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निवेश की आस में फिर जर्मनी पहुंची ममता बनर्जी

प्रभाकर मणि तिवारी
१७ सितम्बर २०१८

ममता बनर्जी ने अपना 12 दिन का यूरोप दौरा शुरू किया है. अभी वे फ्रैंकफर्ट पहुंची हैं, जिसके बाद वे निवेशक ढूंढने मिलान जाएंगी. क्या पश्चिम बंगाल को मिलेगा इसका फायदा?

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Bangladesch Mamta Bannerjee in Dhaka
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Uz Zaman

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 2011 में सत्ता संभालने के बाद से ही राज्य में विदेशी निवेश आकर्षित करने का प्रयास कर रही हैं. इसके लिए वह कई बार विदेशों के दौरे कर चुकी हैं. इसके अलावा बीते चार-पांच वर्षों से करोड़ों खर्च कर बंगाल वैश्विक व्यापार सम्मेलन का भी आयोजन होता रहा है. लेकिन सरकार की खास कर जमीन अदिग्रहण संबंधी नीतियों और सिंगुर के कलंक की वजह से अब तक कोई भी बड़ा विदेशी निवेशक बंगाल में आने की हिम्मत नहीं जुटा सका है.

अब अगले साल होने वाले आम चुनावों से पहले ममता एक बार फिर 12 दिनों के यूरोप दौरे पर जर्मनी के फ्रैंकफर्ट पहुंच गई हैं. वहां से वे इटली के मिलान जाएंगी. यह उनका चौथा यूरोप दौरा है. औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने और निवेश जुटाने के लिए ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस सरकार ने जहां अमेरिका की तर्ज पर कोलकाता में भी एक सिलिकॉन वैली की स्थापना का एलान किया है, वहीं नई सूचना तकनीक नीति का भी एलान किया गया है.

ताजा दौरे में फ्रैंकफर्ट और मिलान

ममता बनर्जी अपने वित्त मंत्री अमित मित्र और मुख्य सचिव के अलावा उद्योगपितयों के एक भारी-भरकम प्रतिनिधमंडल के साथ कोलकाता से दुबई होकर रविवार देर रात फ्रैंकफर्ट पहुंच गईं. वहां मंगलवार को वह जर्मनी की कई प्रमुख कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के साथ मुलाकात करेंगी. उसमें वीडीएमए, आईएचके फ्रैंकफर्ट और इंडो-चैंबर्स ऑफ कॉमर्स के प्रतिनिधि भी शिरकत करेंगे.

दुबई होकर यूरोप रवाना होने से पहले पत्रकारों से बातचीत में ममता बनर्जी ने कहा, "मैं राज्य में व्यापार व निवेश आकर्षित करने के लिए फ्रैंकफर्ट और मिलान जा रही हूं. आधिकारिक तौर पर वहां दो बैठकें आयोजित की जाएंगी." मुख्यमंत्री ने बताया कि उनको जर्मनी व इटली की सरकारों और व्यापारिक संगठनों ने इस दौरे का न्योता दिया था. उन दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडलों ने इस साल जनवरी में यहां हुए बंगाल वैश्विक व्यापार मेले में शिरकत की थी. ममता बनर्जी का कहना था कि उनको पोलैंड से भी न्योता मिला था. हाल में बिजली मंत्री शोभनदेव चटर्जी ने उस देश का दौरा किया था. अब सूचना तकनीक सचिव देवाशीष सेन अमेरिका की सिलिकॉन वैली का दौरा करेंगे. मुख्यमंत्री की दलील है कि ऐसे दौरों से राज्य में निवेश आकर्षित करने में सहायता मिलती है.

