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निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है या नहीं

१९ जुलाई २०१७

भारत में नागरिकों के निजता के अधिकार पर छिड़ी बहस अब सर्वोच्च न्यायालय में हो रही है. नौ जजों की बेंच ने इतना साफ किया है कि प्राइवेसी बचाने के लिए सरकार को नागरिकों के लिए बाध्यकारी कानून बनाने से नहीं रोका जा सकता.

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Indien Aadhaar System - Banken
तस्वीर: Getty Images/AFP/N. Seelam

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि लोगों की निजता के अधिकार को परिभाषित करने से फायदे से अधिक नुकसान हो सकता है. सुनवाई के पहले दिन अदालत में दलीलें पेश हुईं कि निजता को सर्वोपरि मानना क्यों गलत होगा. कोर्ट ने कहा कि ‘राइट टू प्राइवेसी' को एक मूलभूत अधिकार मानने से पहले उसे सही तरह से परिभाषित करना जरूरी होगा और निजता के सभी तत्वों को बिल्कुल ठीक तरह से परिभाषित करना लगभग असंभव है. आधार कार्ड और नागरिकों की निजता पर सवाल उठाने वाले याचिका पर दलील देते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि प्राइवेसी की कोई भी परिभाषा दी जाए असल में इस तरह प्राइवेसी का दायरा सिमट ही जाएगा.

भारत सरकार के बायोमीट्रिक पहचान कार्यक्रम के अंतर्गत सभी नागरिकों को एक विशिष्ट पहचान संख्या यानि आधार नंबर को लेकर यह मामला सामने आया है. अदालत के समक्ष ऐसी कई याचिकाएं आती रही हैं जिसमें इस पूरे आधार कार्ट प्रोजेक्ट के वैधानिक आधार के बारे में पूछा गया था. हर नागरिक के लिए एक खास नंबर बनाने के पहले उसके कई तरह के निजी डाटा जमा किये जाते हैं. इस तरह मौलिक अधिकार के फैसले से आधार कार्ड स्कीम की वैधता का मामला भी जुड़ा है.

इसी से मिलती जुलती कुल 22 याचिकाओं को मिलाकर मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने था. पूरे यूआईडी प्रोजेक्ट में नागरिकों के डाटा जमा करने और देश में चल रही कई योजनाओं में आधार कार्ड के नंबर के इस्तेमाल को अनिवार्य बनाने को लेकर कई शंकाएं हैं. एक याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करते हुए उनके वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि इनका समाधान करने के लिए सबसे पहले सर्वोच्च न्यायलय को यह तय करना है कि निजता का अधिकार हर नागरिक का मूल अधिकार है या नहीं.

1954 और 1962 में कोर्ट के सामने आये इससे मिलते जुलते मामलों में यह फैसला आया था कि प्राइवेसी मौलिक अधिकार नहीं माना जा सकता. अब नौ-जजों की बेंच एक बार फिर मौलिक अधिकार पर अपना फैसला सुनाएगी और उसके बाद छोटी बेंच याचिका में उठाये गये बाकी मुद्दों पर सुनवाई करेंगी. अभी यह सूचना नहीं है कि कोर्ट का अंतिम फैसला कब तक आएगा. सुनवाई 19 जुलाई से शुरु हुई और अगले दिन भी जारी रहेगी. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जेएस केहर इस बेंच की अध्यक्षता कर रहे हैं.

आधार कार्ड के लिए जमा की गयी जानकारियों के गलत इस्तेमाल को लेकर समय समय पर आशंकाएं जतायी जाती रही हैं. सरकार या सरकारी एजेंसियों के भी किसी नागरिक की निजी जानकारी का गलत इस्तेमाल करने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. ऐसे में डाटा सुरक्षा पर काम कर रहे कई विशेषज्ञ सूचना को सुरक्षित रखने की व्यवस्था पर सवाल उठाते रहे हैं. इसी साल मई में 13.5 करोड़ भारतीयों की आधार कार्ड में दी गयी जानकारी के ऑनलाइन लीक होने की खबरें आयीं थीं. हालांकि आधार डाटा का प्रबंधन करने वाली एजेंसी ने यही कहा कि उसके पास डाटा सुरक्षित है.

आरपी/एमजे (डीपीए, रॉयटर्स)