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पदयात्रा कर रहा हूं, ड्रामा नहीं: राहुल

९ जुलाई २०११

उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती पर गहरी चोट करने के साथ राहुल गांधी ने चार दिनों की अपनी पदयात्रा पूरी कर ली. उन्होंने पदयात्रा को नौटंकी बताए जाने पर पैना वार किया और किसानों की जमीन लेने पर यूपी सरकार को खूब कोसा.

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तस्वीर: UNI

शनिवार को 70 किलोमीटर लंबी पदयात्रा पूरी करते हुए राहुल गांधी ने अलीगढ़ में कहा कि मायावती सरकार गोल्फ कोर्सों और रेस ट्रैकों के लिए किसानों की जमीन हड़प रही है. उन्होंने कहा कि उनकी पदयात्रा कोई नौटंकी नहीं है. उन्होंने मायावती सरकार पर कड़े शब्दों का इस्तेमाल करते हुए कहा कि यूपी के किसानों को जमीन खोने के बारे में तब पता चलता है, जब कोई बिल्डर आकर उनसे कहता है कि जमीन खाली करो, यह हमारी है.

उन्होंने कहा, "हम उत्तर प्रदेश में विकास या सड़कें बनाने के विरोध में नहीं हैं. लेकिन किसानों की जमीनें गोल्फ कोर्स, कॉलोनियां और रेस ट्रैक बनाने के लिए ली जा रही हैं. इस वजह से वे लोग नाराज हैं."

Rajiv Gandhi Todestag
तस्वीर: AP

गांधी का कहना है, "किसानों के मुताबिक जब लखनऊ में किसी अमीर व्यक्ति से उसकी जमीन ली जाती है तो उसे बाजार भाव दिया जाता है. अगर गरीब किसानों की बारी आती है तो उन्हें पीटा जाता है और सरकार उनसे बात भी नहीं करती है."

समझा जाता है कि राहुल गांधी के महापंचायत में 10,000 से 15,000 लोगों ने हिस्सा लिया. बारिश की वजह से अलीगढ़ में कार्यक्रम स्थल पर कई जगहों पर पानी भर गया. अपने कार्यक्रम पर आपत्ति जताने वालों को करारा जवाब देते हुए राहुल गांधी ने कहा कि उनकी यात्रा कोई ड्रामा नहीं था. मायावती सरकार ने ऐसा कहा. राहुल का कहना है, "एक नेता को लोगों के बीच जाकर बात करना चाहिए. मैं इसी बात में यकीन रखता हूं."

जमीन अधिग्रहण कानून के बारे में राहुल गांधी का कहना है कि कई किसान इससे चिंतित हैं क्योंकि कानून बहुत पुराना है. इससे किसानों को दिक्कत हो रही है. उन्होंने कहा, "हम ऐसा कानून लाने की कोशिश करेंगे, जिससे किसानों का फायदा हो. लेकिन सिर्फ कानून बदलने से काम नहीं चलेगा क्योंकि कानून तो हरियाणा में भी ऐसा ही है. लेकिन हरियाणा की सरकार किसानों को भरोसे में लेकर काम करती है. यूपी की सरकार लोगों से बात नहीं करती है. जब कोई किसान अपने हक की बात करता है तो सरकार उस पर फायरिंग का आदेश दे देती है."

राहुल गांधी ने कहा कि यह अफसोस की बात है कि जब भट्टा परसौल गांव के किसानों ने अपने हक के लिए आवाज बुलंद की तो सरकार ने उन पर गोलियां चलवाईं, जिसमें कुछ किसान मारे भी गए.

रिपोर्टः पीटीआई/ए जमाल

संपादनः एस गौड़

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