सिंगूर में क्या क्या हुआ

ममता के साथ जाने वाले वित्त मंत्री अमित मित्र ने कहा, "जर्मनी पिछले बंगाल वैश्विक व्यापार सम्मेलन में साझीदार देश था. वह बंगाल की विकास गाथा में भी साझीदार बनना चाहता है." उन्होंने बताया कि जर्मनी के विभिन्न राज्यों की कई कंपनियों के साथ निवेश के मुद्दे पर अल-अलग बातचीत की जाएगी. भारत में दिलचस्पी रखने वाली कई सरकारी एजंसियों के प्रतिनिधियों से भी मुलाकात की संभावना है. नार्थ राइन-वेस्टफालिया से भी एक प्रतिनिधमंडल मंगलवार को होने वाली बैठकों में हिस्सा लेगा.

पिछली बार गई थीं म्यूनिख

फिलहाल बीएएसएफ, मेट्रो कैश एंड कैरी, सीमेंस, फोनिक्स और वॉकर सिलिकॉन समेत कई जर्मन कंपनियां बंगाल में कारोबार करती हैं. मित्र कहते हैं, "फिलहाल बंगाल की पांच सौ कंपनियां अपने उत्पादों को जर्मनी निर्यात करती हैं, जबकि जर्मनी की दो सौ कंपनियां यहां मौजूद हैं."

ममता बनर्जी ने दो साल पहले ऑटोमोबाइल उद्योग का गढ़ कहे जाने वाले जर्मन शहर म्यूनिख का दौरा किया था. लेकिन तमाम दावों और आश्वासनों के बावजूद अब तक वहां से कोई बड़ा निवेश नहीं आया है. इस बार उन्होंने फ्रैंकफर्ट को चुना है. वे चाहती हैं कि जर्मनी की छोटी व मझौली कंपनियां बंगाल को अपने निवेश का ठिकाना बनाएं. ममता बनर्जी के प्रतिनिधिमंडल में शामिल एक उद्योगपति कहते हैं, "बड़ी कंपनियों को बंगाल में निवेश के लिए तैयार करना आसान नहीं होगा. उनकी बजाय छोटी व मझौली कंपनियों को आसानी से निवेश के लिए राजी किया जा सकता है."

ममता बनर्जी 20 सितंबर तक जर्मनी में रहने के बाद इटली के औद्योगिक शहर मिलान का रुख करेंगी. वहां भी 24 सितंबर को उद्योगपतियों और संभावित निवेशकों के साथ बैठकें आयोजित की जाएंगी. पहले उन्हें फ्रैंकफर्ट से पेरिस जाना था लेकिन बाद में पेरिस की जगह मिलान को तरजीह दी गई.

पश्चिम बंगाल में सिलिकॉन वैली?

बनर्जी अमेरिका की तर्ज पर अब राजधानी कोलकाता में भी सिलिकॉन वैली की स्थापना करना चाहती हैं. महानगर के पूर्वी छोर पर स्थित राजारहाट इलाके में हाल में सूचना तकनीक (आईटी) हब का शिलान्यास करने के बाद उन्होंने सवाल किया कि अगर अमेरिका में सिलिकॉन वैली हो सकती है, तो बंगाल में क्यों नहीं. वह कहती हैं कि सिलिकॉन वैली उनका सपना भी है और चुनौती भी.

आईटी क्षेत्र की अग्रणी कंपनी इन्फोसिस के अलावा रिलायंस जियो ने भी प्रस्तावित हब में डाटा सेंटर खोलने के लिए एक हजार करोड़ रुपये के निवेश का भरोसा दिया है. इन्फोसिस पहले चरण में सौ करोड़ का निवेश करेगी. इसके साथ ही सरकार ने अपनी नई आईटी नीति का भी एलान कर दिया है.

सबसे बड़ी इंटरनेट कंपनियां

ममता बनर्जी की दलील है कि बंगलूरू और हैदराबाद जैसे शहरों में अब भीड़ बढ़ रही है. ऐसे में बंगाल में सिलिकॉन वैली के विकास का यही सही समय है. मुख्यमंत्री ने आईटी कंपनियों से प्रस्तावित हब में निवेश के लिए आगे आने की अपील की है. वे अपने मौजूदा जर्मनी व फ्रांस दौरे के दौरान भी वहां की आईटी कंपनियों को बंगाल में निवेश के लिए आकर्षित करने का प्रयास करेंगी.

