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दुनिया के आधे से ज्यादा बच्चों पर मंडराता खतरा

३१ मई २०१८

बच्चों के लिए काम करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था 'सेव द चिल्ड्रन' का कहना है कि दुनिया के बच्चों का "बचपन अचानक खत्म हो रहा है". कहीं गरीबी उनके बचपन को लील रही है तो कहीं बाल विवाह.

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Niger Symbolbild Kinderehe
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/J. Delay

सेव द चिल्ड्रन की ताजा रिपोर्ट कहती है कि दुनिया भर में लगभग 1.2 अरब बच्चे संकट, गरीबी और लैंगिक भेदभाव के गंभीर जोखिम झेल रहे हैं. बचपन को सबसे ज्यादा खतरा बाल मजदूरी, शिक्षा से महरूमी, कम उम्र में गर्भवती होने और बाल विवाह से है. संकट वाले क्षेत्रों में ये जोखिम और ज्यादा बढ़ जाते हैं.

रिपोर्ट कहती है, "दुनिया भर में, संकटों के कारण बच्चों को स्वास्थ्य, शिक्षा, डर से सुरक्षा और आजादी का अधिकार नहीं मिल रहा है जिसके चलते उनका बचवन अचानक से खत्म हो रहा है." जर्मनी में सेव द चिल्ड्रन की प्रबंधन निदेशक सुजाना क्रूगर का कहना है, "बाल विवाह, बाल श्रम और कुपोषण उन खतरनाक परिस्थितियों में शामिल हैं जो बच्चों से उनका बचपन छीन रही हैं."

जापान के भीमकाय बच्चे

सेव द चिल्ड्रन की रिपोर्ट कहती है कि बच्चों के लिए सबसे बुरे देश मध्य और पश्चिमी अफ्रीका में है. निजेर को इस सूची में सबसे निचले पायदान पर रखा गया है. लेकिन माली और सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक भी उससे ज्यादा पीछे नहीं हैं. रिपोर्ट कहती है, "इन देशों में बच्चों के पास अपने बचपन को पूरी तरह अनुभव करने की सबसे कम संभावनाएं हैं." रिपोर्ट के मुताबिक इनके अलावा दुनिया में और भी कई ऐसे इलाके हैं जहां बच्चों के बचपन पर डांका डाला जा रहा है.

बच्चों के लिए सबसे अच्छे देशों में सिंगापुर और स्लोवेनिया शामिल हैं. जर्मनी इस रैंकिंग में 12वें नंबर पर है जबकि अमेरिका 36वें और रूस 37वें स्थान पर हैं. भारत 113वें पायदान पर है जबकि चीन को 40वीं और श्रीलंका को 60वीं रैंकिंग दी गई है. पाकिस्तान में भी बच्चों के लिए हालात बेहद खराब बताए गए हैं और उसे इस सूची में 149वें स्थान पर रखा गया है.

रिपोर्ट कहती है, "टॉप 10 में सात पश्चिमी यूरोपीय देश हैं. बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा और सरंक्षण के मामले में इन देशों का प्रदर्शन बहुत अच्छा है."

एके/आईबी (एएफपी, डीपीए)

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