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समाज

दूसरा विश्व युद्ध: एक तस्वीर जिसने दुनिया को हिला दिया

२ नवम्बर २०२०

वारसॉ, 13 सितंबर 1939. दो बहनें जमीन में आलू तलाश रही हैं. जर्मन लड़ाकू विमान आते हैं. फायरिंग करते हैं. एक लड़की मारी जाती है. उसकी 12 साल की बहन शव पर विलाप करती है. इस पल को एक अमेरिकी फोटोग्राफर ने कैद कर लिया.

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Schuld ohne Sühne | Historische Bilder von Julien Bryan
तस्वीर: Julien Bryan Archive

तस्वीर में विलाप कर रही लड़की का नाम काजीमिरा "काजिया" मिका है. इस घटना को याद करते हुए उन्होंने 2010 में "कॉरेस्पोंडेंट ब्रायन" फिल्म के निर्देशक यूजिनियस स्टार्की को बताया, "वहां पर एक घर था. विमान आ रहे थे, एंडजिया भागकर आई." 13 सितंबर 1939 को जर्मन विमानों ने उस घर पर बम गिराए. एंडजिया कोस्टेविस  और अन्य लोग वहां से भाग गए. खतरे के बावजूद वे उन आलूओं को साथ ले जाने की कोशिश कर रहे थे जो उन्होंने जमा किए थे. निश्चित तौर पर वे सब लोग डरे हुए थे, लेकिन इससे कहीं ज्यादा वे भूखे थे.

काजिया मिका ने 2010 में बताया, "जर्मन पायलट बहुत कम ऊंचाई पर उड़ान भर रहे थे और वे आराम से देख सकते थे कि खेत में एक महिला और लड़कियां हैं. फिर भी उन्होंने गोलियां चलाईं. इतने साल बीत जाने के बावजूद मैं उन लोगों को माफ नहीं कर पाई हूं." एंडजिया की गर्दन में गोली लगी, जिसके छर्रे उसके कंधों में भी घुस गए थे. चंद सेकंडों के भीतर उसकी 12 साल की बहन काजिया अपने घुटनों पर बैठ गई और अपनी बहन के क्षत विक्षत शव पर विलाप करने लगी. उसे कुछ पता नहीं चला कि यह क्या हुआ. उसने पहली बार मौत को करीब से देखा था. कुछ लम्हों पहले एंडजिया जीवित थी और अब उसका शरीर ठंडा पड़ गया था.

Julien Bryan Archive | Fotograf Julien Bryan 1939 mit 10-jähriger Kazimiera Mika in Polen
जूलियन ब्रायन के साथ 12 साल की काजीमिरा मिकातस्वीर: United States Holocaust Memorial Museum Collection, Gift of the Julien Bryan Archive

जब विमान चले गए तो अमेरिकी फोटोग्राफर जूलियन ब्रायन वहां पहुंचे. वह पोलैंड में उन दिनों दूसरे विश्व युद्ध के शुरुआती दिनों को दर्ज कर रहे थे. वहां पहुंच कर ब्रायन ने देखा कि जमीन पर एक महिला का शव पड़ा है और उसके पास एक बच्चा बैठा है, बिल्कुल भावशून्य चेहरे के साथ. पास ही उन्होंने काजिया को देखा जो अपनी मरी हुई बहन से बात कर रही थी. ब्रायन ने इस लम्हे को फिल्म और तस्वीरों में दर्ज कर लिया.

बाद में उन्होंने इस घटना के बारे में लिखा, "उसने हमारी तरफ देखा, बिल्कुल हैरान होकर. मैंने उसे अपनी बाहों में ले लिया. वो रो रही थी. मेरे साथ वहां जो पोलिश अधिकारी थे उनकी आंखों में भी आंसू थे. हमारे पास इस लड़की से कहने के लिए कुछ नहीं था, कोई कह भी क्या सकता था." अपनी फिल्म "सीज" में ब्रायन ने उस घटना को उस समय वारसॉ में ऐसी सबसे त्रासद घटना बताया था जिसे उन्होंने महसूस किया.

