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नया किलोग्राम कितना भारी होगा?

१६ नवम्बर २०१८

कई सालों तक पेरिस के बाहर एक तहखाने में बंद धातु का सिलिंडर दुनिया भर के लिए वजन का परिमाण बना रहा लेकिन अब वैज्ञानिकों ने किलोग्राम की परिभाषा को बदलने का फैसला किया है.

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Nachbildung des International Prototype Kilogramm
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/C. Ena

पेरिस के बाहर वर्साय में 50 से ज्यादा देशों के प्रतिनिधियों ने किलोग्राम की नई परिभाषा तय करने पर मुहर लगा दी है. 20 मई से नई परिभाषा लागू हो जाएगी. किलोग्राम को एक बेहद छोटे मगर अचल भार के जरिए परिभाषित किया जाएगा. इसके लिए "प्लैंक कॉन्स्टेंट" का इस्तेमाल किया जाएगा. नई परिभाषा के लिए वजन मापने का काम किब्बल नाम का एक तराजू करेगा. अब इसका आधार प्लेटिनम इरीडियम का सिलिंडर नहीं होगा. इसकी जगह यह प्लैंक कॉन्स्टेंट के आधार पर तय किया जाएगा. क्वांटम फिजिक्स में प्लैंक कॉन्स्टेंट को ऊर्जा और फोटॉन जैसे कणों की आवृत्ति के बीच संबंध से तैयार किया जाता है.

उदाहरण के लिए एक मीटर का मतलब सौ सेंटीमीटर नहीं होता, बल्कि वास्तव में यह "वो लंबाई है जो निर्वात में प्रकाश की किरण एक सेकेंड के 1/299,792,548 समय में तय करती है." अब इसी तरह किलोग्राम का भी वजन एक सर्वमान्य तरीके से तय किया जाएगा, जो कोई भी गणना कर हासिल कर सकता है. किलोग्राम की नई परिभाषा तैयार हो जाने के बाद देशों के लिए वजन की सही माप जानने के लिए उन्हें पेरिस भेजने की जरूरत नहीं रहेगी.  

माना जा रहा था कि किसी ऐसी चीज की जरूरत है जो ज्यादा स्थाई हो. पेरिस के करीब वर्साय के महल में करीब हफ्ते भर चली बैठक के बाद शुक्रवार को वोटिंग से इस बारे में फैसला लिया गया. इंटरनेशनल ब्यूरो ऑफ वेट्स एंड मेजर्स की बैठक में मापतौल में गहरी दिलचस्पी रखने वाले दुनिया के प्रमुख लोग शामिल हुए. इन लोगों ने "इलेक्ट्रॉनिक किलोग्राम" के नाम से भार का नया आधार तैयार किया है.

1967 में समय की ईकाई सेकेंड को फिर से परिभाषित किया गया था ताकि दुनिया में संचार को जीपीएस और इंटरनेट जैसी तकनीकों के लिए आसान बनाया जा सके. विशेषज्ञों का मानना है कि किलोग्राम में बदलाव भी तकनीक के लिए अच्छा होगा. खासतौर से स्वास्थ्य और खुदरा कारोबार के लिए. हालांकि इससे चीजों की कीमतें बहुत नहीं बदलेंगी. 

किलोग्राम को 1889 में प्लैटिनेम इरीडियम के चमकीले टुकड़े की मदद से परिभाषित किया गया था. माइक्रोग्राम में दवाइयों से लेकर किलोग्राम में सेब, नाशपाती हो या फिर टनों में सीमेंट और स्टील, वजन मापने की हर आधुनिक ईकाई इसी पर आधारित है.

Rostiges Gewicht mit einer Feder
तस्वीर: picture-alliance/blickwinkel/McPHOTO

पुराने सिस्टम में किलोग्राम का वजन प्लेटिनिम इरिडियम की एक सिलिंडर जैसी आकृति के सटीक वजन के बारबर होता है. यह आकृति कांच के जार में पेरिस के पास वर्साय की ऑर्नेट बिल्डिंग की सेफ में रखी हुई है. इस सेफ तक पहुंचने के लिए उन तीन लोगों की जरूरत होती है, जिनके पास तीन अलग अलग चाभियां हैं. ये तीनों लोग तीन अलग अलग देशों में रहते हैं. इन चाभियों की मदद से ही इस सेफ को खोला जा सकता है. इसकी निगरानी इंटरनेशनल ब्यूरो ऑफ वेट्स एंड मेजर्स करती है.

तमाम सुरक्षा उपायों के बाद भी बीते 129 सालों में माना जाता है कि इसके वजन में कुछ बदलावा हुआ है. समस्या यह है कि "किलोग्राम का अंतरराष्ट्रीय मूलरूप" हमेशा एक समान वजन नहीं बताता. यहां तक कि कांच की तीन जारों में रखा प्रतिरूप धूल में सना और गंदा होता है और इस पर मौसम का भी असर होता है. कभी कभी तो इसे सचमुच धुलने की जरूरत होती है. ब्रिटेन के नेशनल फीजिकल लैबोरेट्री से जुड़े इयान रॉबिन्सन का कहना है, "हम आधुनिक दुनिया में रहते हैं. वातावरण में प्रदूषण फैलाने वाले कण हैं जो इसके वजन से चिपक सकते हैं. इसलिए जब आप इसे तहखाने से बाहर निकालते हैं, तो यह थोड़ा गंदा होता है. इसे साफ करने, संभालने और इसके भार का इस्तेमाल करने में इसका भार बदल सकता है. तो शायद यह भार को परिभाषित करने का सबसे अच्छा तरीका नहीं है."

पेरिस में लंबाई के नाप के लिए भी प्लैटिनम इरिडियम की एक छड़ रखी हुई है. हालांकि निर्वात में नियत वेग से रोशनी गुजार कर अब मीटर को परिभाषित किया गया है.

एनआर/आईबी (डीपीए, एपी)