1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

दिल के इंतजार में मायूस दिल

२९ मई २०१२

अंगदान से हजारों जानें बचाई जा सकती है. लेकिन अधिकतर लोगों का इस ओर ध्यान केवल तब जाता है जब किसी अपने को इसकी जरूरत पड़ती है. जर्मनी में भी हालात ऐसे ही हैं. दिल का इंतजार करते हुए लोग अपनी जान गंवा रहे हैं.

https://p.dw.com/p/153tk
तस्वीर: picture-alliance/Sven Simon

यूर्गन श्टूवे के पूरे शरीर पर कई ट्यूब लगी हुई हैं जो उन्हें एक मशीन से जोड़ती हैं. 51 साल के युएर्गन का दिल इस मशीन की मदद से धड़कता है. उनकी आंखें सतर्क हैं, लेकिन बात करते हुए उनकी सांस फूलने लगती है. अपनी हालत के बारे में वह कहते हैं, "मैं शारीरिक तौर पर बिलकुल फिट था. मैं स्कींग करता था, बाइकिंग और ऊंचे पहाड़ों पर ट्रेकिंग भी. लेकिन पिछले दो सालों में मेरी हालत बिगड़ने लगी."

यूर्गन जर्मनी के बाड ओएनहाउजेन अस्पताल में भर्ती 256 मरीजों में से एक हैं जो एक नए दिल के इंतजार में हैं. यह यूरोप का सबसे बड़ा कार्डियक सेंटर है. अस्पताल में सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर यान गुमेर्ट बताते हैं की कई मरीजों को दो साल तक इंतजार करना पड़ता है. जिन मरीजों को 'इमरजेंसी लिस्ट' में रखा गया हो, उन्हें भी कम से कम छह महीने का इंतजार करना होता है.

Theo Ingerberg
युर्गन श्टूवेतस्वीर: DW

लंबा इंतजार

61 साल के थियो इंगेरबेर्ग पिछले आठ महीनों से इंतजार कर रहे हैं. "आप पर जो मानसिक दबाव बनता है, वह इसका सबसे मुश्किल हिस्सा है. और अगर आपके पास परिवार का साथ भी ना हो, तो आप उम्मीद हारने लगते हैं." डॉक्टर गुमेर्ट बताते हैं कि देश में अंगदान करने वाले लोगों की भारी कमी है. इसी कारण वेटिंग लिस्ट में शामिल कम से कम बीस प्रतिशत मरीजों की मौत हो जाती है.

यूरोप के कई देशों में अंगदान को काफी संजीदगी से लिया जाता है. ऑस्ट्रिया और स्पेन में यदि आप अंगदान ना करना चाहते हों तो आपको औपचारिक रूप से यह बात बतानी होती है. जबकि भारत जैसे देशों में यह इस से बिलकुल अलग है. वहां आप तभी अस्पताल से संपर्क करते हैं अगर आप अंगदान करना चाहते हों. जर्मनी में भी यह कुछ ऐसा ही है. जो लोग अंगदान के समर्थन में हों वे एक डोनर कार्ड बनवा सकते हैं. लेकिन यह कार्ड बनवाना अनिवार्य नहीं. सरकार अब चाह रही है कि लोग इसे संजीदगी से लें. मेडिकल इंश्योरेंस कंपनियों से कहा गया है कि वे लोगों को चिट्ठियां भेज कर पूछें कि क्या वे अंगदान करना चाहते हैं. लेकिन हां और ना के जवाब के अलावा लोगों के पास "फिलहाल इस पर विचार ना करने" का विकल्प भी है.

Theo Ingerberg
हृदय का इंतजार करते थियो इंगेरबेर्गतस्वीर: DW

मुश्किल फैसला

डॉक्टर गुमेर्ट का कहना है कि भले ही सरकार की इस पहल से जागरूकता फैले, लेकिन दिक्कत यह है कि अधिकतर लोग इस मामले पर अपने परिवार के साथ चर्चा नहीं करना चाहते और जब परिवार के किसी सदस्य का देहांत हो जाता है तो किसी का ध्यान इस तरफ जाता ही नहीं है, "आप जरा इस तरह सोच कर देखिए: किसी नौजवान की मौत होती है और फिर उसके माता पिता से पूछा जाता है कि क्या वे उसके अंग दान करना चाहेंगे. ऐसा सवाल उनके सामने उस स्थिति में आता है जब वे अपने बच्चे के चले जाने के शोक में डूबे हैं. यह किसी के लिए भी सबसे मुश्किल फैसला होगा. और अगर हम इस से निपटने का कोई तरीका ढूंढ लें, कुछ वैसे ही जैसे वसीयत को ले कर होता है, तो परिवारों को काफी आसानी होगी."

जर्मनी में हुए सर्वेक्षण दिखाते हैं कि अस्सी प्रतिशत लोग अंगदान के पक्ष में हैं, लेकिन बीस प्रतिशत के पास ही डोनर कार्ड हैं. गुमेर्ट कहते हैं कि ऐसे आंकड़ों को देख कर सरकार को सोचना चाहिए और उन्हें थोड़ी हिम्मत दिखाते हुए, लोगों के लिए अंगदान पर फैसला ना लेने का विकल्प ही खत्म कर देना चाहिए."

रिपोर्ट: वेरा फ्राइटाग/ ईशा भाटिया

संपादन: आभा मोंढे