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परमाणु ऊर्जा और प्राकृतिक गैस यूरोप के लिए टिकाऊ ऊर्जा बने

२ फ़रवरी २०२२

प्राकृतिक गैस और परमाणु ऊर्जा की परियोजनाओं में निवेश को कुछ विशेष परिस्थितियों में टिकाऊ माना जा सकता है. खासकर परमाणु ऊर्जा पर कुछ सदस्य देशों के भारी विरोध के बावजूद यूरोपीय संघ ने नई नीति को मंजूरी दे दी है.

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जापान का फुकुशिमा परमाणु संयंत्र.
परमाणु ऊर्जा को कुछ शर्तों के साथ टिकाऊ ऊर्जा के दायरे में रख दिया गया है. तस्वीर: Kimimasa Mayama/Epa/dpa/picture alliance

यूरोपीय संघ के आर्थिक मामलों के आयुक्त मायरीड मैकगिनिज ने बुधवार को ब्रसेल्स में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा, "आज की यह कार्रवाई पूरी तरह से सही नहीं हो सकती लेकिन फिलहाल यही सही समाधान है. यह हमें कार्बन न्यूट्रलिटी के अंतिम लक्ष्य की ओर ले जाएगी." अगर यूरोपीय संघ के ज्यादातर सदस्य देश या फिर यूरोपीय संसद इस पर आपत्ति नहीं करती है तो विवादित माना जा रहा यह विधेयक अगले चार से छह महीने में लागू हो जाएगा.

इसका मकसद निजी निवेश को उस तरफ ले जाना है जिससे कि यूरोपीय संघ 2050 तक ऊर्जा क्षेत्र में सुधार के जरिए ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को पूरी तरह से शून्य पर ले जाने के पर्यावरण लक्ष्य को हासिल कर सके.

क्यों विभाजित हैं ईयू के देश

यूरोपीय संघ के देश इस पर विभाजित हैं, बावजूद इसके यह कदम उठाया गया है. पर्यावरण संगठन और निजी क्षेत्र ने भी इसे लेकर काफी विरोध जताया है. मैकगिनिज ने यूरोपीय आयोग में ही इसे लेकर विभाजन की आशंकाओं को खारिज करने की भी कोशिश की. उनका कहना है कि यूरोपीय संघ के साथी अधिकारियों ने इस फैसले को सहमति से मंजूरी दी है.

नॉर्ड स्ट्रीम 2 गैस पाइपललाइन
जर्मनी ने रूस से गैस मंगाने के लिए नई पाइपलाइन बनवाई है.तस्वीर: Sean Gallup/Getty Images

विरोध करने वालों की दलील है कि गैस और परमाणु ऊर्जा पर्यावरण के लिए उपयुक्त नहीं हैं. हालांकि आयोग का मानना है कि तकनीकों को अक्षय ऊर्जा की तरफ ले जाने के लिए यह करना जरूरी है. मैकगिनिज ने अपने फैसले के पक्ष में दलील रखी, "हमें अपने सारे उपायों का इस्तेमाल करने की जरूरत है जिससे कि क्लाइमेट न्यूट्रलिटी के लक्ष्य को हासिल कर सकें क्योंकि अब हमारे पास महज 30 साल ही बचे हैं."

कार्बन उत्सर्जन घटाने की कोशिश

नए वर्गीकरण के मुताबिक गैस से चलने वाले ऊर्जा संयंत्रों को 2030 से पहले तक पर्यावरण के लिए उपयुक्त माना जा सकता है बशर्ते कि उनसे निकलने वाला उत्सर्जन 270 ग्राम कार्बन डाइ ऑक्साइड प्रति किलोवाट घंटा से कम हो. परमाणु ऊर्जा से चलने वाले बिजली के संयंत्र भी इस दायरे में तभी आएंगे जबकि वह नवीनतम तकनीकी मानकों को पूरा करें और उसके पास परमाणु कचरे को देर से देर 2050 तक निपटाने की स्वीकृत योजना हो.

फ्रांस का ईपीआर फ्लामानविल न्यूक्लियर पावर स्टेशन.
फ्रांस परमाणु उर्जा का उत्पादन करने वाले शीर्ष देशों में है.तस्वीर: AFP

आलोचकों का कहना है कि लंबे समय के लिए रेडियोधर्मिता का खतरा और पर्यावरण को होने वाला नुकसानकार्बन उत्सर्जन ना होने से कहीं बड़ा है. उनका यह भी दावा है कि गैस जैसे जीवाश्म ईंधन भी इस वर्ग में जगह हासिल कर लेंगे. पर्यावरण के लिए काम करने वाली संस्था ग्रीनपीस ने आयोग पर "विज्ञान विरोधी योजना" के जरिए "पर्यावरण कोष" की चोरी करने की कोशिश का आरोप लगाया है.

पर्यावरण संगठनों का विरोध

ग्रीनपीस की कैंपेनर अरियादना रोड्रिगो ने एक बयान जारी कर कहा है कि यूरोपीय संघ की कार्यकारिणी, "अक्षय ऊर्जा के स्रोतों से अरबों यूरो लेकर उन्हें ऐसी तकनीकों में डूबोने की कोशिश कर रही है जो जलवायु संकट से लड़ने के लिए या तो कुछ नहीं करते या फिर समस्या को और विकराल बनाने में सक्रिय हैं जैसे कि जीवाश्म गैस."

वर्ल्डवाइल्डलाइफ फंड ने समाचार एजेंसी डीपीए को ईमेल भेज कर कहा है कि यूरोपीय संघ के अधिकारी पोलैंड, हंगरी और फ्रांस की गुटबाजी के आगे झुक गए हैं. संस्था ने चेतावनी दी है कि इसके बाद "ग्रीनवाशिंग की सूनामी" आएगी. ग्रीनवाशिंग शब्द का इस्तेमाल ऐसे कामों के लिए किया जाता है जो पर्यावरण के लिए उपयुक्त होने का जितना दावा करते है वास्तव में उतने होते नहीं.

परमाणु संयंत्र बंद कराने के लिए 35 साल लंबा संघर्ष

ईयू में मतभेद की वजह

यूरोपीय संघ के सदस्य देशों का समर्थन उनकी अलग अलग आर्थिक प्राथमिकताओं को दिखाता है और साथ ही यह भी कि ये देश कैसे ऊर्जा पैदा करते हैं. सरकारें परमाणु ऊर्जा, गैस या फिर अक्षय ऊर्जा के मामले में बंटी हुई हैं. फ्रांस दुनिया में परमाणु ऊर्जा पैदा करने के मामले में शीर्ष देशों में है.

फ्रांस ने पोलैंड और हंगरी के समर्थन से परमाणु ऊर्जा को इस वर्ग में शामिल करवाने के लिए दबाव बनाया है. दूसरी तरफ जर्मनी में गैस को लेकर समर्थन का भाव मजबूत है लेकिन वह परमाणु ऊर्जा के विरोधमें है. इसी तरह कुछ समय पहले तक यूरोपीय संघ का सदस्य रहे ब्रिटेन ने गैस में निवेश को लेकर लचीलापन दिखाने की बात कही है.

एनआर/एमजे (डीपीए)

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