नजरों के सामने आ जाएगा युद्ध
युद्ध के दौरान जिंदगी की छटपटाहट अगर महसूस करनी हो तो आन्या नीड्रिंगहाउस की तस्वीरें देखिए. 2014 में अफगानिस्तान में दम तोड़ने से पहले आन्या बहुत कुछ दिखा गईं.
बालकान युद्ध
"अगर मैं युद्ध वाले इलाके की तस्वीरें नहीं लूंगी, तो हालात के बारे में किसी को कैसे पता चलेगा?" बालकान युद्ध के दौरान पहली तस्वीर लेने के बाद आन्या नीड्रिंगहाउस के ये शब्द थे. इस तस्वीर में युद्ध में घायल एक बोस्नियाई सैनिक और उसकी मदद करती एक महिला और यूएन शांति सैनिक दिख रहे हैं. कुछ देर बाद सैनिक ने दम तोड़ दिया.
यूगोस्लोविया का विघटन
बालकान युद्ध 1991 में शुरू हुआ. नीड्रिंगहाउस के मुताबिक शुरुआत में अन्य देशों ने संघर्ष की अनदेखी की. तत्कालीन यूगोस्लाविया में कई जातीय संघर्ष शुरू हुए. 10 साल लंबे संघर्षों में 1,30,000 लोग मारे गए. यूगोस्लाविया के टूटने से बोस्निया हर्जगोविना, क्रोएशिया, मेसेडोनिया, मोंटेनेग्रो, सर्बिया और स्लोवेनिया का जन्म हुआ.
गोली बारी से इतर
आन्या नीड्रिंगहाउस ने यह तस्वीर 2003 में इराक के बुसरा इलाके में ली. ये महिलाएं जान बचाने के लिए भाग रही हैं. एक की गोद में बच्चा भी है. इसे 2003 की सबसे प्रभावशाली तस्वीर भी कहा गया.
पुलित्सर पुरस्कार
2005 में नीड्रिंगहाउस ने इराक के फलुजा शहर दाखिल होते ही अमेरिकी सैनिकों की तस्वीरें लीं. तस्वीरों के लिए उन्हें और एसोसिएटेड प्रेस के फोटोग्राफरों को पुलित्सर पुरस्कार भी मिला. इस तस्वीर में एक युवा अमेरिकी जवान है जो हजारों किलोमीटर दूर एक अनजान इलाके में लड़ने पहुंचा है.
इराक में अमेरिकी सेना
2003 से 2005 के बीच नीड्रिंगहाउस ने फलूजा में अमेरिकी सेना के दखल की तस्वीरें लीं. इराक में अमेरिकी सेना संयुक्त राष्ट्र की सहमति के बिना घुसी थी. इस दौरान इराक में काफी तबाही हुई.
हिंसक माहौल का असर
नीड्रिंगहाउस 2008 और 2009 में कई बार अफगानिस्तान गईं. अफगानिस्तान से उन्हें प्यार हो गया. उनकी यह तस्वीर बताती है कि अफगान बच्चों के जेहन में बंदूक और गोलीबारी कितनी गहरी बस चुकी है.
तालिबान लड़ाका
अफगानिस्तान में नीड्रिंगहाउस तालिबान लड़ाकों का इंटरव्यू करने में भी सफल रहीं. इस दौरान उन्होंने कई तालिबान लड़ाकों की तस्वीरें भी लीं.
कंधार की भिखारिनें
अफगानिस्तान में उत्तर से दक्षिण तक सफर करने के बाद नीड्रिंगहाउस ने लिखा, "युद्ध वाले इलाकों में ऐसे लोगों की कई कहानियां हैं जो मजबूरन वहां रह रहे हैं या फिर उन्हें भुला दिया गया है. मैं अपनी तस्वीरों के जरिए औरों को यह समझाने की कोशिश कर रही हूं कि ऐसे माहौल में लोगों की जिंदगी और संस्कृति कैसी हो जाती है." इस तस्वीर में कंधार में भीख मांगने वाली तीन महिलाएं हैं.