दुनिया की सबसे खूबसूरत लाइब्रेरियां
दुनिया में लाइब्रेरी 4 हजार साल पहले से हैं. लाइब्रेरी बॉलरूम से लेकिर किसी उड़न तश्तरी जैसे भी दिख सकती हैं लेकिन इससे उनकी अहमियत पर कोई फर्क नहीं पड़ता. देखिये दुनिया की सबसे खूबसूरत लाइब्रेरियों को.
राख की ढेर से निकल कर
जर्मन शहर वाइमार की डचेस अन्ना अमालिया लाइब्रेरी को यह नाम 1991 में मिला. इससे पहले 300 साल तक इसे हेर्त्सगोलिशे बिबलोथेक कहा जाता रहा. यह लाइब्रेरी अपने इस आलीशान हॉल के साथ जल कर राख हो गई थी लेकिन अक्टूबर 2007 में इसे दोबारा खोला गया.
ये लाइब्रेरी है कि फुटबॉल का मैदान?
अगर आपके पास स्टूडेंट कार्ड नहीं है तो परेशान मत होइए, नीदरलैंड्स के डेल्फ्ट में यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी की इस लाइब्रेरी में आप बिना कार्ड के भी जा सकते हैं. ये बेहतरीन ढाल और घास से भरी इमारत की छत खासतौर से काफी आकर्षक है. 42 मीटर ऊंची यह तिकोनी आकृति जो इमारत के बीचोबीच से उभरती है उसके भीतर किताबों से भरे चार मंजिलें हैं.
ट्यूलिपवुड और आबनूस
ब्रिटेन के अखबार द डेली टेलिग्राफ ने कोइम्ब्रा, पुर्तगाल के जोआनिना बिब्लियोटेका को दुनिया की सबसे भव्य लाइब्रेरियों में शामिल किया है. इसका नाम पुर्तगाल के किंग जॉन पंचम के नाम पर है जिन्होंने इसे बनवाने की अनुमति दी थी. किताबों के सारे शेल्प ट्यूलिपवुड और आबनूस के हैं और यह जगह फैकल्टी ऑफ लॉ का हिस्सा है.
प्राचीन दुनिया का आधुनिकता से संगम
अलेक्जैंड्रिया की यह लाइब्रेरी दुनिया की सबसे मशहूर लाइब्रेरी थी. 2000 साल पहले यह जल गई. कहा जाता है कि तब यहां उस वक्त की दुनिया के ज्ञान का संपूर्ण भंडार यहां 490,000 भोजपत्रों पर अंकित था. 2002 में उसकी जगह बनी नई लाइब्रेरी उसी परंपरा को निभा रही है. इसे बनान में करीब 22 करोड़ अमेरिकी डॉलर खर्च किए गए.
ममियों के बीच
स्विट्जरलैंड के आबे लाइब्रेरी ऑफ सेंट गॉल में कुछ किताबें 1300 साल पुरानी हैं और यहां आने वाले इसमें किसी मठ, यूरोप की सबसे पुरानी इमारतों की डिजाइन या फिर मिस्र की ममियां भी देख सकते हैं. तस्वीर में दिख रहा बुषरहॉल 1983 से ही यूनेस्को की सांस्कृतिक विरासतों की सूची में शामिल है.
राष्ट्रपति ने उबारा
जब कभी आप वॉशिंगटन जाएं तो लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस को जरूर देखिए. इस लाइब्रेरी को 1800 में शुरू किया गया लेकिन महज 14 साल बाद ही ब्रिटेन ने उसे जला दिया. अमेरिका के तीसरे राष्ट्रपति थॉमस जेफर्सन ने अपनी निजी लाइब्रेरी से करीब 6500 किताबें बेच कर 24000 डॉलर इस लाइब्रेरी के पुनर्रुद्धार के लिए जुटाए.
ओक की छत
डब्लिन के ट्रिनटी कॉलेज की लाइब्रेरी का यह दोमंजिला "लॉन्ग रूम" 64 मीटर लंबा और 12 मीटर चौड़ा है. हालांकि यह जगह हमेशा इतनी शानदार नहीं थी जितनी की आज है. 1858 में इसके सपाट प्लास्टर की छत को निकाल दिया गया और उसकी जगह ओक की लड़की से बना नया छत लगाया गया.
चीन में तो सब कुछ बड़ा ही है
3 करोड़ किताबों और दूसरी सामग्रियों के साथ चीन की नेशनल लाइब्रेरी दुनिया की सातवीं सबसे बड़ी लाइब्रेरी है. 1809 में इसे "कैपिटल लाइब्रेरी" के रूप में बनाया गया बाद में 1928 में इसका नाम बदल कर "बीजिंग लाइब्रेरी" कहा गया. 1998 में इसे मौजूदा नाम मिला.
भारत की सबसे बड़ी लाइब्रेरी
कोलकाता में मौजूद नेशनल लाइब्रेरी ऑफ इंडिया, किताबों के लिहाज से भारत की सबसे बड़ी और दुनिया की 14वीं बड़ी लाइब्रेरी है. आजादी के बाद 1953 में इसे यह नाम मिला. इसके पहले इसे इम्पीरियल लाइब्रेरी और उसके पहले द कैलकटा पब्लिक लाइब्रेरी कहा जाता था.
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