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समाज

नफरत भरी पोस्ट हटाओ, नहीं तो 5 करोड़ का जुर्माना भरो

७ अप्रैल २०१७

सोशल मीडिया वेबसाइटों को नफरत भरी बातें हटानी होंगी, अगर ऐसा नहीं हुआ तो उन पर 5 करोड़ यूरो तक जुर्माना ठोका जाएगा. जर्मन सरकार ने "हेट स्पीच" के खिलाफ प्रस्तावित विधेयक को मंजूरी दी.

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Bundesjustizminister Maas - Kinderehen und Hasskommentare im Internet
तस्वीर: picture-alliance/dpa/P. Zinken

फेसबुक और ट्विटर जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर फर्जी खबरें और नफरत फैलाने वाली पोस्ट्स की बाढ़ आए दिन दिखाई पड़ती है. झूठी खबरों के फैलने से समाज को गलत जानकारी मिलती है और एक खास किस्म की घृणा का प्रसार होता है. इसी से निपटने के लिए जर्मनी एक नया कानून बनाने जा रहा है. कानून से जुड़े प्रस्ताव को सरकार ने मंजूरी दे दी है. जर्मनी में सितंबर में संसदीय चुनाव होने हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में फर्जी खबरों की बाढ़ सी आ गई थी. जर्मनी चुनावों से पहले इसे रोकना चाहता है.

प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद जर्मनी के न्याय मंत्री हाइको मास ने कहा, "सड़क की तरह सोशल मीडिया पर भी आपराधिक उफान के लिए बहुत कम सहनशीलता होनी चाहिए. यह साफ है कि हमारे दमकते लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बहुत ज्यादा अहमियत है.. हालांकि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता वहां खत्म हो जाती है, जहां आपराधिक कानून शुरू होता है."

Infografik Percentage of social media hate speech deleted after user reports
हेट स्पीच के खिलाफ कितनी सजग हैं कंपनियां

जर्मन न्याय मंत्री ने साफ किया है कि वह यूरोपीय मंच पर भी ऐसे ही नियमों की वकालत करेंगे. जर्मन सरकार के सर्वे में पता चला है कि फेसबुक ने सिर्फ 39 फीसदी आपत्तिजनक सामग्री हटाई. ट्विटर ने सिर्फ एक फीसदी कंटेंट डिलीट किया. दोनों ही कंपनियां 2015 में एक आचार संहिता पर दस्तखत कर चुकी हैं. आचार संहिता के मुताबिक इंटरनेट कंपनियां 24 घंटे के भीतर घृणा फैलाने वाली सामग्री हटाने पर सहमत हुई थीं.

डिजिटल कंपनियों के प्रतिनिधि, कुछ यूजर्स और पत्रकार, नए कानून को अभिव्यक्ति की आजादी को दबाने वाला मानते हैं. डिजिटल सोसाइटी एसोसिएशन कंज्यूमर ग्रुप के प्रमुख फोल्कर ट्रिप कहते हैं, "सोशल नेटवर्कों को कंटेंट पुलिस बनाना गलत रास्ता है." ट्रिप कहते हैं, "यह विधेयक अदालतों के बजाए प्राइवेट कंपनियों को इस बात के लिये बाध्य करेगा कि वे तय करें कि जर्मनी में क्या गैरकानूनी है."

जर्मनी में 2.9 करोड़ एक्टिव फेसबुक यूजर्स हैं. यह संख्या जर्मनी की एक तिहाई आबादी के बराबर है. फेसबुक के मुताबिक कंपनी गैरकानूनी सामग्री को हटाने पर काफी मेहनत कर रही है, लेकिन प्रस्तावित कानून को लेकर वह चिंता में है. फेसबुक की पार्टनर कंपनी अरवाटो 2017 के अंत तक बर्लिन में 700 लोगों की नियुक्ति करेगी. ये कर्मचारी फेसबुक पोस्ट पर नजर रखेंगे.

फेक न्यूज और हेट स्पीच के साथ चाइल्ड पोर्नोग्राफी और आतंकवाद संबंधित गतिविधियां भी प्रस्तावित कानून के दायरे में आएंगी. इंटरनेट कंपनियों को गैरकानूनी सामग्री हटाने के लिए 24 घंटे की मोहलत दी जाएगी. अगर मामला बहुत साफ न हो तो कंपनी को सात दिन की मोहलत दी जाएगी. इस दौरान कंपनी को शिकायत करने वाले शख्स से संपर्क भी करना होगा.

अगर सोशल नेटवर्किंग साइट्स ऐसा करने में नाकाम रहीं तो प्रस्तावित कानून के तहत उन पर पांच करोड़ यूरो का जुर्माना ठोंका जा सकता है. साथ ही जर्मनी में उनके प्रमुख के खिलाफ 50 लाख यूरो तक के जुर्माने का प्रावधान है. अब इस विधेयक को संसद की मंजूरी का इंतजार है.

(इंटरनेट के इस्तेमाल में चीन ने सबको पछाड़ा)

ओएसजे/आरपी (एएफपी,डीपीए)