नदी की बर्फ काट कर बनेंगे किले, मंदिर और मूर्तियां
चीन के हारबिन में सुन्न कर देने वाली सर्दी के और नश्तर की तरह काटने वाली बर्फीली हवाओं के बीच 300 से ज्यादा मजदूर हर दिन शोंगुआ नदी से खोद कर खोद कर बर्फ निकाल रहे हैं.
नदी की कटाई
करीब एक किलोमीटर चौड़ी नदी की जमी हुए सतह में मौजूद बर्फ की बड़ी बड़ी चादर को मजदूर क्रेट के आकार के टुकड़ों में काट लेते हैं. इन्हीं से बर्फ की सिल्लियों से तमाम तरह की चीजें बनेंगी.
बर्फ के किले, मूर्तियां, मंदिर
दिसंबर की शुरुआत से ही हर दिन दसियों हजार आइस ब्लॉक काट कर ट्रकों के जरिए फेस्टिवल वाली जगह पहुंचाई जाती है. यहां इनसे वास्तविक आकार के किले, विशाल मूर्तियां, मंदिर और यहां तक कि रेस्तरां जैसी चीजें बनाई जाती हैं.
नदी का बर्फ जरूरी
इस काम के लिए नदी से बर्फ निकालना जरूरी है क्योंकि कृत्रिम बर्फ इतनी मोटी नहीं होती. फेस्टवल वाली जगह पर कलाकार मूर्तियों और इमारतों को तैयार करने का काम समय पर खत्म करने के लिए दिन रात एक कर रहे हैं.
ब्लॉक को जोड़ने का काम
आइस ब्लॉक को एक के ऊपर एक रख कर मजदूर उन्हें अलग अलग आकृतियों में चेनशॉ और दूसरी हथियारों की मदद से अलग अलग आकृतियों में ढालते हैं.
भारी ठंड में काम
मजदूरों में शामिल ज्यादातर लोग या तो निर्माण के क्षेत्र में काम करते रहे हैं या फिर किसान हैं. घुटनों तक ऊंचे रबर के बूट, लंबी जैकेट और मोटे दस्तानों के साथ खास टोपियां इन्हें ठंड और हवाओं से बचाती हैं.
काम के लंबे घंटे, मामूली खाना
ये लोग हर दिन सुबह 6 बजे काम शुरू कर देते हैं जो रात को 8-9 बजे तक चलता रहता है. लंच में इन्हें गर्मागर्म नूडल्स और डंपलिंग या फिर स्टीम्ड बन दिए जाते हैं. लकड़ी के खंभे वाली पारदर्शी टेंट में खाना भी ठिठुरते हुए होता है.
आइस फेस्टिवल
37वां इंटरनेशनल आइस स्नो फेस्टिवल 5 जनवरी को शुरू होगा. इस बार इसमें स्की, स्लेजिंग, सामूहिक शादी, विंटर स्वीमिंग बर्फ की कलाकृतियों वाले थीम पार्क का जलवा रहेगा, जिसमें खास तरह की रोशनी अपना रंग बिखेरेगी.
चीन के लोग ही आएंगे
चीन की अंतरराष्ट्रीय सीमाएं कोरोना महामारी के कारण इस समय बंद हैं ऐसे में घरेलू सैलानियों के ही बड़ी संख्या में यहां पहुंचने के आसार है. उस वक्त यहां तापमान माइनस 35 डिग्री होगा.
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