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नेपाल के पहाड़ों में बिन बरफ सब सून

१२ फ़रवरी २०२१

नेपाल की पहाड़ियों में इस साल बहुत मामूली बर्फबारी हुई है. वहां के किसान और पर्यटन उद्योग से जुड़े लोग इससे मायूस हैं. बढ़ते तापमान ने पहाड़ों में खेती दूभर कर दी है. पानी के संकट के बीच कीड़े फसल को चौपट कर रहे हैं.

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Mount Everest | Base Camp
तस्वीर: Xiao Mi/dpa/picture alliance

नेपाल का धामपुस गांव सैलानियों को अपनी ओर खींचता था- बर्फ से लकदक अन्नपूर्णा पर्वतऋंखला का अद्भुत नजारा देखने की चाहत भला किसे न होगी. लेकिन पिछले 12 साल से सर्दियों में बर्फबारी कम होने लगी है. बाबूराम गिरी धामपुस के एक होटल यम सकुरा में कुक हैं. अपने चूल्हे के पास खड़े बाहुराम अफसोस जताते हुए कहते हैं, "पांच साल पहले दो फुट से भी ज्यादा बर्फ पड़ी थी, लेकिन तबसे कोई खास बर्फ नहीं पड़ी यहां."

कोरोना के चलते यात्रा प्रतिबंधों ने दुनिया भर के होटलों की वित्तीय हालत को भी डगमगा दिया है. बाबूराम का कहना है कि मध्य नेपाल में रहने वाली उसकी बिरादरी नेपाली टूरिस्टों पर ही प्रमुख रूप से निर्भर थी जो सर्दियों का मौसम होते ही यहां चले आते थे. लेकिन इस साल खाली मैदान का मतलब है कम टूरिस्ट. बाबूराम ने बताया कि "जब भी बर्फ पड़ती है बहुत से लोकल और घरेलू टूरिस्ट यहां बर्फ में खेलने आते हैं लेकिन अब होटल लगभग खाली पड़े हैं."

हाल के वर्षों में भारी बर्फबारी में कमी के चलते नेपाल के पर्वतीय इलाकों में पर्यटन से खेती तक, कमोबेश सभी उद्योगों को आर्थिक चोट पहुंची है. वैज्ञानिक इस हालात को तापमान में बढ़ोत्तरी से जोड़कर देखते हैं. इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट (आईसीआईएमओडी) में रीजनल प्रोग्राम मैनेजर अरुण भक्त श्रेष्ठ के मुताबिक रिमोट सेंसिंग टेक्नोलॉजी के जरिए हुए अध्ययन दिखाते हैं कि नेपाल और हिंदुकुश हिमालयी क्षेत्र में स्नो कवर तेजी से कम हुआ है. उनका कहना है, "नेपाल का तापमान प्रति दशक 0.6 डिग्री सेल्सियस के हिसाब से बढ़ रहा है."

बदलते मौसम का कमाई पर असर

नेपाल के जल-विज्ञान और मौसम विभाग की दिसम्बर में प्रकाशित एक रिपोर्ट में भविष्यवाणी की गयी थी कि सर्दियों में देश का औसत तापमान सामान्य से ऊपर रहेगा और औसत बर्फबारी सामान्य से कम होगी. होटल यम सकुरा के मालिक बुद्धि मान गुरुंग को लगता है कि कोविड-19 और जलवायु परिवर्तन के मिलेजुले असर की वजह से पिछले साल के मुकाबले इस साल 80 परसेंट कमाई गिर गयी है. वो कहते हैं, "स्टाफ को सैलरी देने के लाले पड़ रहे हैं."

Nepal Dawa Yangzum Sherpa
कोरोना के कारण कम हुआ पर्यटकों का आनातस्वीर: Getty Images/AFP/B. Karki

बर्फबारी में कमी आने से नेपाल के पर्यटन उद्योग पर पड़े आर्थिक असर का कोई तफ्सीली अध्ययन नहीं हुआ है. लेकिन नेपाल के टूरिज्म बोर्ड के सीईओ धनंजय रेग्मी कहते है कि जलवायु परिवर्तन के चलते आगे भी टूरिस्टों की संख्या में कमी ही आनी है. टेलीफोन पर दिए इंटरव्यू में वो कहते हैं, "ज्यादातर टूरिस्ट बर्फ से ढके पहाड़ों को देखने नेपाल आते हैं, लेकिन अगर ये पहाड़ ही काले पड़ जाएं तो गाज पर्यटन पर ही गिरेगी." टूरिज्म बोर्ड ने बर्फ आधारित पर्यटन को बढ़ावा देने और पर्यटकों को रिझाने के लिए स्कीईंग होलीडे जैसी योजनाएं भी बनाई थीं. रेग्मी का कहना है, "लेकिन इस डांवाडोल बर्फबारी ने हमारे सामने अपनी उस योजना की कामयाबी को लेकर सवाल खड़ा कर दिया है."

