न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री ने बेटी को दिया जन्म
२१ जून २०१८ऑकलैंड के अस्पताल में भर्ती 37 साल की आर्डर्न के साथ उनके पति क्लार्क गेफोर्ड थे. इंस्टाग्राम पर बच्ची और पति की फोटो पोस्ट कर उन्होंने लिखा, "गुरुवार शाम 4.45 पर एक स्वस्थ्य बच्ची ने जन्म लिया. इसका वजन 3.31 किलोग्राम है. शुभकामनाओं के लिए बहुत बहुत धन्यवाद." आर्डर्न ने अस्पताल प्रशासन का भी शुक्रिया अदा किया.
जनवरी में प्रधानमंत्री बनने के 3 महीने बाद आर्डर्न ने सोशल मीडिया के जरिए अपने प्रेग्नेंट होने की बात शेयर की थी. दुनिया की सबसे कम उम्र की प्रधानमंत्री आर्डर्न ने अक्टूबर 2017 में पद संभाला था.
प्रेग्नेंसी की खबर के बाद रेडियो न्यूजीलैंड को दिए एक इंटरव्यू में प्रधानमंत्री ने कहा था कि वह दुनिया की पहली औरत नहीं हैं जो बच्चे को संभालते हुए काम करेंगी. ऐसा पहले भी कई औरतें कर चुकी हैं और एक साथ कई टास्क पूरे किए हैं.
आर्डर्न के मैटरनिटी लीव पर जाने से उपप्रधानमंत्री विंस्टन पीटर्स अगले 6 हफ्तों तक न्यूजीलैंड के कार्यवाहक प्रधानमंत्री होंगे. हालांकि इस दौरान आर्डर्न कैबिनेट मीटिंग के पेपर्स चेक करती रहेंगीं.
उनके मां बनने पर न्यूजीलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री हेलेन क्लार्क और ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री मैल्कम टर्नबुल ने ट्वीट कर बधाई दी. वहीं, पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की बेटी बख्तावर ने भी शुभकामनाएं दीं.
न्यूजीलैंड में 52 हफ्तों तक होती है मैटरनिटी लीव
न्यूजीलैंड में पैरेंटल लीव कई हिस्सों में बंटी हुई है और यह पैरेटंल लीव एंड इम्पलॉइमेंट प्रोटेक्शन एक्ट 1987 के अंदर आती है. मैटरनिटी लीव इसी का एक हिस्सा है जो 14 हफ्तों से लेकर 52 हफ्तों तक बढ़ाया जा सकती है. अगर महिला को प्रेग्नेंसी के दौरान काम करने में दिक्कत आ रही है तो बॉस की जिम्मेदारी बनती है कि वह उसे ऐसा काम सौंपे जिसमें महिला को सहूलियत हो. अगर फिर भी महिला को दिक्कत महसूस हो रही है तो वह अपनी मैटरनिटी लीव को वक्त से पहले भी ले सकती है.
न्यूजीलैंड में मातृ मृत्यु दर 11 मौतें प्रति 1 लाख जन्म है. वहीं, भारत में यह आंकड़ा 212 मौतें प्रति 1 लाख जन्म है. न्यूजीलैंड में पहली बार पैरेंट्स बनने वाले कपल के लिए कई मेडिकल चेकअप फ्री या कम दाम में होते हैं. स्वास्थल मंत्रालय ने योजना के मुताबिक, नवजात शिशु की 8 मेडिकल जांचें मुफ्त में की जाती हैं. इसके अलावा चाइल्ड केयर और आर्थिक सहायता समय-समय पर मुहैया कराई जाती है.