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नम आंखों से वाईएसआर को अंतिम विदाई

४ सितम्बर २००९

नारों के बीच नम आंखों से हज़ारों लोगों ने अपने नेता को अंतिम विदाई दी. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी का शुक्रवार को उनके पुश्तैनी ज़िले कडप्पा में अंतिम संस्कार कर दिया गया.

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"चला गया एक ज़बरदस्त नेता"तस्वीर: Fotoagentur UNI

वाईएसआर के पार्थिव अवशेषों को जब हेलीकॉप्टर के ज़रिए हैदराबाद से कडप्पा लाया गया तो महिलाएं दहा़ड़े मारकर रो रही थी. फ़िज़ा में "वाइएसआर अमर रहे" के नारे गूंज रहे थे. अंतिम संस्कार में उमड़े हज़ारों लोगों को यक़ीन ही नहीं हो रहा था कि उनका नेता चला गया है. रेड्डी की बुधवार को एक हेलीकॉप्टर हादसे में मौत हो गई. उनके साथ चार अन्य लोग भी थे जिनमें दो सीनियर अधिकारी और दो पायलट थे.

शुक्रवार को वाइएसआर के शव को हैदराबाद के स्टेडियम में रखा गया जहां उनके हज़ारो समर्थकों के साथ साथ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के अलावा तमाम बड़े नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी.

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा, "देश ने एक ज़बरदस्त नेता खो दिया है. आंध्र प्रदेश की जनता के लिए उनका वह आदर्श मुख्यमंत्री नहीं रहा जो हमेशा लोगों की भलाई के बारे में ही सोचता था." सोनिया गांधी अपनी संवेदना इस शब्दों में व्यक्त की, "मैं अपने साथी मुख्यमंत्री राजशेखर रेड्डी को आख़िरी अलविदा कहने आई हूं. एक ऐसा नेता अपनी जिंदगी गरीबों, किसानों और जरूरतमंद लोगों को ऊपर उठाने के लिए लगा दी."

वाईएसआर बड़े जनाधार वाले नेता थे. यही वजह है कि आंध्र प्रदेश में वह निर्विवाद नेता के रूप में उभरे. उन्होंने न सिर्फ़ कांग्रेस को लगातार दो विधानसभा चुनावों में जीत दिलाई, बल्कि अपने दम पर आम चुनावों में बेहतर प्रदर्शन के ज़रिए केंद्र में कांग्रेस को मज़बूती दी.

वाईएस राजशेखर रेड्डी की असमय मौत पर कई राज्यों में राजकीय शोक की घोषणा की गई है. वहीं आंध्र प्रदेश में राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया गया. ऐसी भी ख़बरे हैं कि अपने नेता की मौत की ख़बर पाने का सदमा कई लोग बर्दाश्त नहीं सके और दिल के दौरे से 10 लोगों की जान चली गई. चार लोगों ने आत्महत्या भी कर ली. वाइएसआर के बेटे वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने लोगों से अपील की है कि वे इस तरह का कोई क़दम न उठाएं और संयम से काम लें.

इस बीच आंध्र प्रदेश के कुछ नेताओं ने एक प्रस्ताव पास करके जगन मोहन रेड्डी को मुख्यमंत्री बनाने की मांग की लेकिन कुछ नेताओं की राय है कि एक ही परिवार तक सत्ता को सीमित रखना लोकतांत्रिक नहीं है.

रिपोर्टः एजेंसियां ए कुमार

संपादनः ए जमाल