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समाज

दुनिया में सात करोड़ लोग बेघर भटक रहे हैं

१९ जून २०१९

यूएन का कहना है कि दुनिया में बेघर होने वाले लोगों की तादाद रिकॉर्ड स्तर को छू रही है. 2018 के अंत में यह आंकड़ा सात करोड़ के पार जा पहुंचा. संख्या लगातार बढ़ रही है क्योंकि वेनेजुएला जैसे देशों में संकट जारी है.

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Libanon syrische Flüchtlinge
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/H. Malla

संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी यूएनएचसीआर का कहना है कि पिछले साल 20 लाख लोगों को अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा. इस तरह दुनिया भर में बेघर लोगों की तादाद 7.08 करोड़ हो गई है. इस आंकड़े में शरणार्थी, शरण का आवेदन करने वाले और आंतरिक रूप से बेघर लोग भी शामिल हैं. यह आंकड़ा 2018 के आखिर तक का है.

यूएनएचसीआर के प्रमुख फिलिपो ग्रैंडी का कहना है बेघर लोगों की बढ़ता आंकड़ा "गलत दिशा" में जा रहा है और "हम शांति कायम करने में लगभग अक्षम हो गए हैं".

उन्होंने कहा, "यह बात सही है कि नए संकट पैदा हो रहे हैं, नई परिस्थितियां शरणार्थियों को पैदा कर रही हैं...लेकिन हम तो पुराने संकटों को भी नहीं सुलझा पाए हैं. जरा सोचिए कौन सा आखिरी संकट है जो हमने सुलझाया हो."

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पिछले साल इथियोपिया में हिंसा की वजह से 15.6 लाख लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा. हालांकि इनमें से ज्यादातर लोग इथियोपिया की सीमाओं के भीतर ही रहे.

इस बीच, शरण का आवेदन देने वाले लोगों में लगभग 20 प्रतिशत वेनेजुएला के हैं जहां से लोग राजनीतिक और आर्थिक संकट की वजह से भागने में ही भलाई समझ रहे हैं. यूएनएचसीआर के मुताबिक शरण का आवेदन करने वाले वेनेजुएला के लोगों की संख्या 3.4 लाख है. यह संख्या और ज्यादा हो सकती है क्योंकि वेनेजुएला के संकट की सही से रिपोर्टिंग नहीं हो रही है.

यूएनएचसीआर की रिपोर्ट में जर्मनी की तारीफ करते हुए कहा गया है कि उसने इस बात को गलत साबित कर दिया है कि माइग्रेशन को संभाला नहीं जा सकता. ग्रैंडी ने कहा, "मैं आम तौर पर सराहना या आलोचना नहीं करता, लेकिन इस मामले में मैं जर्मनी की तारीफ करना चाहूंगा. जो कुछ जर्मनी ने किया है, वह तारीफ के काबिल है."

उन्होंने कहा कि चांसलर अंगेला मैर्केल को अपनी माइग्रेशन नीति की वजह से 'बड़ी राजनीतिक कीमत' चुकानी पड़ी है, लेकिन इसी से उनका कदम 'और साहसिक' हो जाता है. जर्मनी ने 2015 से शरणार्थी संकट के बाद से 10 लाख से ज्यादा लोगों को अपने यहां जगह दी है.

एके/एए (एपी, डीपीए, एएफपी)

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