नीतीश ने मोदी की बाढ़ मदद राशि लौटाई
२० जून २०१०इसके बाद से ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नाराज थे और उनका कहना था कि मदद देने के बाद इस तरह का प्रचार करना ठीक नहीं है. आखिरकार कुमार ने नरेंद्र मोदी को उनके पांच करोड़ रुपये वापस कर दिए. मोदी ने कोसी में आई बाढ़ के दौरान इतने पैसे की ही मदद की थी.
अधिकारियों ने बताया कि राज्य सरकार की तिजोरी में पांच करोड़ रुपये बिना खर्च हुए पड़े हुए थे. कोसी नदी में 2008 में आई बाढ़ के बाद गुजरात सरकार ने यह पैसे बिहार के लोगों की मदद के लिए दिए थे.
गुजरात सरकार ने बिहार के अखबारों में पिछले हफ्ते विज्ञापन छपवाए थे, जिसमें इस बात का जिक्र किया गया था कि मोदी सरकार ने बिहार के लोगों की बाढ़ के वक्त मदद की थी और इसके लिए पैसे दिए गए थे.
नीतीश कुमार ने इन इश्तेहारों के बाद गुजरात सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि वह असभ्य रवैया अपना रही है. मोदी सरकार के इश्तेहार में कहा गया था कि उन्होंने दिल खोल कर दान दिया है.
बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के दौरान नरेंद्र मोदी ने बिहार का दौरा किया और इसके साथ ही विवाद भी शुरू हो गया. बाढ़ से जुड़े विज्ञापन के अलावा गुजरात सरकार ने मुस्लिम महिलाओं के कल्याण से जुड़ा एक इश्तेहार भी छपवाया था. बाद में पता चला कि उसमें तस्वीर फर्जी लगाई गई है और जिस तस्वीर को गुजरात की बताया जा रहा है, दरअसल वह उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ की महिलाओं की है.
नीतीश कुमार अपनी धर्मनिरपेक्ष नेता की छवि बनाए रखने की कोशिश करते हैं, जबकि नरेंद्र मोदी साफ तौर पर हिन्दुत्व के चेहरे के तौर पर देखे जाते हैं. बिहार में चुनावों को देखते हुए नीतीश खुद को मोदी के बहुत करीब नहीं दिखा सकते. उन्होंने एक बार कहा था कि वह गुजरात के मुख्यमंत्री के साथ किसी मंच पर एक साथ नजर नहीं आएंगे लेकिन पिछले साल लोकसभा चुनाव के दौरान पंजाब की एक रैली में मोदी और कुमार एक ही मंच पर आए थे.
दो तरफ से फंसने के बाद बीजेपी ने बिहार के मुख्यमंत्री के साथ मेल मिलाप की कोशिश की लेकिन नीतीश कुमार इतने नाराज हो चुके थे कि उन्होंने बीजेपी नेताओं के सम्मान में आयोजित रात्रि भोज रद्द कर दिया और बीजेपी की रैली में भी शामिल नहीं हुए.
बिहार में बीजेपी और जेडीयू की मिली जुली सरकार है और इसी साल राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं. लेकिन हाल के घटनाक्रम के बाद इस बात की संभावना कम ही रह गई है कि दोनों पार्टियां मिल कर चुनाव लड़ें.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल
संपादनः एस गौड़