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दुनिया के बाजार में रूस का कदम

२२ अगस्त २०१२

18 साल से चल रही बातचीत और बैठकों का सिलसिला आखिर खत्म हो गया है. रूस अब विश्व व्यापार संगठन डब्ल्यूटीओ का सदस्य है और कई देश इसे वैश्विक व्यापार के लिए अच्छा संकेत मान रहे हैं.

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तस्वीर: REUTERS

रूस में जर्मन कारें बहुत लोकप्रिय हैं. लेकिन मर्सीडीस, बीएमडब्ल्यू या फोल्क्सवागेन की ख्वाहिश रखने वाले किसी भी व्यक्ति को बहुत पैसे खर्च करने होते हैं. एक नई कार के आयात में 30 प्रतिशत कर लगता है और अगर गाड़ी पुरानी हो तो 35 प्रतिशत आयात कर देना आम बात है.

डब्ल्यूटीओ में यूरोपीय संघ के प्रतिनिधि पेटर बालास इसे संरक्षणवाद कहते है. रूस 2006-2007 से लेकर अब तक अपने बाजार को बचाने के लिए खास कदम उठा रहा है. यूरोपीय संघ के साथ अपने संबंधों को देखते हुए रूस ने इस साल कई कदम उठाए हैं ताकि उसके कृषि सेक्टर को बचाया जा सके. बालास की शिकायत है कि "लकड़ी निर्यात के कर बढ़ाए गए. 2009 में फिर संकट से निबटने के लिए बहुत ज्यादा कस्टम ड्यूटी लगा दी गई. और आज तक ये लागू हैं."

विदेशी निवेश में कमी

बालास कहते हैं कि रूस ने अपनी अर्थव्यवस्था की पूरी क्षमता का इस्तेमाल नहीं किया है. आकंड़ों के मुताबिक यूरोपीय संघ देशों का निवेश रूस में व्यापार पर पाबंदियों, भ्रष्टाचार और रूस की बड़ी नौकरशाही के चलते पिछले सालों में घटा है. यही वजह है कि रूस में अर्थव्यवस्था ठहरी हुई है क्योंकि उत्पादन की तकनीक पुरानी हो चुकी है, उत्पादन की मात्रा कम हो गई है और मूलभूत संरचना की हालत बहुत खराब है.

रूस का डब्ल्यूटीओ में शामिल होना उसके लिए और यूरोपीय संघ के लिए महत्वपूर्ण है. बालास के मुताबिक "जब तक रूस में विदेशी व्यापार साझेदारों और कानून की सुरक्षा नहीं होगी तब तक रूस कोई बहुत दिलचस्प व्यापारिक साझेदार और निवेश के लिए आकर्षक देश नहीं बन पाएगा. डब्ल्यूटीओ की सदस्यता से वहां कई बदलाव आएंगे और रूस की अर्थव्यवस्था का आधुनिकीकरण किया जा सकेगा."

आधुनिकीकरण के नाम से जर्मन मशीन और निर्माण कंपनियों के दिल जोर से धड़कने लगते हैं. अभी से रूस जर्मनी के लिए चौथा सबसे बड़ा निर्यात मार्केट है. अगर उद्योग सामान के लिए कस्टम ड्यूटी को औसतन 9.4 प्रतिशत से 6.4 प्रतिशत किया जाए तो व्यापार बढ़ सकता है. पिछले साल दोनों देशों के बीच व्यापार करीब 70 अरब यूरो था. डब्ल्यूटीओ की सदस्यता के बाद व्यापार में सालाना और दो अरब यूरो की बढ़ोतरी हो सकती है. जर्मन कार कंपनियों का भी मानना है कि आयात करों के कम होने के बाद रूस में कार बाजार 15 प्रतिशत से बढ़ेगा.

लेकिन जर्मन व्यापार मंत्रालय में विदेश व्यापार के प्रतिनिधि हांस योआखिम हेंकल बड़ी उम्मीदें रखने के खिलाफ मशविरा देते हैं. कहते हैं कि बेहतरी केवल तब होगी जब रूस "खेल के नियमों" का पालन करेगा. "यहां काफी चिंता है क्योंकि रूस के कई व्यापार क्षेत्रों में संरक्षणवादी नियमों को लेकर बहस हो रही है. यह रद्दी से लेकर आयात की गई गाड़ियों के लिए लागू हैं. रूस के कानून के मुताबिक इन मशीनों में रूसी पुर्जे भी शामिल होने चाहिए. इस पर बहस हो रही है और इसे कार्यान्वित भी किया जा रहा है."

प्रतिस्पर्धा से डर

वहीं बालास का कहना है कि रूस बीच के इस वक्त का गलत फायदा उठा रहा है. हर हफ्ते नए नियम लागू किए जाते हैं. यह नियम डब्ल्यूटीओ के नियमों के मुताबिक गैरकानूनी और निराधार हैं. आखिरकार रूस ने वादा किया है कि वह डब्ल्यूटीओ के नियमों का पालन करेगा. रूस में व्यापार समुदाय उदारीकरण के खिलाफ है. देशी कंपनियां विदेशी प्रतिस्पर्धा से घबराती है. लेकिन रूसी सरकार को उम्मीद है कि डब्ल्यूटीओ सदस्यता से उपभोक्ताओं को सस्ते दामों का फायदा मिलेगा और जनता में असंतोष कम होगा.

रिपोर्टः हेनरिक ब्योहमे/एमजी

संपादनः आभा मोंढे

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