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"नरेन्द्र मोदी: एक उम्मीद, जिसके हाथ खून से सने हैं"

१५ अक्टूबर २०११

फ्रैंकफर्ट पुस्तक मेले के चलते जर्मन मीडिया ने की भारत में किताबों पर चर्चा. भारत द्वारा बनाए जा रहे दुनिया के सबसे सस्ते टेबलेट पीसी और भूटान के राजा की शादी पर भी रही जर्मन मीडिया की नजर.

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तस्वीर: UNI

बुधवार को जर्मनी में 63वें फ्रैंकफर्ट बुक फेयर की शुरुआत हुई. कई भारतीय प्रकाशक इस पुस्तक मेले में हिस्सा ले रहे हैं. भारत में किताबों का बाजार बहुत बड़ा है और जर्मनी के लिए वहां व्यापार के कई बड़े मौके हैं. अंग्रेजी किताबों के प्रकाशन में भारत का स्थान दुनिया में तीसरा है. इसलिए जर्मन किताबों का अंग्रेजी में अनुवाद कर उन्हें भारत में बेचा जाता है. बहुत सी किताबों का भारतीय भाषाओं में भी अनुवाद किया जाता है. 2009 में जर्मनी ने भारत में किताबों के 98 अधिकार बेचे. 2006 में जब भारत फ्रैंकफर्ट पुस्तक मेले में मुख्य अतिथि देश था तब रिकॉर्ड 145 किताबों के प्रकाशन के लाइसेंस बेचे गए थे. फ्रांकफुर्टर अल्गेमाइने त्साईटुंग ने इस बारे में लिखाः

Symbolbild Zauberbuch
तस्वीर: Fotolia/Mike Haufe

किताबों के प्रकाशन में भारत छठे नंबर पर है. हर साल वहां 19,000 प्रकाशक करीब 90,000 किताबों का प्रकाशन करते हैं - लेकिन ठीक संख्या कोई भी नहीं जानता. बस एक बात तय है: वहां के बाजार पर पारिवारिक कारोबार वाले छोटे छोटे प्रकाशकों का वर्चस्व है. भारत ने जब से 1991 में अर्थव्यवस्था को खोला है तब से कई बड़ी विदेशी कंपनियों की भारत पर नजर बनी हुई है. आज इस बाजार की कीमत 1.4 अरब यूरो आंकी जाती है. भारतीय उपमहाद्वीप पर जितनी भी नई किताबें प्रकाशित हो रही हैं उनमें से आधी पाठ्यपुस्तकें हैं. उभरते हुए भारत में शिक्षा के लिए प्यास बढ़ रही है. भारत में नौ प्रतिशत की रफ्तार से हो रहे आर्थिक विकास की बदौलत ऐसा मध्य वर्ग विकसित हो रहा है जो पढ़ना चाहता है. किताबों से जुड़ा हर व्यक्ति यह बात जानता है कि मांग बढ़ रही है.

स्टीव जॉब्स के निधन के बाद बहुत से लोगों को इस बात पर शक है कि एप्पल कंपनी खुद को उन्हीं ऊंचाइयों पर बना कर रख सकेगी. लेकिन भारत ऐसी चिंताओं से दूर है, क्योंकि उसके पास अब खुद का अपना टेबलेट कंप्यूटर है, जो दुनिया का सबसे सस्ता टेबलेट पीसी है. नवंबर से भारत में आकाश नाम का टेबलेट पीसी मिलने लगेगा जिसकी कीमत केवल 45 यूरो यानी  तीन हजार रुपये है. 500 से 800 यूरो में मिलने वाले एप्पल की तुलना में यह बेहद सस्ता है. अमेरिका में आकाश 189 डॉलर यानी करीब नौ हजार रुपये में मिल सकेगा. इस बारे में फ्रांकफुर्टर अल्गेमाइने त्साइटुंग ने लिखाः

भारतीय छात्रों का सपना चौकोण है, उसमें एक स्क्रीन भी है और सबसे बढ़ कर वह सस्ता है. आकाश नाम के टेबलेट कंप्यूटर से सरकार हर हिन्दुस्तानी बच्चे को इंटरनेट की सुविधा दिलवाने का अपना वादा पूरा करने जा रही है. अपने बड़े भाई आईपैड की तुलना में आकाश की कीमत कम है. और यह एक ऐसे देश में शिक्षा और सूचना मुहैया कराएगा जहां आज भी पांच साल से कम उम्र वाले आधे बच्चों का वजन सामान्य से कम है और जहां प्रतिदिन करीब तीन हजार बच्चों की कुपोषण के कारण जान चली जाती है. करीब चालीस प्रतिशत भारतीय अशिक्षित हैं.

