पहली बार खलनायिका जूही
४ मई २०१३जूही पहली बार माधुरी दीक्षित के साथ गुलाबी गैंग में नजर आएंगी जिसमें उन्होंने विलेन का किरदार निभाया है. एक निजी कार्यक्रम के सिलसिले में कोलकाता आई इस अभिनेत्री ने अपनी यादों और भावी योजनाओं को डायचे वेले के साथ साझा किया. उनसे बातचीत के प्रमुख अंशः
आपकी पहली फिल्म कयामत से कयामत तक के 25 साल पूरे हो गए हैं. अब पीछे मुड़ कर देखना कैसा लगता है?
वह फिल्म मेरे करियर के लिए नींव का पत्थर साबित हुई थी. इसलिए मैं उससे भावनात्मक रूप से जुड़ी हूं. अगर इसका रीमेक बनाया गया तो मैं और आमिर खान उसमें जरूर काम करेंगे. इस फिल्म ने एक जादू पैदा कर दिया था. वह तब तक बनने वाली दूसरी तमाम फिल्मों से अलग थी. हम सब लोग नए थे. इसलिए उस फिल्म में काम करने के दौरान हमारे ऊपर किसी तरह का कोई दबाव नहीं था.
नासिर हुसैन के बेटे मंसूर खान ने उस फिल्म का निर्देशन किया था. आपने बड़ी कामयाबी के बावजूद दोबारा उनके निर्देशन में काम नहीं किया?
मुझे इसका अफसोस है. लेकिन उसकी वजह यह है कि कयामत से कयामत के बाद मंसूर ने महज दो ही फिल्में बनाईं. मंसूर एक परफेक्शनिस्ट होने के बावजूद सीधे-सादे इंसान हैं.
कयामत से कयामत तक को आपकी पहली फिल्म कहा जाता है ?
इस फिल्म ने मेरी पहचान जरूर बनाई. लेकिन उससे पहले मैं सल्तनत में भी काम कर चुकी थी. यह बात अलग है कि वह भूमिका इतनी छोटी थी कि पलक झपकते ही खत्म हो जाती थी. फिर भी उसके अनुभव ने मुझे बेहतर काम करने की प्रेरणा दी.
क्या उस फिल्म का दुखद अंत पहले से ही तय था?
हमने उसके लिए दो तरह का क्लाइमेक्स फिल्माया था. एक दुखद था और दूसरा सुखद. बाद में निर्माता और निर्देशक ने अंत को दुखद रखने का फैसला किया. इस बारे में हमसे कोई सलाह नहीं ली गई थी.
सफर के इस पड़ाव पर आकर अपनी किस फिल्म को आप सबसे बेहतर मानती हैं ?
कयामत से कयामत तक की वजह से ही मैं आज भी फिल्मोद्योग में हूं. आईना, डर, हम हैं राही प्यार के, यस बॉस, बोल राधा बोल और राजू बन गया जेंटलमैंन में निभाई गई भूमिकाएं भी मुझे पसंद हैं. लेकिन कयामत से कयामत तक की बात कुछ खास है.
आप गुलाबी गैंग में पहली बार निगेटिव किरदार निभा रही हैं. यह फिल्म कैसी है ?
यह फिल्म बुदंलेखंड इलाके में संपत पाल की अगुवाई में सामाजिक अन्याय और महिला अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाली महिलाओं के कामकाज से प्रेरित है. इसमें मैं पहली बार निगेटिव किरदार निभा रही हूं. इसके अलावा माधुरी दीक्षित के साथ भी पहली बार काम कर रही हूं. माधुरी इस पिल्म में हीरोइन का किरदार निभा रही हैं.
अपने 27 साल के फिल्मी सफर को आप कैसे देखती हैं ?
लंबे सफर में कुछ फैसले सही होते हैं तो कुछ गलत भी होते हैं. कामयाबी की ऊंचाइयों को छूने के दौरान कई बार कुछ फैसलों में अहम आड़े आ जाता है. राजा हिंदुस्तानी का आफर पहले मुझे मिला था. उसके बाद दिल तो पागल है में करिश्मा कपूर का रोल भी पहले मुझे ही मिला था. लेकिन मैंने मना कर दिया था.
इंटरव्यूः प्रभाकर, कोलकाता
संपादनः निखिल रंजन