दक्षिणी अफ्रीकी राष्ट्रपति जैकब जूमा ने इस्तीफा दिया
१५ फ़रवरी २०१८बतौर राष्ट्रपति अपने आखिरी भाषण में जैकब जूमा ने कहा, "एएनसी की तरफ से निर्धारित अविश्वास प्रस्ताव के नतीजे में मुझे इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया है." उन्होंने कहा, "हालांकि मैं अपने संगठन के फैसले से असहमत हूं, लेकिन मैं हमेशा एएनसी का एक अनुशासित सदस्य रहा हूं." जूमा ने फिर अपनी इस बात को दोहराया कि एएनसी ने कोई सबूत नहीं दिया है कि उन्होंने क्या गड़बड़ की है.
भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे जैकब जूमा को एएनसी ने पद छोड़ने को कहा था. उनके इस्तीफे के बाद अब पार्टी नेता सिरिल रामाफोसा के राष्ट्रपति बनने का रास्ता साफ हो गया है. एएनसी की तरफ से जूमा को इस्तीफा देने के लिए बुधवार मध्यरात्रि तक की डेडलाइन दी गई थी. इससे ना मानने पर उनके खिलाफ गुरुवार को संसद में अविश्वास प्रस्ताव आना तय था. लेकिन स्थानीय समय के अनुसार रात 11 बजे जूमा ने अपने इस्तीफे का एलान कर दिया. और इस तरह उनका नौ साल तक चला कार्यकाल खत्म हो गया.
जूमा 1959 में एएनसी में शामिल हुए थे और दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के खिलाफ चले लंबे संघर्ष में उन्होंने हिस्सा लिया. जूमा ने कहा कि उन्हें अविश्वास प्रस्ताव या फिर महाभियोग का डर नहीं था और उन्होंने अपनी पूरी क्षमता से दक्षिण अफ्रीकी लोगों की सेवा की है. हालांकि उन्होंने माना कि वह "एकदम परफेक्ट नहीं" रहे.
जूमा के खिलाफ भ्रष्टाचार के कई आरोप हैं. उनके बेहद नजदीकी माने जाने वाले कारोबारी गुप्ता परिवार के घर पर बुधवार को छापे भी मारे गए. गुप्ता परिवार के खिलाफ ताजा मामला छोटे स्तर पर चलने वाले डेयरी फार्म से जुड़ा है. गुप्ता परिवार की एक कंपनी ने जैसे ही डेरी फार्म का प्रबंधन संभाला, तो उसे प्रांतीय कृषि विभाग की तरफ से 28.5 लाख डॉलर की राशि मिली. जनवरी में हाई कोर्ट ने फार्म की सारी संपत्ति को सील करने का आदेश दिया. दूसरी तरफ, जूमा और तीन गुप्ता भाई अजय, अतुल, और राजेश इस मामले में किसी भी तरह की गड़बड़ी से इनकार करते हैं.
एके/ओएसजे (रॉयटर्स, एपी)