नेपाल में भयानक भूकंप
नेपाल में आए भारी भूकंप में सैकड़ों लोग मारे गए हैं और हजारों घायल हो गए हैं. भूकंप के नए झटकों के डर से लोग सड़कों पर वक्त गुजार रहे हैं.
गुबार में शहर
नेपाल की राजधानी काठमांडू में भूकंप के बाद गुबार उठ रहा है. भूकंप का केंद्र राजधानी से 80 किलोमीटर पश्चिम में था. भूकंप के झटके भारत और बांग्लादेश में भी महसूस किए गए.
ध्वस्त इमारत
भूकंप की तीव्रता रिष्टर स्केल पर 7.8 थी. नेपाल में बहुत सी इमारतें ताश के पत्तों की तरह ढह गईं. उनमें ढेर सारी ऐतिहासिक इमारतें भी शामिल हैं. सड़क टूट गए, काठमांडू एयरपोर्ट को बंद करना पड़ा.
जीवित लोगों की खोज
लोग मलबे के नीचे फंसे लोगों को खोज रहे हैं और उन्हें खुले हाथों से निकालने की कोशिश कर रहे हैं. अधिकारियों को आशंका है कि मलबों से और शव बरामद होने के बाद हताहतों की संख्या में और वृद्धि होगी.
दुःस्वप्न का अंत
यह व्यक्ति मलबे के नीचे था. राहतकर्मियों ने उसे ध्वस्त इमारत के नीचे से बचाया. और हजारों लोगों के फंसे होने की आशंका है. सड़क संपर्क टूटने से राहतकर्मियों को मौके पर पहुंचने में दिक्कत हो रही है.
शुरुआती मदद
भूकंप के बाद सबसे जरूरी है कि घायलों की फौरन प्राथमिक चिकित्सा हो. यहां मनमोहन मेमोरियल सामुदायिक अस्पताल के सामने एक चिकित्सीय कर्मचारी घायलों की देखभाल कर रहा है.
सांत्वना और शोक
भूकंप में मौत के मुंह से बचकर निकल आए लोग एक दूसरे की मदद कर रहे हैं, उन्हें ढांढस बंधा रहे हैं. हिमालय की तलचटी में बसे इलाके में भौगोलिक कारणों से भूंकप आने का खतरा बना रहता है.
नष्ट हुए धरोहर
भूकंप में काठमांडू के दरबार चौक को बुरी तरह नुकसान पहुंचा है. वह यूनेस्को की विश्व सांस्कृतिक धरोहरों में शामिल है. काठमांडू की घाटी में कुछ किलोमीटर के दायरे में सात विश्व सांस्कृतिक धरोहर हैं.
राजधानी का प्रतीक
नेपाल की राजधानी में पर्यटकों के प्रमुख आकर्षणों में 9 मंजिलों वाली धरहरा मीनार भी शामिल है.. भूकंप में मीनार ढह गयी. अब उसका छोटा सा हिस्सा ही बचा है.
मलबा बना वास्तुशिल्प
ध्वस्त होने से पहले धरहरा मीनार, जिसे भीमसेन टॉवर भी कहते हैं. इसे 1830 में नेपाल के प्रधानमंत्री भीमसेन थापा के कार्यकाल में बनाया गया था. देखने में यह इस्लामिक मीनार जैसा लगता था.
अभूतपूर्व नुकसान
काठमांडू में जहां देखें भूकंप की तबाही दिखती है. तबाही का पैमाना क्या है यह अभी तक पता नहीं है.