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ध्यान में डूबता मेडिकल साइंस

८ फ़रवरी २०१९

ध्यान के जरिए तनाव और अवसाद को नियंत्रित किया जा सकता है. ध्यान करने के कुछ दिनों के भीतर मस्तिष्क में जबरदस्त बदलाव आने लगता है. ये दावा अब ट्यूबिंगन मेडिकल कॉलेज के मनोविज्ञानी भी कर रहे हैं.

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Buddhismus Vesak Fest Sri Lanka 14.05.2014
तस्वीर: Reuters

अपने भीतर की यात्रा, शांति और आनंद की खोज. हिंदू साधु और बौद्ध भिक्षु इसके लिए हर दिन कई घंटे ध्यान करते हैं. विचारों की ताकत मस्तिष्क और शरीर पर किस तरह असर डालती है? वैज्ञानिकों को अब इस बारे में ज्यादा जानकारी मिल रही है. ट्यूबिंगन यूनिवर्सिटी में ध्यान के पहले और बाद में मस्तिष्क की तरंगों को बारीकी से जांचा जा रहा है. मेजरमेंट दिखाता है कि आठ हफ्तों बाद ही मस्तिष्क में कुछ स्पष्ट सा बदलाव आने लगता है.

ट्यूबिंगन यूनिवर्सिटी के मनोविज्ञानी डॉक्टर व्लादिमीर बोस्तानोवा कहते हैं, "हमें एक बहुत ही दिलचस्प असर का पता लगा है. हमने मस्तिष्क की वो संभावनाएं मापी जो सतर्कता को दर्शाती है, जाग्रत सतर्कता को. और यह संभावना थेरैपी के बाद बढ़ गई."

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हिंदू साधुओं और बौद्ध भिक्षुओं में ध्यान की लंबी परंपरा तस्वीर: Getty Images/AFP/S. Kanojia

मस्तिष्क की सतह पर ज्यादा वोल्टेज मापी गई. यह बताती है कि बदलाव बेहद गहराई में हो रहे हैं. हाल के समय में कंप्यूटर टोमोग्राफी के जरिए भी इन दावों की पुष्टि हुई है. दिमाग की गहराई में, तंत्रिकाओं का विस्तार और संवाद ज्यादा होता है. नई तंत्रिकाओं का विकास भी होता है. जिन जगहों पर ज्यादा क्षमता की जरूरत होती है, वहां स्थायी रूप से तंत्रिकाओं की वायरिंग होती है.

यह मैकेनिज्म बताता है कि विचारों की ताकत कैसे शारीरिक प्रक्रिया और शरीर पर असर डालती है. यही प्रक्रिया तथाकथित प्लैसेबो इफेक्ट को भी समझाती है. इस पर भरोसा ही शरीर की आखिरी कोशिका तक असर कर सकता है. तंत्रिका तंत्र के साथ ही हमारे इम्यून सिस्टम पर विचारों का सीधा असर पड़ता है.

उदाहरण के लिए, जब बाहर से कोई हानिकारक तत्व शरीर में प्रवेश करता है तो इम्यून सिस्टम मास्ट सेल रिलीज करता है, ये शरीर का अपना प्रतिरोधी उपाय है. ये मास्ट कोशिकाएं मस्तिष्क के न्यूरॉन्स और उन्हें प्रवाहित करने वाले तंत्रिका तंत्र से प्रभावित होती हैं. खास सिग्नल पाकर वे और ज्यादा एंटीबॉडी रिलीज करते हैं और बाहरी घुसपैठिए से प्रभावी रूप से लड़ने लगती हैं. ये एंटीबॉडी शरीर तब ही भेज पाता है, जब वह सेहतमंद हो, आप नियमित रूप से कसरत करें और सबसे ज्यादा जरूरी है, तनाव से मुक्त जीवन जिएं.

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बौद्ध धर्म में ध्यान का स्थान बड़ा उच्च हैतस्वीर: Getty Images/AFP/S. Mia

यूनिवर्सिटी के एक और मनोविज्ञानी मार्टिन हाउटसिंगर कहते हैं, "यह एक आशावादी नजरिये जैसा है, उन चीजों पर फोकस जिन्हें आप अच्छे से जानते हैं या उन चीजों पर भी जिनमें आप मजबूत नहीं हैं. यह मानसिक प्रक्रिया है. मानसिकता या विचार, निश्चित रूप से मूड को प्रभावित करते हैं और मनोविज्ञान को भी."

विज्ञान अब शरीर के भीतर की इस दुनिया में दाखिल हो रहा है, विचार के जरिए इलाज के रहस्य समझ में आ रहे हैं. यह पक्की बात है कि ध्यान मस्तिष्क और शरीर पर सकारात्मक असर डालता है.

रिपोर्ट: आंद्रे रेसे/ओएसजे