1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

नया साल 2011 मंगलमय हो!

३ जनवरी २०११

डॉयचे वेले हिंदी परिवार की ओर से हमारे श्रोताओं को नववर्ष 2011 पर हार्दिक शुभकामनाएं. बहुत सारे लोगों ने इस मौके पर हमसे संपर्क किया है और बधाइयां दी हैं. आप सब लोगों का डॉयचे वेले शुक्रिया अदा करता है.

https://p.dw.com/p/Qm9D
तस्वीर: AP

आप सभी श्रोताओं ने हमें नए साल पर शुभकामनाएं भेजी हैं.

सुनील बरण दास, आरबीआई लिस्नर्स क्लब, जिला नदिया, पश्चिम बंगाल
राकेश शर्मा, हिंदी अधिकारी, दोना पावला, गोवा
पी कन्नान्सेकर, वर्ल्ड शॉर्टवेव रेडियो लिस्नर्स क्लब, वेल्लोर, तमिलनाडु
देबकमल हजारिका, यूनिवर्सल डीएक्स क्लब, गोलाघाट, असम
रफ़ीक हबीब, स्काई वेव लिस्नर्स क्लब, हैदराबाद, पाकिस्तान
आलमी रेडियो लिस्नर्स क्लब, आजमगढ़, उत्तर प्रदेश
दिलीप ठाकुर , डिप्टी एडिटर , नई दुनिया, इंदौर
आमिर मंज़ूर, एडवोकेट, खानपुर, पाकिस्तान
आर आश्विन कुमार, हैदराबाद, आंध्र प्रदेश
नितिन शुक्ला, जिला सारन (छपरा), बिहार
अशोक बजाज, ग्राम चौपाल, रायपुर
युवराज जांगिड, नागौर, राजस्थान
पवन कुमार पंकज, पटना, बिहार
प्रकाश पैन्तोला, सलेना, नेपाल
अनूप अग्रवाल, ईमेल से
सुब्रत कुमार पति, भुबनेश्वर
प्रशांत जी पुथारिकल, मुंबई
मेराज अहमद, संयुक्त अरब अमीरात
किशन यादव, गुडगांव

विवेक रंजन श्रीवास्तव, जबलपुर से ने यह एक कविता भी भेजी है
स्वागत है नव वर्ष तुम्हारा
एक वर्ष लो बीत गया कल, नया वर्ष फिर से है आया
सुख सद्भाव शांति का मौसम, फिर भी अब तक लौट न पाया
नये वर्ष संग सपने जागे, गये संग सिमटी आशाएं
दुनिया ने दिन कैसे काटे, कहो तुम्हें क्या क्या बतलाएं
सदियां बीत गई दुनिया की, नवीनता से प्रीति लगाए
हर नवनीता के स्वागत में, नयनों ने नित पलक बिछाए

सुख की धूप मिली बस दो क्षण, अकसर घिरी दुखों की छाया
पर मानव मन निज स्वभाव वश, आशा में रहता भरमाया
आकर्षक पंछी से नभ से, गाते नये वर्ष हैं आते

देकर सीमित साथ समय भर, भरमा कर सबको उड़ जाते
अच्छी लगती है नवनीता, क्योकि चाहता मन परिवर्तन
परिवर्तन प्राकृतिक नियम में, भरा हुआ अनुपम आकर्षण
स्वागत है नव वर्ष तुम्हारा, तुमसे हैं सबको आशाएं
नए दिनों में नई आभा फैला, हरो विश्व की सब विपदायें
मानवता बीमार बहुत है, टूट रहे ममता के धागे
करो वही उपचार कि जिससे, स्वास्थ्य बढ़े शुभ करुणा जागे
सदा आपसी ममता से मन, रहे प्रेम भावित गरमाया
आतंकी अंधियार नष्ट हो, जग को इष्ट मिले मन भाया
मन हो आस्था की ऊर्जा, सज पाए संसार सुहाना
प्रेम विनय सद्भाव गान हो, भेदभाव हो राग पुराना
स्वागत है नव वर्ष तुम्हारा.

इनके अलावा भी हमें बहुत सारे श्रोताओं ने लिखा है. हम सभी का धन्यवाद करते हैं.

संकलनः विनोद चढ्डा