Frankfurter Buchmesse Bücherstapel
तस्वीर: AP

गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत के सबसे सफल मुख्यमंत्रियों में गिना जाता है. 2001 में मोदी के राज्य की कमान अपने हाथ में लेने के बाद से राज्य ने काफी प्रगति की है. 60 साल के मोदी गुजरात में सबसे लम्बे कार्यकाल वाले मुख्यमंत्री बन गए हैं. सफलता की ओर बढ़ते मोदी भारत के प्रधानमंत्री बनने का सपना रखते हैं, लेकिन मुसलमानों की नाराजगी मोदी के आड़े आ रही है. नौए त्स्यूरिषर त्साइटुंग ने इस पर टिप्पणी की है और लेख को शीर्षक दिया है "एक उम्मीद, जिसके हाथ खून से सने हैं":

इस बात से किसे हैरानी हो सकती है कि अपनी सफलताओं के बीच नरेन्द्र मोदी की आकांक्षाएं और बढ़ती जा रही हैं और अब वह प्रधानमंत्री बनने का सपना देखने लगे हैं. सच्चाई तो यह है कि गुजराती जितना उनसे प्यार करते हैं, उनके राज्य के बाहर कई लोग उनसे उतनी ही ज्यादा नफरत करते हैं, क्योंकि इस हिन्दू राष्ट्रवादी के हाथ खून से सने हुए हैं. कम से कम प्रतीकात्मक रूप से तो ऐसा कहा ही जा सकता है. फरवरी 2002 में हुए दंगों के दौरान जब गुजरात में दो हजार मुसलमानों की बर्बर हत्या की गई और 10,000 मुसलमानों ने अपने घर और दुकानें खो दिए, उस समय मोदी ही कुर्सी संभाल रहे थे.

गुरुवार को भूटान के 31 वर्षीय राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक ने अपनी दस साल छोटी प्रेमिका जेतसुन पेमा से शादी की. जेतसुन एक कमर्शियल पायलट की बेटी हैं. भूटान के राजा ने बेहद सरल रूप से शादी की. ना ही अन्य देशों के प्रमुखों को बुलाया और ना ही विदेशी राजघरानों को न्योता भेजा. कम जगह होने के कारण भूटान के नेताओं से निवेदन किया गया कि वे गुरुवार को शादी में अकेले ही आएं. ऐसी सीधी सादी शादी के बावजूद नौए त्स्यूरिषर त्साइटुंग ने राजा की तारीफ में लिखा है:

वांगचुक भारत और चीन के बीच स्थित छोटे से देश के राजवंश के पांचवें राजा हैं. उनके शासन में भूटान में कई बदलाव आए हैं. 60 के दशक में भूटान में ना सड़कें थीं और ना पैसा. बाहर की दुनिया से कोई संपर्क नहीं था. टीवी की अनुमति 1999 में मिली. जिग्मे के पिता ने 'सकल घरेलू संतोष' की अवधारणा ईजाद की. इसके तहत देश का विकास केवल पैदावार बढ़ाने पर ही केन्द्रित नहीं होना चाहिए, बल्कि लोगों की संतुष्टि का भी ख्याल रखना चाहिए. 2006 में उन्होंने अपनी गद्दी त्याग दी और देश में चुनाव कराए. तब से भूटान में संवैधानिक राजशाही है.

Sri Lanka Bombenexplosion in Karadiyanaru
तस्वीर: AP

श्रीलंका में 30 साल तक चले गृह युद्ध में कम से कम एक लाख लोगों की जान गई. नौए त्स्यूरिषर त्साइटुंग ने लिखा है कि गृह युद्ध खत्म होने के दो साल बाद भी श्रीलंका के उत्तरी हिस्से में स्थिति सामान्य से बहुत दूर है. लोगों के घर तबाह हो चुके हैं, उनके पास रोजगार नहीं है और सेना की उपस्थिति पंगु बनाने वाली है:

अब तक पुनर्निर्माण का जितना काम हुआ है, बेहद निराशाजनक है. पूर्वी किलीनोच्ची पर विद्रोहियों का कब्जा रहा. वहां गृह युद्ध के खत्म होने तक लगभग सभी घर या तो पूरी तरह तबाह हो चुके थे या उन्हें बड़ा नुकसान पहुंचा था. पुनर्निर्माण के लिए जिम्मेदार अधिकारी का कहना है कि अब तक इस इलाके में 27,000 नए घर बनाए जाने चाहिए थे और नौ हजार की मरम्मत होनी चाहिए थी. पिछले दो सालों में केवल पांच हजार घर बनाए गए हैं, या उनकी मरम्मत हुई है. बर्बादी के आयाम को देखते हुए स्थानीय अधिकारी लाचार हैं, क्योंकि आर्थिक तौर पर वे केंद्र सरकार पर निर्भर हैं और उन्हें कोई सहायता नहीं मिल रही है.

संकलन: ईशा भाटिया

संपादन: महेश झा

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