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धड़धड़ा कर गिरे कच्चे तेल के दाम

६ अक्टूबर २००८

वित्तीय संकट ने अब अपना असर कच्चे तेल की क़ीमतों पर भी दिखाना शुरू कर दिया है. कुछ महीने पहले ही की बात है जब कच्चे तेल का दाम लगभग 150 डॉलर का आंकड़ा छू चुके कच्चे तेल की क़ीमत 90 डॉलर प्रति बैरल से कम हो गई है.

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इराक़ को गिरती क़ीमत से चिंतातस्वीर: AP

विश्लेषकों का कहना है कि अगर अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में मंदी का दौर खिंचता है और गहराता है तो तेल की क़ीमतों में और कमी आ सकती है. ईरान के तेल मंत्री ग़ुलाम हुसैरन नोज़ारी ने अपने बयान में कहा भी है कि तेल की क़ीमत अगर प्रति बैरल 100 डॉलर से नीचे जाती है तो न तो ये उत्पादकों के लिए अच्छी बात है और न ही उपभोक्ताओं के लिए. वहीं इराक़ के तेल मंत्री हुसैन अल शाहरिस्तानी के अनुसार 8 महीनों में तेल की क़ीमतों का अपने निम्नतम स्तर पर पहुंचने से ओपेक देश चिंतित हैं. साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया तेल की आपूर्ति में कोई कमी नही आई है.

Öl Pipeline in Nigeria
दुनिया भर में गिरी तेल क़ीमतेंतस्वीर: AP

ओपेक देशों ने दोहराया है कि वो तेल का उत्पादन ज़रूरत के अनुसार ही करेंगें और अगर मांग में कमी होती है तो फिर उत्पादन कम किया जा सकता है. उनका ये मानना है कि मांग से अधिक उत्पादन होने से तेल की क़ीमतों पर बुरा असर पड़ता है. इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि जुलाई महीने में एक बैरल कच्चे तेल का दाम 147 डॉलर पहुंच गया था, लेकिन दामों में भारी कमी दिखाती है कि कच्चे तेल की मांग में भारी कमी आ रही है.

इराक़ और ईरान की ओर से ये बयान ऐसे समय में आया है जब वित्तीय संकट और विकराल होता दिखाई दे रहा है और अमेरिका के बाद अब यूरोप में बैंकिग क्षेत्र की नींव में दरार दिखाई दे रही है. वित्तीय संस्थाओं की मदद के लिए अमरीका ने 700 अरब डॉलर का पैकेज तैयार किया था जबकि यूरोपीय देशों की कुछ सरकारों ने बैंकों में जमा खातेदारों को गारंटी भी दी है लेकिन संकट अभी टला नही है.

तेल की क़ीमतों में कमी बीमार वैश्विक अर्थव्यवस्था तो दिखाती ही है, साथ ही इसका सीधा असर तेल का उत्पादन करने वाले देशों की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ना तय है. इराक़ के तेल मंत्री हुसैन अल शाहरीस्तानी ने कहा भी है कि इराक़ में पुनर्निर्माण कार्य के लिए काफ़ी धन की ज़रूरत है लेकिन अगर तेल के दाम इस तरह से गिरते हैं तो उसका सीधा असर इराक़ पर पड़ेगा.