली हैं. पुलिस अधिकारी शीबा शाह कहती हैं, "योग अभ्यास शुरू करने के बाद मैंने इन लड़कियों में बदलाव देखा है. उनके अंदर तनाव कम हुआ है और अब आप उनमें सकारात्मक रवैया देख सकते हैं."

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तस्वीर: Susanne Hiepel

छापड़ा ने भोपाल सेंट्रल जेल से प्रेरणा ली है. भोपाल जेल में कैदियों को योग सिखाया जाता है. योग शुरू होने से वहां की जेल में हिंसक घटनाएं कम हुई हैं और कैदी अपने गुस्से को काबू करना सीख गए हैं.

भारत सरकार कैदियों को योगाभ्यास करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है. 3 महीने के योग कार्यक्रम में शामिल होने वाले हर कैदी की सजा 15 दिन कम कर दी जाती है. लेकिन ऐसा प्रोत्साहन पाकिस्तान में नहीं है. योग ने छापड़ा के भी घाव भरे हैं.

2009 में पति से अलग होने के बाद टोरंटो से वह पाकिस्तान आईं. अपने समय का सही इस्तेमाल करने के लिए वह योग की तरफ बढ़ी. छापड़ा कहती हैं, "योग ने मुझे जिंदा रहने में मदद की. योग ने मेरे घाव भर दिए. तब मुझे लगा कि मुझे और लोगों की भी मदद करनी चाहिए. खासकर जो लोग इसका खर्च नहीं उठा सकते हैं."

अक्टूबर 2009 से छापड़ा जेल में बंद कैदियों को योग सिखा रही हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/ASA

अपहरण के आरोप में तीन साल से जेल में बंद यासमीन आरिफ कहती हैं, "योग ने मुझे मन की शांति दी है. इसने मेरे सारी परेशानी ले ली है. "

छापड़ा से योग सीखने वाली महिला कैदी कहती हैं कि योग उनके वर्तमान और भविष्य की संभावनाओं के लिए महत्वपूर्ण है. 24 साल की सदफ दिखने में 10 साल ज्यादा बड़ी लगती है. उसका कहना है, "मैं योग की आदी हो चुकी हूं. मुझे पता है कि जब मैं बाहर जाऊंगी तो जिंदगी जीने के लिए जो जरूरी औजार हैं वह मेरे पास होंगे." सदफ अगले महीने जेल से रिहा होने वाली है.

रिपोर्ट: रॉयटर्स/ आमिर अंसारी

संपादन: महेश झा

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