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नेपाल में बंद का तीसरा दिन

४ मई २०१०

नेपाल में माओवादियों ने तीन दिनों से बंद घोषित कर रखा है. उनका लक्ष्य प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल का इस्तीफा और अपने नेतृत्व में एक नई सरकार का गठन है. इसका असर पर्यटन उद्योग पर पड रहा है, जो नेपाल के लिए महत्वपूर्ण है

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हड़ताल के समर्थन में माओवादीतस्वीर: AP

नेपाल के प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल ने एक बार फिर स्पष्ट किया है कि वह इस्तीफा देने के लिए तैयार नहीं हैं. उन्होने कहा कि हडताल की घोषणा संवाद में गतिरोध खत्म होने की संभावना को बढावा नहीं दे सकता है. उन्होने माओवादियों से अपील की है कि वे बातचीत के रास्ते पर वापस आएं. मई 28 तक सांसदों के पास गृहयुद्ध के अंत के बाद नया संविधान बनाने के लिए वक्त है. उन्हे यह भी तय करना है कि 19 000 पूर्व माओवादी लडाकों का क्या किया जाए, जो अब तक संयुक्त राष्ट्र के कैंपों में गुज़ारा कर रहे हैं. माओवादियों का ही नहीं, विशेषज्ञों का भी मानना है कि पूरी प्रक्रिया बहुत धीरे चल रही हैं और नए संविधान बनाने का काम तब तक कभी भी पूरा नहीं हो पाएगा.

दुकानें, स्कूल और दफ़्तर कई दिनों से बंद है. शनिवार से राजधानी काठमांडू में प्रदर्शन चल रहे हैं और कई दुकानों को भी लूटा गया है. देश की विमान कंपनियों का कहना था कि उन्हे 70 प्रतिशत फ्लाईटों को कैंसल करना पढा क्योंकि बस, टैक्सी या दूसरे सेवाओं के अभाव की वजह से लोग ऐअरपोर्ट नहीं पहुंच पा रहे हैं. माओवादियों ने राजधानी काठमांडू और अन्य शहरों को जोड़ने वाली सडकों को भी बंद कर रखा है, जिसकी वजह से अधिकारियों को पर्यटकों को बसों के ज़रिये कई जगहों से आगे ले जाना पड़ा है. पर्यटन उद्योग कुछ समय पहले खत्म हुए गृहयुद्ध और 2008 में हुए चुनाव के बाद धीरे-धीरे देश के विकास में तेज़ी ला रहा था. दुनिया के 14 सबसे ऊंची चोटियों में से 8 नेपाल में हैं. उनमें से माउंट एवेरेस्ट सबसे मशहूर है. लेकिन पर्यटकों की नाराज़गी देश के लिए मुश्किलें पैदा कर सकती है.

देश के हज़ारों लोगों को आज पैदल एक जगह से दूसरी जगह जाना पढा क्योंकि पूरी आधारभूत संरचनाओं में उथल पुथल जारी है. साथ ही खाने पीने के सामान की सप्लाई में भी दिक्कतें आ रहीं हैं. संकट की शुरुआत तब हुई थी जब करीब एक महिना पहले माओवादियों की सरकार राष्ट्रपति के साथ विवाद के बाद टूट गई थी. प्रेक्षकों को डर है कि पूरी शांति प्रक्रिया ही खत्म न हो जाए, जो 2006 में गृहयुद के छिड़ने के एक दशक बाद शुरू हुई थी. देश में आशंका बढ रही है कि नेपाल करीब 14 000 लोगों की गृहयु्द्ध में मौत के बाद माओंवादियों और दूसरे राजनैतिक पक्षों के बीच विवाद की वजह से अपने अतीत से उबर नहीं पाएगा.

रिपोर्ट: एजेंसियां/प्रिया एसेलबोर्न

संपादन: उज्ज्वल भट्टाचार्य