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नाइट शिफ्ट से बढ़ता है कैंसर का जोखिम

९ जनवरी २०१८

ऐसी महिलाएं जो यूरोप और उत्तर अमेरिका में नाइट शिफ्ट के दौरान काम करती है उनमें कैंसर का जोखिम 19 फीसदी अधिक होता है. साइंस पत्रिका कैंसर ऐपिडिम्यिोलॉजी, बॉयोमारकर्स एंड प्रिवेंशन में छपी एक स्ट्डी में यह बात कही गई है.

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Pakistan Mitarbeiter arbeiten an Computern bei Power 99 FM Radio
तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Qureshi

स्टडी में कहा गया है कि आस्ट्रेलिया और एशिया में नाइट शिफ्ट के दौरान काम करने वाली महिलाओं में कैंसर का खतरा यूरोप और उत्तर अमेरिका की महिलाओं के मुकाबले कम होता है. इस स्ट्डी के लेखक कुरलई मा के मुताबिक, "हमारी स्ट्डी बताती है नाइट शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं में कैंसर का खतरा अधिक रहता है." उन्होंने कहा, "हमें यह देखकर हैरानी हुई कि उत्तर अमेरिका और यूरोप में नाइट शिफ्ट करने वाली महिलाओं में स्तन कैंसर का सबसे जोखिम अधिक है." कुरलई को आशंका है कि उत्तर अमेरिका और यूरोप की महिलाओं में सेक्स हार्मोन की संख्या अधिक हो सकती है. हार्मोनों की यही बढ़ी संख्या इनसे जुड़ी बीमारी मसलन स्तन कैंसर के लिए जिम्मेदार हो सकती हैं.

वैज्ञानिकों ने इस स्ट्डी में, पहले छपे 61 शोधों का भी अध्ययन किया. साथ ही उत्तर अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और एशिया के 39 लाख लोगों को शामिल किया. हालांकि इस स्ट्डी में लंबी नाइट शिफ्ट को स्पष्टता से नहीं बताया गया है. क्योंकि कुछ जगह "रात में काम करने" वालों पर बात की गई है तो कुछ जगह "महीने में कम से कम तीन रात काम करने पर" भी बात करते हैं. कुल मिलाकर यही निष्कर्ष निकाला गया है कि नाइट शिफ्ट में लंबी अवधि तक काम करने वालों में 19 फीसदी तक कैंसर का खतरा अधिक रहता है.

Frankreich Brustimplantat von PIP
तस्वीर: dapd

शोध में देखा गया कि जो महिलाएं नाइट शिफ्ट करती है उनमें 41 फीसदी को त्वचा के कैंसर और 32 फीसदी महिलाओं को स्तर कैंसर का जोखिम होता है. वहीं गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर का जोखिम उन महिलाओं में 18 फीसदी अधिक होता है जो लंबे समय तक नाइट शिफ्ट नहीं करती. इस तरह का ट्रेंड देर रात तक काम करने वाली नर्सों में अधिक देखा गया. लेकिन रिसर्चर्स को नर्सों में यह संभावना इसलिए भी अधिक लगती है क्योंकि वह लंबे समय तक मरीजों के बीच रहती हैं. स्ट्डी में कैंसर के बढ़ते मरीजों के लिए, आजकल की बढ़ती नाइट शिफ्ट को भी एक कारण बताया गया है. 

पिछले शोधों में ये जरूर कहा गया है कि रात को काम करने के शरीर में हार्मोनल और मेटाबॉलिक बदलाव होते हैं. इन बदलावों से कैंसर, डायबिटीज, मोटापे और अवसाद का जोखिम बना होता है. वैज्ञानिकों ने जोर देते हुए कहा कि इस स्ट्डी से साफ है कि नाइट शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं के लिए स्वास्थ्य से जुड़े कार्यक्रम लाने होंगे. इनमें नियमित रूप से जांच और कैंसर के खतरे से सतर्क रहने की जरूरत है. 

एए/ओएसजे (एएफपी)