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नहीं चाहिए विदेशी कोच: धनराज

११ नवम्बर २०१२

भारत के पूर्व धुरंधर हॉकी खिलाड़ी और कप्तान धनराज पिल्लई नहीं चाहते हैं कि कोई विदेशी भारतीय टीम का कोच बने. हॉकी की दुर्दशा से धनराज इतने दुखी हैं कि बोलते बोलते वह खीझ जाते हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

कोलकाता में पत्रकारों से बातचीत करते हुए धनराज ने कहा, "कृपया मुझे भारतीय हॉकी के बारे में कुछ न पूछें. 12 टीमों में 12वें नंबर पर रहना. अब इससे भी बुरा कुछ हो सकता है क्या."

लंदन ओलंपिक्स में भारतीय हॉकी टीम बुरी तरह फ्लॉप रही. धनराज कहते हैं, "ओलंपिक तक हमने अपनी जुबान बंद रखी. लेकिन अब क्या. यह हैरान करने वाला है कि अब कोई इस असफलता पर चर्चा नहीं कर रहा है. और तो और अब हम रियो 2016 में पदक जीतने की उम्मीद कर रहे हैं. पहले सुधारवादी कदम उठाइये, देखिये कि क्या गलत हुआ, फिर रियो की बात कीजिए. लेकिन किसी को फिक्र नहीं है."

धनराज पिल्लई को भारतीय टीम के ऑस्ट्रेलियाई कोच माइकल नॉब्स भी बिल्कुल पंसद नहीं हैं. पिल्लई कहते हैं, "भारतीय हॉकी विदेशी कोचों के छत्रछाया में नहीं बढ़ सकती. सांस्कृतिक दौर पर बहुत गहरी खाई होती है और इसका नतीजा संवादहीनता होती है. मुझे समझ में नहीं आता कि लंदन ओलंपिक की असफलता के बावजूद इतनी मोटी तनख्वाव पर भारत ने कोच का करार बढ़ाने का फैसला कैसे किया."

Michael Nobbs
तस्वीर: AP

डेढ़ दशक तक भारतीय हॉकी टीम के तेज तर्रार फॉरवर्ड रहे पिल्लई मानते हैं कि विदेशी कोच भारतीय खिलाड़ियों की मनोदशा को समझ नहीं पाते हैं. मोहन बागान और ईस्ट बंगाल और मोहमडन स्पोर्टिंग ने अब हॉकी से हाथ खींच लिए. इन दिग्गज क्लबों की अब हॉकी टीम नहीं हैं, पिल्लई के मुताबिक भारतीय हॉकी के लिए यह अच्छी बात नहीं है. वह कहते हैं, "मेरे जमाने में तीन क्लब सबसे मशहूर हुआ करते थे. मुझे पूरा यकीन है कि अगर वे फिर से हॉकी टीमें बनाएं तो हॉकी आगे बढ़ेगी. इससे बंगाल को भी फायदा होगा."

पिल्लई पहले ही संकेत दे चुके हैं कि वह हॉकी इंडिया और हॉकी फेडरेशन के बीच मतभेद सुझलाने में भूमिका निभा सकते हैं. लेकिन अब उनका विचार बदला है. कोलकाता में उन्होंने कहा कि भारतीय हॉकी का भला तभी हो सकता है जब खेल मंत्रालय हॉकी इंडिया, इंडियन हॉकी फेडरेशन को ही खत्म कर एक नई संस्था बनाए. उन्होंने जोर दिया कि नई संस्था की कमान खिलाड़ियों के हाथ में होनी चाहिए, न कि नेताओं या पूर्व अधिकारियों के.

ओएसजे/एमजी (पीटीआई)

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