मुख्यमंत्री का दावा है कि राज्य व देश में ही नहीं, बल्कि यह सिलिकॉन वैली हब पूरी दुनिया में आईटी के क्षेत्र में निवेश के शीर्ष ठिकाने के तौर पर उभरेगा. वे दावा करती हैं, "बंगाल के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी की विकास दर 9.15 फीसदी है. यहां उद्योग क्षेत्र भी 16.29 फीसद की दर से बढ़ रहा है, जबकि इस मामले में राष्ट्रीय औसत 5.54 फीसदी है." केंद्रीय श्रम मंत्रालय के आंकड़ों के हवाले से सरकार का दावा है कि बंगाल में बेरोजगारी 40 फीसद घट गई है.

आसान नहीं है ममता की राह

ममता बनर्जी की दलील है कि बंगाल पूर्वोत्तर भारत के साथ-साथ भूटान, नेपाल, बांग्लादेश, झारखंड, बिहार व ओडीशा का भी प्रवेशद्वार है. यहां से तीन घंटे में सिंगापुर और दो घंटे में बैंकाक पहुंचा जा सकता है. इस बीच बंगाल सरकार ने अपनी नई आईटी नीति का भी एलान कर दिया है. इसकी अधिसूचना में कहा गया है कि नई नीति 3डी प्रिंटिंग, बिग डाटा एनालिटिक्स, एनिमेशन व गेमिंग के अलावा साइबर सिक्योरिटी, इंटरनेट-ऑफ-थिंग्स (आईओटी), रोबोटिक्स, ड्रोन्स, फिनटेक, आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस (एआई), इंडस्ट्री 4.0 और क्वांटम कंप्यूटिंग पर केंद्रित होगी. सरकार ने कहा है कि नई आईटी नीति का मकसद राज्य को भविष्य के लिए तैयार करना है.

दूसरी ओर, विपक्षी राजनीतिक दलों ने प्रस्तावित दौरे को जनता के धन की बर्बादी करार दिया है. सीपीएम के प्रदेश सचिव सूर्यकांत मिश्र कहते हैं, "सरकार को मुख्यमंत्री के तमाम विदेशी दौरों, उन पर होने वाले खर्च और उनसे राज्य में आने वाले विदेशी निवेश पर एक श्वेतपत्र जारी करना चाहिए." उद्योग जगत का कहना है कि सरकार जब तक अपनी जमीन संबंधी नीति नहीं बदलेगी, तब तक राज्य में कोई बड़ा निवेश होना मुश्किल है.

अर्थशास्त्री डॉक्टर सुनील कुमार दास भौमिक कहते हैं, "राज्य में निवेश बढ़ाने के लिए सरकार को सिंगल विंडो के जरिए निवेशकों की तमाम समस्याएं सुलझानी होंगी. जमीन किसी भी उद्योग के लिए पहली शर्त है." ध्यान रहे कि देश का सबसे पुराना ऑटोमोबाइल संयंत्र हिंदुस्तान मोटर्स राज्य के हुगली जिले के हिंद मोटर्स में था. लेकिन सीके बिड़ला समूह की उक्त कंपनी अब बंद हो चुकी है.

वर्ष 2006 में टाटा समूह ने इसी जिले के सिंगुर में अपनी लखटकिया कार परियोजना शुरू की थी. लेकिन अनिच्छुक किसानों की जमीन लौटाने के मुद्दे पर ममता बनर्जी की तृणमूल ने इतने बड़े पैमाने पर आंदोलन खड़ा किया कि टाटा को यहां से अपना संयंत्र गुजरात ले जाना पड़ा था. उसके बाद से ही राज्य में एकाध के अलावा कोई बड़ा निवेश नहीं हो सका है.

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