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कला

पद्मावत पर फैसला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की जीत

१९ जनवरी २०१८

फिल्मकार श्याम बेनेगल ने विवादित फिल्म पद्मावत पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की जीत बताया है. संजय लीला भंसाली की फिल्म की रिलीज पर कुछ राज्यों में लगी रोक को न्यायालय ने हटा दिया है.

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Deepika Padukone
तस्वीर: Getty Images/AFP

सेंसर बोर्ड में बदलावों को सुझाने के लिए बनाई गई सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की समिति की अध्यक्षता कर चुके श्याम बेनेगल ने कहा कि एक बार केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) और सर्वोच्च न्यायालय ने फिल्म को हरी झंडी दिखा दी, तो अब कोई भी फिल्म की रिलीज रोक नहीं पाएगा.

सेंसर सर्टिफिकेट पाने के बावजूद राजस्थान, गुजरात और हरियाणा सरकारों ने अपने राज्यों में फिल्म की रिलीज पर प्रतिबंध लगा दिया था. बेनेगल ने कहा कि कुछ संगठनों द्वारा ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ का हवाला देते हुए 25 दिसम्बर को 'पद्मावत' की रिलीज पर प्रदर्शन करने की धमकी के मद्देनजर कानून-व्यवस्था की स्थिति को सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकारों को कार्रवाई करनी चाहिए. उन्होंने कहा, "स्पष्ट रूप से यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की जीत है."

Indien Kontroverse um Bollywood-Film "Padmavati"
तस्वीर: picture alliance/AP Photo/R. Maqbool

अंकुर, निशांत, मंथन और भूमिका जैसी सामाजिक रूप से प्रासंगिक फिल्मों के लिए पहचाने जाने वाले 83 वर्षीय निर्देशक फिल्म पर तब भी सवाल उठाए जाने से हैरान हैं, जब निर्माताओं ने स्पष्ट कर दिया है कि फिल्म 16वीं शताब्दी के कवि मलिक मुहम्मद जायसी के महाकाव्य 'पद्मावत' पर आधारित है. उन्होंने कहा, "आखिरकार, सीधी सी बात है कि 'पद्मावत' एक महाकाव्य है. यह 1526 में लिखा गया था, ना कि कल या आज. हमने साहित्यिक क्लासिक को स्वीकार किया है, जो 1526 से यहां है जब मलिक ने इसे लिखा था. और, अब तथ्य यह है कि कई-कई सालों बाद, कुछ छोटे संगठन यह कह रहे हैं कि यह उनकी भावनाओं को आहत कर रहा है. इसका क्या अर्थ है?"

सेंसर बोर्ड ने 'पद्मावत' को पिछले साल 30 दिसंबर को यू/ए प्रमाण पत्र देने का फैसला किया था. फिल्म का नाम 'पद्मावती' से बदलकर 'पद्मावत' कर दिया था, साथ ही पांच संशोधन किए थे. लेकिन, राजपूत संगठन श्री राजपूत कर्णी सेना अपनी मांग पर अड़ा है कि फिल्म प्रदर्शित नहीं की जानी चाहिए. इस पर बेनेगल ने कहा, "समस्या फैलाने वाले इन समूहों से निपटने में राज्य सरकारों को कुछ भी रोक नहीं रहा है. जब तक कि वे खुद ही इन लोगों के साथ मिली ना हों.

सुगंधा रावल (आईएएनएस)