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बिहार में देर रात क्यों खुली कोर्ट

मनीष कुमार, पटना
१२ मई २०२१

ना कोई संवैधानिक संकट की स्थिति ना किसी व्यक्ति ने फांसी जैसी सजा रोकने की गुहार लेकिन फिर भी मधेपुरा में रात 11 बजे कोर्ट खुली, एक पूर्व सांसद को पेश किया गया और अदालत ने उन्हें जेल भेजने का निर्देश सुनाया.

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Indien Verhaftung Pappu Yadav
तस्वीर: IANS

गिरफ्तार होने वाले पूर्व सांसद हैं जन अधिकार पार्टी के प्रमुख राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव जो मधेपुरा से सांसद रहे हैं. पप्पू यादव ने कुछ दिन पहले छपरा के बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूडी के क्षेत्र में एंबुलेंस को छिपाकर रखने का मामला उठाया था. इस प्रकरण में पप्पू यादव के खिलाफ सारण के अमनौर थाने में दो एफआइआर दर्ज हैं. कोरोना महामारी की इस विकट घड़ी में पप्पू यादव जरूरतमंद लोगों को ऑक्सीजन, बेड व जीवनरक्षक दवाएं उपलब्ध कराने की कोशिश कर रहे थे. कई लोगों को इनकी वजह से मदद भी मिली. पटना में पहले तो उन्हें कोविड वार्ड में हंगामा करने व लॉकडाउन के उल्लंघन में हिरासत में लिया गया फिर उन्हें वर्षों पुराने अपहरण के एक मामले में गिरफ्तार कर लिया गया.
बीते मंगलवार की सुबह पटना में अपने आवास पर कार्यकर्ताओं के साथ चर्चा कर रहे थे कि टाउन डीएसपी सुरेश प्रसाद के नेतृत्व में पटना के तीन थानों की पुलिस पहुंची और उन्हें कोरोना गाइडलाइन के उल्लंघन के आरोप में हिरासत में ले लिया. उन्होंने पुलिस को लिखित आश्वासन भी दे दिया कि कोरोना के दौर में वे घर से बाहर नहीं निकलेंगे. लेकिन, पुलिस नहीं मानी और उन्हें गांधी मैदान थाने ले आई. पप्पू यादव और उनके अज्ञात समर्थकों पर पटना के पीरबहोर थाने में आपदा कानून के उल्लंघन व चिकित्सकीय कार्य में बाधा डालने के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई गई थी. पीएमसीएच में प्रतिनियुक्त मजिस्ट्रेट रास बिहारी दूबे तथा पुलिस अधिकारी चंदेश्वर प्रसाद के बयान पर यह एफआईआर दर्ज हुई थी. इस मामले में उन्हें पर्सनल बांड व अनुसंधान के क्रम में जरूरत पडऩे पर पुलिस के समक्ष उपस्थित होने के लिखित आश्वासन पर थाने से जमानत मिल गई. किंतु उन्हें थाने से छोड़ा नहीं गया. पटना के एसएसपी उपेंद्र प्रसाद के अनुसार पप्पू यादव जब उनकी कस्टडी में थे तभी मधेपुरा के एसपी का संदेश मिला कि उन्हें मधेपुरा की अदालत से जारी वारंट के आधार पर गिरफ्तार करना है. इसलिए उन्हें नहीं छोड़ा जाए.

32 साल पुराने मामले में हुई गिरफ्तारी
पप्पू यादव को मधेपुरा जिले के मुरलीगंज थाने में वर्ष 1989 में दर्ज अपहरण के एक मामले में मधेपुरा पुलिस ने गिरफ्तार किया है. इस मामले में पप्पू यादव समेत 12 लोगों पर रामकुमार नामक व्यक्ति के अपहरण का आरोप लगाया गया था. रामकुमार के पिता ने यह प्राथमिकी दर्ज कराई थी. मधेपुरा के एसपी योगेंद्र कुमार के अनुसार पिछले साल सितंबर महीने में एसीजेएम की अदालत ने पप्पू यादव के खिलाफ गैर जमानती वारंट निकाला था. वे इस मामले में लगातार अदालत में उपस्थित नहीं हो रहे थे. इसके बाद इस साल 22 मार्च को उनके खिलाफ कुर्की-जब्ती का वारंट जारी किया गया. जिसमें कुमारखंड थाना क्षेत्र अंतर्गत खुर्दा गांव में उनकी संपत्ति को अटैच करने का निर्देश दिया गया था. एसपी ने कहा, इसी मामले में पूर्व सांसद की गिरफ्तारी की गई है.

Indien Verhaftung Pappu Yadav
तस्वीर: Indrajit Dey/IANS

पटना के गांधी मैदान थाने में आठ घंटे रखने के बाद डीएसपी सतीश कुमार के नेतृत्व में कुमारखंड थाने की पुलिस करीब शाम 6 बजे पूर्व सांसद को गिरफ्तार कर पटना से मधेपुरा के लिए रवाना हो गई. पुलिस टीम को हाजीपुर में पप्पू यादव के समर्थकों के विरोध का सामना करना पड़ा. मधेपुरा पहुंचने तक करीब 30 गाड़ियों का काफिला उनके साथ था. देर रात मधेपुरा पहुंचने पर उन्हें सीधे न्यायालय ले जाया गया. जहां अदालत में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए उनकी पेशी हुई. सुनवाई के बाद अदालत ने पूर्व सांसद पप्पू यादव को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में सुपौल जिले के वीरपुर जेल भेजने का निर्देश दिया.