वारसॉ में अंतिम संवाददाता

अमेरिकी डॉक्यूमेंट्री फिल्ममेकर ब्रायन कुछ दिन पहले ही एक ट्रेन पकड़कर संकट में घिरे पोलैंड की राजधानी वारसॉ पहुंचे थे. जूलियन ब्रायन पोलैंड को अच्छी तरह जानते थे. उन्होंने ग्दिनिया के पोर्ट को बनते देखा था. वह साइलेशिया की कोयले की खदानों में भी गए थे. वह लोविस की मशहूर लोककथाओं के भी दीवाने थे. लेकिन अब वह भूख, कष्ट और मौत को दस्तावेजी फिल्मों में समेट रहे थे.

DW Schuld ohne Sühne | Historische Bilder von Julien Bryan
काजीमिरा मिका ने मौत को इतने करीब से पहले कभी नहीं देखा थातस्वीर: Julien Bryan Archive

जर्मन नाजियों ने युद्ध को फिल्म फुटेज में दर्ज करने पर काफी ऊर्जा खर्च की. जैसे कि जब जर्मन सैनिक पोलिश सीमा के पार जा रहे थे, जब उन्होंने श्लेषविग होलस्टाइन की गनबोट्स को फायरिंग का निशाना बनाया, उन सब घटनाओं को दर्ज किया गया, ताकि उसका इस्तेमाल प्रोपेगैंडा के लिए हो सके.

जर्मन नजरिए को फिल्माने के लिए विशेष फिल्म क्रू तैनात किए गए. पोलैंड के राष्ट्रीय स्मृति संस्थान के जॉजेक साविकी कहते हैं, "उन्होंने दिखाया कि पोलिश सैनिक कमतर हैं, उनके पास पर्याप्त उपकरण नहीं हैं. फिल्म की तस्वीरों में पोलिश यहूदियों और पांरपरिक बालों और कपड़ों को दर्ज किया गया. इसे नकारात्मक नजरिए से पेश किया गया. उन्होंने दिखाने की कोशिश की कि जर्मन सैनिकों के आने से वहां सभ्यता आई."

लेकिन ब्रायन की तस्वीरों में हालात का दूसरा रुख था. ज्यादातर चीजें उन्होंने फिल्माई, लेकिन फोटो भी लिए. यहां तक कि उनके पास कलर स्लाइड फिल्में भी थीं. ये ऐसी चीजें थीं जिनके बारे में उस समय ज्यादा लोग नहीं जानते थे. उन्होंने युद्ध को नए नजरिए से दिखाया, पीड़ितों के नजरिए से.

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1939 में बहन के शव के पास काजीमिरा मिकातस्वीर: Julien Bryan Archive

"मेरा नाम ब्रायन है, जूलियन ब्रायन, अमेरिकी फोटोग्राफर"

जिन लोगों को ब्रायन ने फिल्माया, वे उन्हें बेहतर दुनिया की जीवनरेखा के तौर पर देखते थे. हर कोई उनके कैमरे में आत्मविश्वास के साथ देखता था. 1940 की फिल्म सीज में ब्रायन कहते हैं, "जैसे ही उन्हें पता चला कि मैं अमेरिकी फोटोग्राफर हूं, तो उन्हें लगता था कि मैं उन लोगों की मदद करने के लिए इतनी दूर से चलकर पोलैंड आया हूं. लेकिन उनके चेहरे के भावों को कैमरे में कैद करने के अलावा मैं कुछ नहीं कर सकता था."

लेकिन ब्रायन ने बहुत किया. वह पोलिश लोगों के प्रवक्ता बन गए. 15 सितंबर 1939 को उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट के लिए एक अपील प्रसारित की. उन्होंने अपने संदेश की शुरुआत इस तरह की, "मेरा नाम ब्रायन है, जूलियन ब्रायन, अमेरिकी फोटोग्राफर."

पोलिश रेडियो पर शांत लेकिन सधी हुई आवाज में उन्होंने कहा, "अमेरिका को कुछ करना चाहिए. उसे मौजूदा दौर के सबसे भयानक नरसंहार को रोकना होगा. 13 करोड़ अमेरिकियों से हम कहते हैं, शिष्टाचार, न्याय और ईसाई मूल्यों की खातिर आइए और पोलैंड के साहसी लोगों की मदद करिए."

