1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

नेपाल और चीन का पहला संयुक्त सैन्य अभ्यास शुरु

१७ अप्रैल २०१७

नेपाल और चीन ने अपना पहला संयुक्त सैन्य अभ्यास शुरु कर दिया है. इसे चीन के इस इलाके में अपना असर बढ़ाने की कोशिश के तौर पर देखा जाए, तो इस अभ्यास से भारत को थोड़ी परेशानी हो सकती है.

https://p.dw.com/p/2bLAl
China Militärparade in Peking 70. Jahrestag Ende 2. Weltkrieg Bildergalerie
तस्वीर: Reuters/cnsphoto

छोटा सा देश नेपाल, चीन और भारत जैसी विशाल अर्थव्यवस्थाओं के बीच स्थित है. हाल के सालों में ऐसा कई बार देखा गया कि नेपाल कभी दिल्ली तो कभी बीजिंग के ज्यादा पास आया. दोनों दक्षिण एशियाई देश पूरे क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश तो करते ही हैं, ऐसे में यह भी मायने रखता है कि नेपाल किसके ज्यादा प्रभाव में है.

नेपाली सेना के अनुसार काठमांडू में शुरु हुए 10 दिन के सैन्य अभ्यास "सगरमाथा मित्रता 2017" का मकसद आतंकवाद रोधी कार्रवाई के लिए तैयारी करना है. एवरेस्ट पर्वत का नेपाली भाषा में नाम सगरमाथा है. नेपाली सेना के प्रवक्ता झंकार बहादुर कडायत ने बताया, "नेपाल के जिन भी देशों के साथ राजनयिक संबंध हैं, उन सब के साथ संयुक्त अभ्यास करने के हमारे प्रयासों का ही हिस्सा है."

इन अभ्यासों पर भारत की नजर होगी. नेपाल-भारत के संबंध बहुत पुराने और बहुत करीबी रहे हैं. ऐसे में चीन को नेपाल के करीब आते देख भारत चौकन्ना है. नेपाल अपने अधिकतर आयातों के लिए भारत पर ही निर्भर है. लेकिन नेपाल की पूर्व सरकारों ने भारत पर अपनी निर्भरता घटाने के लिए चीन के करीब जाने की कोशिश की है. चीन में नेपाल के पूर्व राजदूत रहे टंका कर्की कहते हैं, "नेपाल और चीन का बहुआयामी बंधन और अब एक संयुक्त सैनिक अभ्यास उनके संबंध को और विस्तार देगा."

एक महीने पहले ही चीन के रक्षा मंत्री चांग वानकुआन ने नेपाल का दौरा किया था. यह 15 सालों में किसी चीनी रक्षा मंत्री का पहला नेपाल दौरा था. नेपाल की मौजूदा माओवादी पार्टी की सरकार एक ओर दिल्ली से अपने संबंध सुधारना चाहती है, तो दूसरी ओर अपने दूसरे ताकतवर पड़ोसी चीन से भी आर्थिक मदद लेना चाहती है. चीन ने भी नेपाल को बेहतरीन बुनियादी ढांचा तैयार करने में मदद देने का वादा किया है. इस सिलसिले में चीन ने हाल ही में 8.3 अरब डॉलर का निवेश करने की घोषणा की है, जो कि नेपाल के सकल राष्ट्रीय उत्पाद का करीब 40 फीसदी है. इसके मुकाबले भारत की ओर से किया गया 31.7 करोड़ डॉलर के निवेश का वादा बौना दिखता है.

प्रारम्भ की. वे भारतीय राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निमंत्रण पर भारत पहुंची हैं और दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में ही ठहरेंगी. अक्टूबर 2015 से राष्ट्रपति पद पर आसीन भंडारी की यह पहली भारत यात्रा है. मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात में वे दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने के प्रयासों पर बात करेंगी. बीते साल नेपाल में हुए मधेसी आंदोलन में भारत की भूमिका को लेकर दोनों देशों के संबंधों में थोड़ा तनाव आया था.

आरपी/एमजे (एएफपी, पीटीआई)