नो लाइट, नो कैमरा, नो एक्शन
४ अप्रैल २००९बॉलीवुड में चार अप्रैल से प्रोड्यूसर्स हड़ताल पर चले गए हैं. मामला मुनाफे का है जिसे लेकर फिल्म निर्माता नाराज़ हैं. फिल्म निर्माताओं का कहना है कि फिल्में बनाने के बावजूद उनकी कमाई बड़े सिनेमा घरों की कमाई से कम हो रही है. फिल्म निर्माता कहते हैं कि मान लीजिए अगर एक फिल्म से सौ रुपये कमाई होती है तो उनकी जेब में सिर्फ 40 ही रुपये आते हैं. जबकि 60 रुपया सिनेमाघर कमा लेते हैं.
अब महेश भट्ट जैसे बॉलीवुड के बड़े निर्देशक और निर्माता हड़ताल में जा रहे हैं. अनिश्चितकालीन हड़ताल के बारे में बताते हुए महेश भट्ट ने कहा, " हालात दुर्भागयपूर्ण हैं. हम दो महीनों से इस बारे में बातचीत कर रहे थे लेकिन कोई हल नहीं निकला. अब हम चार अप्रैल से हड़ताल पर जा रहे हैं.''
जाने माने निर्माता-निर्देशक यश चोपड़ा ने भी मल्टीप्लेक्स के साथ आधा-धा मुनाफा बांटने की मांग की है. यश चोपड़ा कहते हैं, ''जब दूसरे देशों में मुनाफा बराबर बंटता है तो भारत में क्यों नहीं. हमारी मांगे वाज़िब हैं. मल्टीप्लेक्स कंपनियों को इन्हें स्वीकार करने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए.''
उधर बिग सिनेमा के भारत प्रमुख तुषार ढींगरा कहते हैं कि मामला मुनाफे के साथ साथ फिल्म की सफलता पर निर्भर करता है. ढींगरा कहते हैं, '' अगर कोई फिल्म अच्छा कारोबार करती है तो हमें बराबर मुनाफा बांटने को कोई दिक्कत नहीं लेकिन अगर फिल्म अच्छा कारोबार नहीं करती, तो हम ही घाटा सहेंगे.''
भारत में हर साल दुनिया की सबसे ज़्यादा फिल्में बनती हैं. रिलीज़ के होने बाद कई बड़ी फिल्में देश के 240 मल्टीप्लेक्स सिनेमाओं में कुल मिलाकर 849 स्क्रीनों पर चलती हैं. टिकट महंगी होने की वजह से कई बार अच्छी फिल्म में सिनेमाघरों की मोटी कमाई होती है. लेकिन सच्चाई यह भी है हर साल गिनती ही फिल्में हिट होती हैं और ज़्यादातर फिल्में बुरी तरह पिटती हैं.
लेकिन निर्माताओं के इस फैसले के बाद अब कई फिल्मों के रिलीज पर सवालिया निशान लग गए हैं. महेश भट्ट की जश्न, यशराज की न्यू यार्क, और अनिल कपूर की र्शाटकट जैसी फिल्में अब अपने तयशुदा समय से रिलीज़ नहीं हो रही है.
रिपोर्ट- एजेंसिया, पी चौधरी
संपादन- एस जोशी