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दूरसंचार घोटाले में अधिकारियों की जमानत याचिका खारिज

२० अप्रैल २०११

बुधवार को दूरसंचार घोटाले में कारोबार जगत से जुड़े पांच अधिकारियों की जमानत याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी. ये अधिकारी रिलायंस, टेलिनॉर और एटिस्लेट से जुड़े हैं.

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टेलिकॉम मंत्री ए राजा भी फंसेतस्वीर: picture-alliance/dpa

केंद्रीय जांच ब्यूरो ने इन अधिकारियों पर साजिश, फर्जीवाड़ा और धोखाधड़ी के आरोप लगाए हैं. हालांकि इन्हें अभी गिरफ्तार नहीं किया गया है. सीबीआई की विशेष अदालत के जज ओपी सैनी ने अपने फैसले में कहा," जमानत की सारी याचिकाएं खारिज की जाती हैं."

याचिका खारिज होने के बाद इन सभी को न्यायिक हिरासत में भेजा जा सकता है. इन अधिकारियों में स्वान टेलिकॉम के निदेशक विनोद गोयंका, यूनीटेक वायरलेस लिमिटेड के एमडी संजय चंद्रा, रिलायंस टेलिकॉम के वरिष्ठ अधिकारी गौतम दोषी, सुरेंद्र पिपारा और हरी नायर शामिल हैं.

कोर्ट ने बीमार चल रहे सुरेंद्र पिपारा की जमानत याचिका भी मंजूर नहीं की जबकि विशेष सरकारी वकील यूयू ललित ने उनकी याचिका पर सवाल नहीं उठाए थे. कोर्ट ने इन अधिकारियों से कहा है कि वो सुनवाई के दौरान कोर्ट में मौजूद रहें.

फैसला सुनाए जाने के बाद बचाव पक्ष के एक वकील ने ये सवाल उठाया कि क्या आरोपी दिल्ली हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में जमानत की याचिका दाखिल कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में विशेष जज ओपी सैनी की अदालत को छोड़ किसी भी दूसरी अदालत में इस मामले से जुड़ी याचिकाएं दायर करने पर रोक लगा रखी है.

इस बीच विवेक गोयंका के वकील ने कोर्ट से लगातार ये फरियाद की कि उनके मुवक्किल को कम से कम सात दिन की अंतरिम जमानत दे दी जाए जिससे कि वो अपने कारोबार को उनकी गैरमौजूदगी में संभालने का कोई इंतजाम कर सकें. गोयंका की दलील पर अदालत ने बाद में सुनवाई करने की बात कही है.

2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में हर रोज सुनवाई के लिए ओपी सैनी की विशेष अदालत का गठन किया गया है. सैनी ने 15 अप्रैल को हुई सुनवाई में जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. सीबीआई ने दलील दी है कि मामला बड़ा है और आरोपी गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश कर सकते हैं. विशेष सरकारी वकील ने इन लोगों को हिरासत में लिए जाने की मांग की है. बचाव पक्ष के वकीलों ने इन आरोपों से इनकार किया है.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः एमजी

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