वापस अमेरिका लौटने के बाद ब्रायन ने अपनी तस्वीरें रूजवेल्ट को दिखाईं. उनकी फिल्म सीज को करोड़ों लोगों ने अमेरिकी सिनेमा घरों में देखा. इसके लिए उन्हें ऑस्कर नोमिनेशन भी मिला और किताब लिखने का करार भी.

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काजिया से मुलाकात

अपनी बहन की मौत पर विलाप करती जिस लड़की का फोटो उन्होंने लिया, वह कई बरसों बाद भी ब्रायन को लेकर आश्चर्यचकित थी.  निर्देशक यूजिनियस स्टार्की के साथ 2010 में अपनी बातचीत में काजिया मिका ने कहा, "अपने काम को लेकर उनमें बहुत जुनून था. वह दुनिया को सच और बुराई दिखाना चाहते थे. वह दिखाना चाहते थे कि जर्मनों ने हमारे साथ क्या किया."

जूलियन ब्रायन 1958 में वारसॉ लौटे और उन्होंने काजिया मिका से मुलाकात की. उस वक्त वह 31 साल की हो गई थीं. इसके 16 साल बाद वह फिर से पोलैंड लौटे, अपने बेटे सैम के साथ.

जब मैंने टेलीफोन पर सैम ब्रायन के साथ न्यूयॉर्क में बात की तो लगा कि मैं उनके पिता से बात कर रहा हूं. उनकी आवाज बेहद शांत और सशक्त थी. ठीक वैसे ही जैसे जूलियन ब्रायन ने रेडियो के जरिए अमेरिकी राष्ट्रपति से अपील की थी. 

उन्होंने बताया कि उन्हें भी जीवन भर ऐसा ही लगता रहा है कि जैसे वह खुद काजिया मिका को जानते हैं. सैम सिर्फ छह महीने के थे जब उनके पिता वारसॉ से लौटे थे. वह बताते हैं कि जब तक उनके पिता की याददाश्त रही, बिलखती बच्ची की छवियां उनके साथ रहीं.

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2019 की इस तस्वीर में बीच में हैं काजीमिरा मिका और दाईं तरफ हैं सैम ब्रायनतस्वीर: United States Holocaust Memorial Museum Collection, Gift of the Julien Bryan Archive

वह कहते हैं कि जब उन्होंने अपने पिता के साथ पोलैंड की यात्रा की, तो यह उनके लिए "जीवन की सबसे अहम यात्रा" थी. वह कहते हैं, "जब हमने 45 साल पहले वारसॉ की यात्रा की तो हम उन लोगों से मिले, जिनकी तस्वीरें उन्होंने 1939 में ली थीं. काजीमिरा मिका उन्हीं में से एक थीं." इसके बाद सैम 2019 में पोलैंड में जाकर मिका से मिले.

सैम ब्रायन बताते हैं, "मैं उनके लिए बेटा जैसा था. मैंने उनसे अपने पिता के बारे में बहुत सारी अच्छी बातें सुनीं. वह ऐसे बात करती थीं जैसे वो उन्हीं के पिता थे. उन्हें याद आ रहा था कि कैसे उन्होंने उनकी देखभाल की थी. हम उनकी बहन की कब्र पर भी गए थे. बहुत ही भावुक पल थे."

जूलियन ब्रायन का निधन अक्टूबर 1974 में हुआ, पोलैंड यात्रा से लौटने से कुछ महीनों बाद. काजिया मिका ने कहा, "उन्होंने वादा किया था कि मुझे अमेरिका दिखाएंगे. लेकिन दुख की बात है कि मैंने कभी न्यूयॉर्क नहीं देखा.. लेकिन कोई बात नहीं. मैं अब भी उनकी शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने एंडजिया के साथ मेरी तस्वीर ली."

इस साल 28 अगस्त को काजीमिरा मिका का निधन हो गया. उन्हें वारसॉ के पोवाज्की कब्रिस्तान में दफनाया गया. उसी जगह के करीब जहां 81 साल पहले जूलियन ब्रायन ने उनकी तस्वीर ली थी.

रिपोर्ट: माग्देलेना गाबुश पैलोकाट

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