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सीएनजी से ज्यादा लाभकारी ईंधन पर चलेंगी बसें

चारु कार्तिकेय
१९ अक्टूबर २०२०

लगभग डेढ़ दशक पहले भारत में पहली बार दिल्ली में सार्वजनिक यातायात के लिए ईंधन के रूप में सीएनजी को लाया गया था. अब राष्ट्रीय राजधानी में सीएनजी से भी ज्यादा लाभकारी ईंधन के साथ प्रयोग शुरू होने जा रहा है.

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BdTD Indien Smog in Neu-Delhi
तस्वीर: Jewel Samad/AFP/Getty Images

इस नए ईंधन को हाइड्रोजन मिश्रित सीएनजी (एचसीएनजी) कहा जाता है. यह मूल रूप से सीएनजी ही होता है जिसमें 18 प्रतिशत तक हाइड्रोजन मिला दिया जाता है. कई अध्ययनों में दावा किया गया है कि सीएनजी के मुकाबले एचसीएनजी कार्बन मोनोऑक्साइड, मीथेन और हाइड्रोकार्बन के उत्सर्जन को अतिरिक्त 70 प्रतिशत तक कम कर देता है. यह भी दावा किया गया है कि इस से ईंधन के उपयोग में भी पांच प्रतिशत की बचत होती है.

दिल्ली में प्रदूषण की रोकथाम की निगरानी के लिए बनी उच्चाधिकार प्राप्त समिति (ईपीसीए) ने कुछ महीनों पहले सुप्रीम कोर्ट को सुझाव दिया था कि दिल्ली में अगले दो-तीन सालों के अंदर सीएनजी की जगह एचसीएनजी का व्यापक रूप से इस्तेमाल होना चाहिए. उसके कुछ ही दिन पहले नीति आयोग ने भी देश में एचसीएनजी के इस्तेमाल का सुझाव दिया था, जिसके बाद पेट्रोलियम और नेचुरल गैस मंत्रालय ने एक मसौदा भी जारी किया था.

बढ़ता प्रदूषण चिंता का विषय

16 साल पहले प्रदूषण की ही रोकथाम के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दिल्ली में सार्वजनिक यातायात में सीएनजी का इस्तेमाल अनिवार्य कर दिया गया था. लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि उस समय इससे मिले लाभ अब लुप्त हो चुके हैं, दिल्ली फिर से बुरी तरह प्रदूषण की चपेट में जा रही है और इसीलिए अब एक और बेहतर ईंधन के इस्तेमाल की जरूरत है.

Indien Smog
विशेषज्ञों का मानना है कि सीएनजी से मिले लाभ अब लुप्त हो चुके हैं और दिल्ली फिर से बुरी तरह प्रदूषण की चपेट में जा रही है.तस्वीर: IANS

ईपीसीए के प्रस्ताव के अनुसार दिल्ली की 5,500 बसों के लिए रोज करीब 400 टन एचसीएनजी की जरूरत होगी. इसके वितरण के लिए लिए चार उपकरण लगाने होंगे और उसके लिए 330 करोड़ रुपयों की आवश्यकता होगी, जो उस फंड से लिए जा सकते हैं जिसमें दिल्ली में प्रवेश करने वाले कमर्शियल वाहनों से वसूला गया टैक्स जमा किया जाता है. दिल्ली परिवहन निगम के राजघाट बस डिपो पर एचसीएनजी बनाने का एक संयंत्र लगा है.

मंगलवार से संयंत्र प्रतिदिन चार टन एचसीएनजी का उत्पादन करेगा. इससे पायलट आधार पर राष्ट्रीय राजधानी में 50 बसें चलाने की योजना है. अगर यह पायलट लाभकारी रहा तो इसका इस्तेमाल सभी बसों, ऑटो और टैक्सियों के लिए अनिवार्य कर दिया जाएगा और इसे निजी वाहनों के लिए भी विकल्प के रूप में उपलब्ध कराया जाएगा.

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