सर्दी का मौसम मतलब कीड़ों पर काबू

कम बर्फबारी की समस्या से पर्यटन उद्योग ही नहीं जूझ रहा है. धामपुस गांव के किसान शांत बहादुर बिस्वकर्मा ने बताया कि कुछ साल पहले तक वो अपने खेत में जो उगाते थे उससे परिवार पल जाता था. लेकिन अब बर्फ न पड़ने से पानी की किल्लत हो गयी है और बाजरा, मकई और सब्जियां उगाना कठिन हो गया है. सर्दियों में अपनी फसल को पानी देने के लिए वो पिघलती बर्फ पर निर्भर थे. वो कहते हैं कि इन दिनों, खेतों में डालने के लिए उन्हें कभीकभार पीने का पानी इस्तेमाल करना पड़ जाता है.

बिस्वकर्मा बताते है कि बर्फ और ठंड उनकी फसल को कीड़ों से भी बचाए रखती थी. उन्होंने पाया कि ठंडे तापमान में पौधों पर कीड़े और बीमारियां नहीं लगती थीं. बिस्वकर्मा कहते हैं, "अपने पूर्वजों के समय से ही हमारी ये मान्यता चली आ रही थी कि जिस साल अच्छी बर्फ पड़ती है तो फसल भी तब खूब होती है." लेकिन उनके मुताबिक खेतों पर जबसे तेज गरमी पड़ने लगी है, उन्हें खाना बाहर से खरीदना पड़ता है.

Global Ideas Nepal Wasserkraftwerke
गर्म हो रहा है मौसम, बढ़ रहे हैं कीड़ेतस्वीर: DW/J. Mielke

बढ़ रही है कीड़ों की प्रजनन दर

नेपाल के पहाड़ी जिलों में से एक दार्चुला में सरकार के एग्रीकल्चर नॉलेज सेंटर में पौध सुरक्षा अधिकारी अर्जुन रायमाझी कहते हैं कि तापमान में गिरावट कीड़ों की प्रजनन दर को भी कम कर देती है. जैसा दुनिया के अन्य गरम होते इलाकों में हो रहा है ठीक उसी तरह नेपाल के पहाड़ों का गरम तापमान कीड़ों को आकर्षित कर रहा है. वो कहते हैं, "ऊंचे इलाकों में बढ़ते तापमान की वजह से कीड़े निचले इलाकों से जा रहे हैं, इसलिए ऊंचाई वाले इलाकों में नये कीड़े दिखने लगे हैं."

सेब जैसी ठंडी जलवायु वाली पारंपरिक फसल के लिहाज से भी गरम मौसम नेपाल के पहाड़ी किसानों के लिए बुरा है. वो कहते हैं, "बर्फ न पड़ने से मवेशी भी प्रभावित हो रहे हैं. इसकी वजह से सर्दियों में नमी कम हो जाती है और जिस घास को पशु चरते हैं वो ठीक से उग ही नहीं पाती. पहाड़ी जिले तो खाद्य असुरक्षा से पहले ही जूझते आ रहे थे और इन चीजों ने समस्या को और गंभीर बना दिया है."

जलवायु विशेषज्ञों की असामान्य चेतावनी

जलवायु से जुड़े शोधकर्ता आगाह करते है कि नेपाल में आने वाले दशकों में बर्फीली सर्दियां दुर्लभ होती जाएंगी. हिमालयी हिंदुकुश क्षेत्र के बारे में आईसीआईएमओडी की 2019 की एक रिपोर्ट के मुताबिक गंगा बेसिन के नेपाल वाले हिस्से में 2071-2100 के दरमियान बर्फबारी में 50-60 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है. रिपोर्ट में पाया गया कि ऊंचाई वाली जगहों पर तापमान में "असामान्य बढ़ोत्तरी" हो रही है. उसके मुताबिक वैश्विक औसत से करीब दो या तीन गुना अधिक गरमी का अनुमान है.

नेपाल के पश्चिमी क्षेत्र की ट्रैकिंग एजेंसीज एसोसिएशन के अध्यक्ष सुशील राज पोडेल कहते है कि संगठन के सदस्य अब पहले की तरह जबर्दस्त बर्फबारी होते ही पर्यटन में उछाल के भरोसे नहीं बैठे रह सकते. वो कहते हैं, "बहुत विचित्र बात है कि इस समय नेपाल में बर्फबारी नहीं हो रही है. मैंने दूसरे देशों में जलवायु परिवर्तन जैसी चीज के बारे में सुना था लेकिन वही चीज, अब हम अपनी आंखों के सामने घटित होता देख रहे हैं.”

एसजे/एमजे (थॉमसन रॉयटर्स)

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