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खत्म हो 'सरपंच-पति' का चलन

२४ अप्रैल २०१५

24 अप्रैल को भारत में राष्ट्रीय पंचायत दिवस के मौके पर बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के तमाम इलाकों में पंचायत में 'सरपंच-पति' के चलन को मिटाने की बात कही.

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Indien Dorf Geschichte
तस्वीर: DW/S.Waheed

सरपंच-पति का आशय उन पतियों से है जिनकी पत्नियां असल में सरपंच के पद पर चुनी गई होती हैं, लेकिन उनके पति पद के प्रभाव का अनुचित फायदा उठाते हैं. इस चलन के विरुद्ध बोलते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने सरपंचों से उनके गांवों में गरीबी घटाने और शिक्षा को बढ़ावा देने की ओर सक्षम नेतृत्व देने का आह्वान किया. इस मौके पर देश के सबसे ज्यादा साक्षरता दर वाले दक्षिण भारतीय राज्य केरल को 2014-15 का राष्ट्रीय पंचायती राज पुरस्कार प्रदान किया गया.

पूर्व की एक घटना का जिक्र करते हुए मोदी ने अपने भाषण में कहा कि कई साल पहले किसी राजनीतिक कार्यक्रम में उनकी मुलाकात एक व्यक्ति से हुई थी, जिसने अपना परिचय एसपी (सरपंच-पति) के रूप दिया था. मोदी ने इसमें बदलाव लाने की अपील करते हुए कहा, "कानून में महिलाओं का सशक्तिकरण हुआ है. जब कोई कानून महिलाओं को कुछ अधिकार प्रदान करता है, तो उन्हें मौका मिलना ही चाहिए. इस एसपी कल्चर को बंद करें. उन्हें (महिलाओं को) मौका मिलना ही चाहिए. उन्हें बढ़ावा देना चाहिए."

राजधानी दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय पंचायत दिवस के कार्यक्रम में स्कूल छोड़ रहे बच्चों की बढ़ती संख्या पर भी चिंता जताई गई. महात्मा गांधी के विचार को सामने रखते हुए मोदी ने जोर दिया कि भारत गांवों में रहता है और उनका विकास अत्यावश्यक है. मोदी ने कहा, "दूर दराज के गांवों में भी लोगों के सपने बड़े हैं. आपको सोचना चाहिए कि अगले पांच सालों में आप अपने गांव के लिए क्या अर्जित करना चाहते हैं." उन्होंने पंचायत सदस्यों को पांच साल की विकास योजना बनाकर उस पर अमल करने की कोशिश करने की अपील की. इसके अलावा पंचायत से गांव के बच्चों की पढ़ाई और उन्हें टीके दिए जाने को बेहद गंभीरता से लेने को भी कहा. प्रधानमंत्री मोदी ने सलाह दी कि सरपंचों को पूरे समुदाय को साथ लेकर विकास की ओर बढ़ने के लिए कदम उठाने चाहिए. मोदी ने कहा कि कई बार इसमें पैसों की समस्या के बजाए पक्के इरादे की कमी दिखती है.

इसी अवसर पर आयोजित एक और कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित पूर्व अभिनेत्री 70 वर्षीया शर्मिला टैगोर ने महिला सरपंचों से खास अपील की कि वे गावों में महिलाओं के खिलाफ हो रही घरेलू हिंसा की घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाएं.

आरआर/आईबी (पीटीआई)