'तेजस्वी सड़क पर उतरें'
मधेपुरा में गिरफ्तारी के पहले पप्पू यादव ने कहा कि बीजेपी के दबाव में नीतीश कुमार उनकी बलि लेना चाह रहे हैं. उन्होंने आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव से सड़क पर अस्पतालों में दवा लेकर जाने की अपील की. उन्होंने लालू प्रसाद से आग्रह किया कि वे बिहार को बचाने आगे आएं. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे मरने से डर लगता तो गॉल ब्लाडर के ऑपरेशन के बाद बेडरेस्ट व परिवार को छोड़ अस्पताल से श्मशान तक नहीं भटकता. मेरी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई है. अगर मुझे कुछ हुआ तो इसके लिए नीतीश कुमार जिम्मेदार होंगे.'' पूर्व सांसद ने यह भी कहा "जो मामला हाईकोर्ट में लंबित है, उसमें कोरोना काल में गिरफ्तारी क्या जरूरी थी. और फिर इतने दिनों तक पुलिस कहां रही. मुझे बलि का बकरा बनाया जा रहा है."
 

Indien | BJP MPs Rudy und Pappu Yadav
तस्वीर: IANS

गिरफ्तारी का विरोध 
पप्पू यादव की गिरफ्तारी को लेकर बिहार में राजनीति गर्म हो गई है. विपक्षी तो दूर, नीतीश सरकार की दो सहयोगी पार्टियों, हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) और विकासशील इंसान पार्टी (वीआइपी) ने भी इस कार्रवाई का विरोध करते हुए एतराज जताया है. हम प्रमुख व पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने ट्वीट कर कहा कि कोई जन प्रतिनिधि अगर दिन-रात जनता की सेवा करे और उसके एवज में उसे गिरफ्तार किया जाए, ऐसी घटना मानवता के लिए खतरनाक है. ऐसे मामलों की पहले न्यायिक जांच हो तब ही कोई कार्रवाई होनी चाहिए नहीं तो जन आक्रोश लाजिमी है. वहीं वीआइपी प्रमुख मुकेश सहनी ने अपने ट्वीट में कहा है कि जनता की सेवा ही धर्म होना चाहिए. सरकार को जन प्रतिनिधि, सामाजिक संस्था एवं कार्यकर्ता को आमजन के मदद के लिए प्रेरित करना चाहिए.

बीजेपी एमएलसी रजनीश कुमार ने भी ट्वीट कर इस गिरफ्तारी पर विरोध जताया है. पप्पू यादव की पत्नी व पूर्व सांसद रंजीता रंजन ने कहा कि उनके पति को साजिशन गिरफ्तार किया गया है और उनके जीवन के लिए यह खतरा है. अगर उन्हें कुछ हुआ तो इसके लिए बिहार की एनडीए सरकार, खासकर नीतीश कुमार जिम्मेदार होंगे. उन्होंने कहा, ‘‘कोरोना महामारी की इस घड़ी में घर-परिवार को छोडक़र वे लोगों की सेवा में लगे थे. विपदा की इस घड़ी में यह कतई उचित कदम नहीं है.''

Indien | BJP MPs Rudy und Pappu Yadav
तस्वीर: IANS

आरजेडी, कांग्रेस और भाकपा माले ने भी पूर्व सांसद की गिरफ्तारी की निंदा की है. भाकपा माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने उन्हें तत्काल रिहा करने की मांग करते हुए कहा है कि क्या सरकार पप्पू यादव से एंबुलेंस घोटाला उजागर करने का बदला ले रही है. दूसरी तरफ जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने ट्वीट कर कहा है कि जनसेवा के नाम पर घटिया राजनीति करने वाले जाप प्रमुख की गिरफ्तारी प्रशासन द्वारा उठाया गया उचित कदम है. पप्पू यादव अपनी घटिया राजनीति चमकाने में लगे थे.
जानकार बताते हैं कि कानूनी प्रक्रिया पर कोई टिप्पणी कतई नहीं की जा सकती, किंतु कोरोना विपदा की इस घड़ी में उन्हें जिस तरह से गिरफ्तार किया गया, उसे उचित नहीं ठहराया जा सकता. खासकर इस वक्त जब सुप्रीम कोर्ट भी साफ कह चुकी है कि जेलों में भीड़ कम की जाए. शीर्ष अदालत अधिकारियों से साफ कह चुकी है कि ऐसे मामले में गिरफ्तारी से बचें, जिनमें अधिकतम सजा सात वर्ष की अवधि की है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यों को पत्र लिखकर इस दिशा में जल्द से जल्द कार्रवाई का आग्रह भी किया है. राज्य की 59 जेलों में करीब 52 हजार कैदी रह रहे हैं जबकि इनकी क्षमता 44 हजार की है. इसी भीड़ की वजह से जेलों में सोशल डिस्टेंशिंग का अनुपालन संभव नहीं हो सकता है. ऐसे में पेरोल व अंतरिम जमानत पर रिहाई नहीं की गई तो कैदियों को कोरोना का शिकार बनने से रोकना मुश्किल हो जाएगा.

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