दुनिया की सेहत को है इन चीजों से खतरा
संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी 'विश्व स्वास्थ्य संगठन' ने 2019 के लिए उन 10 चीजों की सूची तैयार की है, जिनसे लोगों की सेहत को सबसे ज्यादा खतरा है.
वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन
इस सूची में सबसे ऊपर है हमारी आबोहवा. राजधानी दिल्ली में हवा का यह हाल है कि एक दिन वहां सांस लेना 20 सिगरेट पीने के बराबर है. वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप तो मानते ही नहीं हैं कि जलवायु परिवर्तन जैसा भी कुछ होता है.
गैर संक्रामक बीमारियां
दुनिया भर में होने वाली 70 फीसदी से ज्यादा मौतों का कारण गैर संक्रामक बीमारियां होती हैं. इसमें हृदय रोग के मामले सबसे अधिक हैं. इसके बाद कैंसर, फिर सांस से जुड़ी बीमारियां और मधुमेह का नंबर आता है.
इनफ्लुएंजा
आम भाषा में इसे फ्लू कहा जाता है. यह हर साल सर्दियों के मौसम में वायरस के कारण फैलता है और किसी भी तरह की दवा इस पर असर नहीं कर पाती है. बच्चे सबसे ज्यादा इसकी चपेट में आते हैं.
कमजोर आधारभूत संरचनाएं
आधारभूत संरचनाओं को बेहतर बनाकर कई तरह की समस्याओं से निजात पाया जा सकता है. क्योंकि यह कोई बीमारी नहीं है, इसलिए अकसर सेहत की बात करते वक्त इस ओर लोगों का ध्यान ही नहीं जाता है.
रोगाणु प्रतिरोध क्षमता
नई जीवनशैली लोगों की इम्यूनिटी घटा रही है. दिन भर बंद कमरों में रहना इसका एक बड़ा कारण है. डब्ल्यूएचओ के अनुसार स्कूली बच्चों के मैदान या जंगलों में ना जाने के कारण उनमें रोग प्रतिरोधी क्षमता घट रही है.
इबोला और अन्य रोगाणु
अभी भी कई तरह के रोगाणुओं से लड़ने के लिए टीके विकसित नहीं हो पाए हैं. इबोला के खिलाफ प्रयोग के तौर पर एक टीका तैयार किया गया जिसका अफ्रीका के गिनी में सकारात्मक प्रभाव देखा गया.
कमजोर स्वास्थ्य सेवाएं
मूलभूत स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोग छोटी मोटी बीमारियों के चलते भी जान गंवा रहे हैं. इससे निपटने के लिए डब्ल्यूएचओ कई तरह के कार्यक्रम भी चला रहा है.
टीके का डर
आज भी दुनिया भर में बहुत से लोग अपने बच्चों को टीका नहीं लगवाते हैं. कोई इसे अपने धर्म के खिलाफ मानता है, तो कोई टीकाकरण को दवा माफिया की साजिश बताता है. कई लोगों का यह भी मानना है कि टीकाकरण से बच्चों में ऑटिज्म का खतरा बढ़ जाता है.
डेंगू
मच्छर के काटने से होने वाली इस बीमारी से भारत के लोग अनजान नहीं हैं. 2017 में देश में डेंगू के रिकॉर्ड मामले दर्ज किए गए थे. पहली बार 1950 के दशक में फिलीपींस और थाईलैंड में डेंगू का वायरस पाया गया था.
एचआईवी
एड्स और एचआईवी को ले कर पिछले दशकों में काफी जागरूकता फैलाई गई है लेकिन आज भी अफ्रीका में लाखों लोग इससे संक्रमित हैं. (सूत्र: विश्व स्वास्थ्य संगठन)