1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

नया नक्शा दिखाकर भारत से क्या चाहता है पाकिस्तान

चारु कार्तिकेय
१० अगस्त २०२०

नेपाल के बाद अब पाकिस्तान ने नया राजनीतिक नक्शा जारी कर भारतीय उप-महाद्वीप पर नक्शों के जरिए सीमाओं की राजनीति शुरू कर दी है. नेपाल की ही तरह पाकिस्तान ने भी भारत के इलाकों पर अपना स्वामित्व जताया है.

https://p.dw.com/p/3giWp
Pakistan Veröffentlichung einer neuen politischen Karte
तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Qureshi

भारत के जूनागढ़ और सर क्रीक के अलावा पाकिस्तान के नए नक्शे में लगभग पूरे कश्मीर प्रांत को पाकिस्तान के इलाके में दिखाया गया है. इसमें भारत के नियंत्रण वाला जम्मू और कश्मीर, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और गिलगिट-बाल्तिस्तान भी शामिल हैं. नक्शे को जारी करते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा था कि ये नक्शा भारत द्वारा पांच अगस्त 2019 को उठाए गए कदमों को ठुकराता है.

इन कदमों के तहत केंद्र सरकार ने जम्मू और कश्मीर के विशेष राज्य के दर्जे को निरस्त कर उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था. तब से कश्मीर में सुरक्षाकर्मियों की तैनाती बढ़ा दी गई और और पूरे इलाके में कड़े प्रतिबंध लगा दिए गए. कई प्रतिबंध अब भी लागू हैं और स्थिति सामान्य से बहुत दूर है. पाकिस्तान ने नया नक्शा इन्हीं कदमों की पहली वर्षगांठ पर एक राजनीतिक संदेश देने के लिए जारी किया.

नक्शे पर भारतीय कश्मीर को लेकर पाकिस्तान के दावे में विसंगति भी है. एक तरफ इन इलाकों को पाकिस्तान की सीमाओं के अंदर दिखाया गया है और दूसरी तरफ उस पर यह भी लिखा है कि वो विवादित इलाका है और उसकी अंतिम स्थिति संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के अनुसार तय होगी.

इसके अलावा सियाचिन ग्लेशियर पर पाकिस्तान ने अपना पूरा स्वामित्व जताया है. असलियत में ग्लेशियर भारत के नियंत्रण में है और पाकिस्तान उस पर अपने स्वामित्व का दावा करता है. सर क्रीक भारत-पाकिस्तान की सीमा पर गुजरात और सिंध प्रांतों के बीच एक खाड़ी है और एक विवादित इलाका है. पाकिस्तान ने नए नक्शे में इस पर भी अपना स्वामित्व जताया है. गुजरात के जूनागढ़ जिले को भी पाकिस्तान की सीमा के अंदर दर्शाया गया है, जो पूरी तरह से भारत में है और उसका कोई इलाका पाकिस्तान से नहीं लगता है.

भारत ने इस नक्शे को नकारते हुए इसे "राजनीतिक बेतुकेपन" का एक उदाहरण बताया था और कहा था पाकिस्तान के दावों की ना कोई "कानूनी मान्यता" है और ना "अंतर्राष्ट्रीय विश्वसनीयता." लेकिन जानकारों के बीच पाकिस्तान के इस कदम को लेकर राय बंटी हुई है. कुछ विशेषज्ञ इसे पाकिस्तानी प्रधानमंत्री द्वारा हताशा में उठाया गया एक कदम बता रहे हैं तो कुछ इसके पीछे किसी संकट की संभावना के प्रति आगाह कर रहे हैं.

Karte Grenzgebiete Kaschmir EN
कश्मीर प्रांत की सीमाएं.

नई दिल्ली स्थित आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में सीनियर फेलो सुशांत सरीन बताते हैं कि पाकिस्तान अपने नक्शों में हमेशा जूनागढ़ को अपने इलाके का हिस्सा बताता रहा है, इसलिए इसमें कुछ नया नहीं है. सर क्रीक पर स्वामित्व जताना नया जरूर है लेकिन उसपर विवाद कोई बड़ा मुद्दा नहीं है. सरीन कहते हैं कि वैसे तो कश्मीर पर पाकिस्तान का दावा नया नहीं है लेकिन पहली बार लगभग पूरे कश्मीर प्रांत को अपनी सीमा के अंदर दिखाने से विवाद की जटिलता और बढ़ गई है.

वरिष्ठ पत्रकार संजय कपूर पाकिस्तान के इस कदम को लेकर सचेत रहने को कह रहे हैं. वो भारत सरकार के इस कदम को खारिज करने के निर्णय से सहमत नहीं हैं और मानते हैं कि भारत को इसे संकट के रूप में देखना चाहिए. हालांकि वो कहते हैं कि दोनों देश आजकल एक-दूसरे से कूटनीतिक स्तर पर बातचीत नहीं कर रहे हैं और ऐसे में भारत कैसे इस मुद्दे को उठाएगा यह एक और चिंता का विषय है.

नक्शों की राजनीति

नेपाल और पाकिस्तान दोनों ही देशों की तरफ से भारत के प्रति इस तरह नक्शों को लेकर राजनीति करने के पीछे कई समीक्षक चीन का भी हाथ मानते हैं. सुशांत सरीन कहते हैं कि जिस तरह से पाकिस्तान ने नए नक्शे में अपनी पूर्वी सीमाओं को चीन की तरफ खुला रखा है, उससे स्पष्ट है कि चीन और पाकिस्तान पहले से भी ज्यादा सांठ-गांठ के साथ काम कर रहे हैं. वो यह भी कहते हैं कि ये कुछ हद तक दूर की कौड़ी जरूर है लेकिन नक्शे पर अपने इरादे दिखा देने के बाद पाकिस्तान किसी सैन्य गतिविधि की तैयारी कर रहा हो, इस से पूरी तरह से इंकार नहीं किया जा सकता.

Nepal I Parlament genehmigt neue Landkarte
नेपाल की राजधानी काठमांडू में देश के नए नक्शे का उत्सव मनाने के लिए उसकी रूपरेखा पर मोमबत्तियां जलाते हुए लोग.तस्वीर: picture-alliance/AP/N. Shrestha

नेपाल के साथ भारत का सीमा विवाद हिमालय में एक 80 किलोमीटर वाले रोड के वर्चुअल उद्घाटन के बाद शुरू हुआ. नेपाल की पश्चिमी सीमा के करीब स्थित ये रोड भारत को लिपुलेख पास से चीन की सीमा से जोड़ता है. नेपाल ने फौरन इसका विरोध किया और कहा कि यह रोड उस इलाके से गुजरती है जिस पर नेपाल का दावा है और भारत ने इसे बनाने से पहले उसके साथ कोई बातचीत नहीं की है. उसके बाद नेपाल ने एक संवैधानिक संशोधन कर अपने दावों को 400 वर्ग किलोमीटर बढ़ा दिया.

__________________________

हमसे जुड़ें: Facebook | Twitter | YouTube | GooglePlay | AppStore

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी