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सबसे पहले दफनाए गए पिता और पुत्र

२० मार्च २०१९

न्यूजीलैंड की दो मस्जिदों में हुए हमलों में कुल पचास लोग मारे गए. लेकिन इनमें सबसे पहले 44 साल के पिता खालिद मुस्तफा और 15 साल के उनके बेटे हम्जा मुस्तफा को दफनाया गया. इसके साथ ही कई सपने दफन हो गए.

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Neuseeland, Christchurch: Beerdigung der Opfer
तस्वीर: Reuters/J. Silva

हम्जा क्राइस्टचर्च के कैशमेर हाई स्कूल में पढ़ता था. प्रिंसिपल मार्क विल्सन का कहना है कि वह बहुत ही मेहनती और दयालु था. वह बताते हैं कि हम्जा एक बढ़िया घुड़सवार था और बड़ा होकर पशु चिकित्सक बनना चाहता था. हमले में हम्जा का 13 साल का छोटा भाई जायद भी घायल हुआ. उसकी टांग में गोली लगी थी.

बुधवार की सुबह हम्जा और उनके पिता को दफना दिया गया, जहां उन्हें आखिरी विदाई देने के लिए सैंकड़ों लोग जमा थे. अधिकारियों ने हमले में मारे गए लोगों के लिए कब्रें बनाने में चार दिन लगाए.

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इस बीच, अधिकारियों ने हमलों में मारे गए कुछ लोगों को नाम जारी किए हैं. पुलिस का कहना है कि जिन पांच लोगों के नाम जारी किए गए हैं वे सभी पुरुष हैं और अल नूर मस्जिद में मारे गए थे. इसके अलावा लिनवुड मस्जिद को भी निशाना बनाया गया था.

न्यूजीलैंड के पुलिस कमिश्नर माइक बुश का कहना है कि उन्होंने 21 लोगों के शवों की आधिकारिक तौर पर पहचान कर ली है जिन्हें उनके परिवारों को सौंप दिया गया है. उन्होंने कहा कि बाकी लोगों की पहचान का काम भी जल्द पूरा हो जाएगा.

इस बीच, न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डर्न ने हम्जा के स्कूल का दौरा किया है. इस स्कूल के दो छात्र हमलों में मारे गए. हम्जा के साथ 14 साल का सैयद मिलने भी इसी स्कूल में पढ़ता था. प्रधानमंत्री आर्डर्न ने फिर इस बात को दोहराया कि हमले के पीड़ितों पर ध्यान दिया जाना चाहिए ना कि उसे अंजाम देने वाले पर. उन्होंने कहा कि हमलावर को उसके नाम से भी ना बुलाया जाए.

एके/आरपी (एपी)

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